मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार गिरने के बाद शिवराज सिंह चैहान सत्ता में आए हैं। सत्ता परिवर्तन के बाद अब विधानसभा की पुरानी समितियों में भी बदलाव का दौर शुरू हो चुका है। बीजेपी ने नई समितियां बनाने की कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए विधानसभा सचिवालय ने सभी राजनीतिक दलों को एक लेटर दिया हैं। विधानसभा में सदस्यों की संख्या के आधार पर समितियांे में दलों का प्रतिनिधित्व होता है। पहले कांग्रेस संख्या बल में थी, अब भाजपा संख्या बल में है ।
पहले जो विधासभा की समितियां बनाई गई थी, उन पर कमलनाथ सरकार यानी कांग्रेस का दबदबा था। अब सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा के विधायकों को मौका मिलेगा। कांग्रेस काल में लोक सेवा को छोड़कर बाकी सभी विधायक कांग्रेस के ही सभापति थे। सभापति भी शासनधारी दल का होता है। इसलिए भाजपा विधायक अब नई समितियों के सभापति होंगे। मनोनयन के आधार पर जो समितियां बनती हैं, उनको सचिवालय की तरफ से पत्र भेजा गया हैं। पत्र में समितियों के लिए नाम मांगे गए है।
कांग्रेस की तरफ से वित्तीय और निर्वाचित समितियों में लोक लेखा के नरोत्तम मिश्रा जो बीजेपी के विधायक थे, प्राक्क्लन सोहनलाल बाल्मीकी, एससी, एसटी, और पिछड़ा वर्ग कल्याण समिति रामलाल मालवीय, सरकारी संबंध समिति के लक्ष्मण सिंह, स्थानीय निकाय व पंचायती राज लेखा के बिसाहूलाल सिंह सभापति थे। बतां दें विधानसभा में दो तरह की समितियां होती हैं। एक जिन्हें विधानसभा अध्यक्ष दलों से मिलने वाले नामों से सदस्य नामिनेट करते हैं, दूसरे वित्तीय, जिन्हें सदस्य निर्वाचन के माध्यम से चुनते हैं।
विधायकों के नाम के लिए राजनीतिक दलों को पत्र भेजा गया हैं। नाम मिलते ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। समितियों का गठन तब होगा, जब सत्र शुरू होगा।