लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर ने शनिवार को लेफ्टिनेंट जनरल पद संभाल लिया। माधुरी इस पद तक पहुंचने वाली देश की तीसरी महिला हैं। नई दिल्ली में माधुरी ने डिप्टी चीफ, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (डीसीआईडीएस), मेडिकल (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत) का कार्यभार संभाला है। पिछले शुक्रवार को विभाग ने माधुरी के प्रमोशन की मंजूरी दी थी और शनिवार को उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल पद संभाल लिया।
सशस्त्र बलों में इस रैंक पर पहुंचने वाली वो तीसरी महिला हैं। लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर से पहले इस रैंक तक पहुंचने वाली महिला अधिकारी पुनीता अरोड़ा थीं। वहीं उनके समकक्ष भारतीय वायुसेना की पद्मावती बंद्योपाध्याय रहीं। माधुरी इस रैंक पर पहुंचने वाली भले ही तीसरी महिला हैं पर लेफ्टिनेंट जनरल बनने वाली वो पहली बाल रोग चिकित्सक हैं।
Major General Dr Madhuri Kanitkar, Major General Medical, Udhampur, has been approved for promotion to the rank of Lieutenant-General. Her husband Lt Gen Rajeev Kanitkar retired from the Army recently. She will be the third woman officer from the defence services to become Lt Gen pic.twitter.com/IqmPn5w7dy
— ANI (@ANI) February 28, 2020
आपको बता दें कि माधुरी कानितकर के पति राजीव भी लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर हैं। भारतीय सेना को सेवा दे रहे हैं। माधुरी और राजीव देश के पहले ऐसे पति-पत्नी हैं जो लेफ्टिनेंट जनरल हैं। हालांकि, लेफ्टिनेंट राजीव कानितकर कुछ वक्त पहले ही आर्मी से रिटायर हुए हैं। पिछले 37 साल से माधुरी भारतीय मिलिट्री को सेवा दे रही हैं।
माधुरी को पिछले साल ही लेफ्टिनेंट जनरल के पद के लिए चुना गया था, लेकिन पद खाली न होने के चलते रोक दी गई थी। लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर पुणे में सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज (AFMC) की पहली महिला डीन हैं और उन्हें आर्मी मेडिकल कोर में पहला बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी यूनिट स्थापित करने के लिए जाना जाता है।
माधुरी कानितकर ने एम्स में पीडियाट्रिक और पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी की पढ़ाई एम्स से की है। इसके अलावा माधुरी कानिटकर, प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक और तकनीकी सलाहकार बोर्ड की भी सदस्य हैं। पुणे में AFMC के डीन के रूप में दो साल से अधिक समय पूरा करने के बाद कानितकर ने पिछले साल मेजर जनरल मेडिकल, उधमपुर के रूप में जिम्मेदारी संभाली थी।
Delhi: Lieutenant General Madhuri Kanitkar today put on her ranks after her promotion. She is the third woman officer in the Indian armed forces to have become Lieutenant General. She has now been posted to Headquarters, Integrated Defence Staff under the Chief of Defence Staff. pic.twitter.com/JzcckVucmQ
— ANI (@ANI) February 29, 2020
माधुरी ने पद संभालने के बाद एक न्यूज चैनल से बात करते हुए कहा, “सबसे पहले इरादा बना डॉक्टर बनने का और वह इसलिए क्योंकि मेरी दादी डॉक्टर थी। वह एक बाल विधवा थीं जो 1900 में ही डॉक्टर बनी थीं। हम दादी जैसा बनना चाहते थे। AFMC का माहौल इतना अच्छा था कि मैंने सोच लिया कि यहीं से मेडिकल भी करूंगी। मेरे हस्बैंड से मेरी मुलाकात यहीं हुई थी। फौज के जीवन, अनुशासन से मैं बहुत प्रभावित थी। अब फौज में 37 साल निकल चुके हैं। मैं लड़कियों को हमेशा बोलती हूं कि अगर सेफ एनवायरमेंट में काम करना है तो आर्मी में आइए। यहां पर बेहद ही सम्मान दिया जाता है। लड़कियों के लिए इससे सेफ जगह नहीं हो सकती।”
पत्रकार ने जब लेफ्टिनेंट जनरल में पति-पत्नी दोनों के होने पर सवाल पूछा कि कपल गोल क्या है? इस पर माधुरी ने कहा, “जब बेटा पैदा हुआ तब मैंने सोचा कि छोड़ दूं। मगर उस वक्त मेरे हस्बैंड ने एक रीडर्स डाइजेस्ट में पढ़ा था कि ग्रो टुगेदर डोंट ग्रो अपार्ट। इसी को जिंदगी भर फॉलो करते रहे। अगर किसी को पीछे होना पड़ रहा है तो दूसरा साथ दें। इट इज इंपोर्टेंट टू ग्रो, टुगेदर। यही कपल्स गोल है।”
लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी से जब पूछा गया कि आने वाली चुनौतियों के बारे में उनका क्या कहना है तो उन्होंने सीधी-सा जवाब दिया, ”जब काम में नयापन आता है तो काम करने का हौसला बढ़ता है। पहले मैं डॉक्टर थी फिर मैं पीडियाट्रिशियन बनी। उस माहौल से उठकर मैं एडमिनिस्ट्रेशन में आ गई। फाइलों में काम किया ऑफिस में काम किया। मैंने हमेशा सोचा कि मैं हर चैलेंज को अपना लूं। मैं थ्री इन वन रही हूं। एक सोल्जर, एक डॉक्टर और और एक टीचर। एक ही जिंदगी में मैं तीनों चीजें रही हूं।”
गौरतलब है कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने के हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सेना में सभी महिला अफसरों को स्थायी कमीशन मिलेगा। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सेना के 10 विभागों के लिए है यानी कॉम्बेट (सीधे युद्ध) वाली विंग के लिए नहीं है।
शीर्ष अदालत ने फैसले में कहा, “काबिलियत के हिसाब से महिला सैनिकों को कमांड पद भी मिले, महिलाएं भी पुरुषों की तरह सेना में कमांड पोस्ट संभाल सकती हैं। स्थायी कमीशन पाने वाली महिलाओं को सिर्फ प्रशासनिक पद देने की नीति गलत है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सामाजिक और मानसिक वजह बताकर महिला अधिकारियों को इस हक से वंचित रखना न केवल भेदभावपूर्ण है बल्कि यह परेशान करने वाला और अस्वीकार्य भी है।