देश में सार्वजिनक स्थलों पर धार्मिक गतिविधयां करने का चलन बढ़ता जा रहा है । आए दिन खुले में पूजा पाठ और नमाज अदा करना प्रचलन के तौर पर नजर आ रहा है। इसके रोकथाम के लिए सरकार द्वारा निर्देश दिए गए है बावजूद इसके ऐसे मामले थमने का नाम नहीं ले रहे।अभी भी सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक गतिविधियां होती आ रही है। सार्वजनिक स्थानों पर पूजा पाठ ,दुआ इबादत लोगों द्वारा किये जा रहे है। कुछ ऐसा ही दृश्य सोशल मिडिया पर तेजी से वायरल हो रहे वीडियो में देखा जा सकता है।वायरल हो रही इस वीडियो के कारण लुलु मॉल एक बार फिर विवादों में पड़ गया है।
वीडियो में एक महिला सर्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़ती नजर आए रही है । ये स्थान लुलु मॉल का ग्राउंड फ्लोर का बताया जा रहा है। इस वीडियों में नमाज अदा करने वाली महिला के साथ 5-6 मुस्लिम महिलाएं और एक-दो बच्चे खड़े नजर आ रहे है। वहीं इस मामले के बारे में मॉल के जनरल मैनेजर ऑपरेशन समीर वर्मा को कोई जानकारी नहीं थी। उनके मुताबिक वो इस मामले देखेंगे और कंपनी के पॉलिसी के अनुसार ही आगे कार्रवाई की जाएगी। ये पूरा वीडियों 43 सेकेंड का है। इसमें कुछ युवक भी नजर आ रहे है।
इससे पहले भी लुलु मॉल आया था विवादों में
2020 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक स्थानों पर पूजा पाठ दुआ इबादत जैसे धार्मिक गतिविधियों को करने के लिए मना किया था। निर्देश के बाद से ही इन नियमों का कड़ाई से लागू किया गया है । कथित तौर पर वायरल हो रही ये वीडियो लखनऊ में लुलु मॉल की है। इसी वर्ष 11 जुलाई को सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था। गौरतलब है कि खुले में नमाज अदा करने का ऐसा मामला लुलु मॉल में पहली बार नहीं आया है। इस वायरल वीडियों से पहले 13 जुलाई को कुछ युवकों के नमाज पढ़ने का वीडियो सामने आया था। वीडियों में कुछ युवकों द्वारा इसी मॉल में खुले स्थल पर नमाज पढ़ा जा रहा था , और लोगों की आवा -जाही लगी हुई थी। जिसके बाद इस पर काफी विवाद हुआ। उस दौरान हिंदू संगठनों और साधु-संतों ने इस पर एतराज जताया और दोषियों पर कार्यवाई करने की मांग की। अयोध्या हनुमान गढ़ी के महंत राजू दास ने कहा था कि जिस प्रकार से मॉल में नमाज पढ़ी गई। बड़े पैमाने पर हम वहां हनुमान चालीसा पढ़ेंगे और कोई रोक नहीं पाएगा।
हिंदू संगठनों की नाराजगी के बाद मॉल मैनेजमेंट की ओर से इसको लेकर एफआईआर दर्ज कराई और मॉल के अंदर किसी भी तरह के धार्मिक आयोजन न करने के साइन बोर्ड भी लगाया गया। बावजूद इसके इसी मॉल में नमाज अदा करने के विरोध में 16 जुलाई को मॉल के अंदर हनुमान चालीसा का पाठ किया गया। इसका वीडियो भी जारी किया गया । इस पाठ को करने वाले युवक करणी सेना के कार्यकर्ता बताए गए थे। अंदेशा लगाया जा रहा है कि अब फिर से इसी मॉल में महिला द्वारा नमाज पढ़ने के चलते विवाद की जड़ दोबारा फूट पड़ी है। ‘द वर्ल्ड ऑफ हैप्पीनेस’ कहे जाने वाला लुलु मॉल फिर से वायरल वीडियो के चलते विवादों में घिर सकता है।गौरतलब है कि सार्वजनिक धार्मिक गतिविधियों के चलते इसी वर्ष यूपी मुख्यमंत्री ने ईद ,परशुराम जयंती के मौके पर अफसरों को सख्त निर्देश दिए गए ताकि सड़कों पर कोई धर्मिक आयोजन न हो पाए।
दिल्ली एयरपोर्ट पर रास्ट्रीयध्वज का अपमान कर पढ़ा गया था नमाज
गौरतलब है कि इस मामले से पहले भी इसी वर्ष मई में दिल्ली एयरपोर्ट पर नमाज अदा करने का मामला सामने आया था। राष्ट्रीय ध्वज का अपमान कर सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़ने का विरोध किया जा रहा था। एयरपोर्ट पर उस दौरान दुबई से दिल्ली आए एक यात्री मोहम्मद तारिक अजीज ने नमाज पढ़ी थी। जो कि असम का रहने वाला था। दरअसल ये व्यक्ति एयरपोर्ट पर तकरीबन शाम पांच बजे बोर्डिंग गेट एक व तीन के सामने राष्ट्रीय ध्वज बिछाकर नमाज पढ़ने लगा। जिसके बाद वहां मौजूद सीआइएसएफ के जवान ने उसे राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करते हुए देख लिया और उसे पुलिस हिरासत में दे दिया।
खुले में नमाज पढ़ना नहीं किया जायेगा सहन
बीते वर्ष हरियाणा में भी खुले में नमाज पढ़ने की घटना सामने आयी थी। हरयाणा के सेक्टर-47 में सार्वजनिक स्थल पर नमाज पढ़े जाने को लेकर पहले विवाद हुआ था। जिसका विरोध किया गया उसके बाद सेक्टर-37 में खुले में नमाज पढ़ने का मामला सामने आया था। खुले में नमाजों के बढ़ते मामले को देखते हुए हरियाणा मुख्यमंत्री ने उस दौरान कहा था कि सार्वजनिक स्थल पर खुले में नमाज पढ़ना कतई सहन नहीं किया जायेगा। नमाज पढ़ने के लिए धार्मिक स्थल बने हुए हैं। धार्मिक स्थलों का निर्माण पूजा अर्चना तथा इबादत के लिए ही किया जाता है। कोई भी मुस्लिम भाई मस्जिद में या अपने घर में रहकर नमाज पढ़े। हिदू मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना करें। उनके मुताबिक खुले में नमाज की जो प्रथा शुरू हुई है वह गलत है।मनोहर लाल ने कहा कि खुले में नमाज पढ़कर आपसी टकराव व आपसी सौहार्द तथा भाईचारे को खराब न करें
सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अश्विनी दुबे के अनुसार भी मॉल, अस्पताल, मंदिर-मस्जिद जैसे धार्मिक स्थल, सिनेमा हॉल, अदालतें, बारात घर या पार्क सभी सार्वजनिक स्थल की श्रेणी में आते हैं। लेकिन ये सभी जगहें एक विशेष उद्देश्य के लिए बनी होती हैं और अपनी श्रेणी में वांछित सेवाओं के लिए ही उपयोग की जा सकती हैं। विभिन्न सेवाओं के लिए अलग-अलग लाइसेंस की भी आवश्यकता पड़ती है। प्रशासन यह सुनिश्चित करना चाहता है कि कोई कार्यक्रम किए जाने की स्थिति में वहां पर कोई अव्यवस्था उत्पन्न नहीं होनी चाहिए। यदि एक सार्वजनिक स्थल का उपयोग निर्धारित सेवा की बजाय किसी दूसरी श्रेणी की सेवा के लिए किया जाने लगे, तो यह सेवाओं का उल्लंघन माना जाता है।अगर इन सार्वजनिक जगहों का उपयोग किसी धर्म विशेष के लिए किया जाने लगे, तो यह दूसरे धर्मों के लोगों को असुविधाजनक हो सकता है, लिहाजा किसी सार्वजनिक स्थल पर नमाज, पूजा या अन्य धार्मिक कार्य नहीं किया जा सकता।