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M P में लव जिहाद : आसान नहीं होगा प्यार की परिभाषा बदलना 

 अभिनेत्री नरगिस और सुनील दत्त जैसा सच्चा प्यार कितने लोगों का है। लव जिहाद पाकिस्तान और आतंकी संगठन आइएसआइएस की साजिश है। ये लोग बेटियों को बहला-फुसलाकर या अपनी पहचान बदलकर फंसाते हैं, उनसे दुष्कर्म करते हैं और बाद में मौत के घाट उतार देते हैं। इन्हें सबक सिखाने के लिए सजा में और कड़े प्रविधान करने की जरूरत है। जिसके घर की बेटी इस साजिश का शिकार होती है उनसे इसका दर्द समझना चाहिए।
मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने मध्य प्रदेश में लव जिहाद का कानून लागु होने से पहले ही यह विवादित बयान दिया है। उन्होंने यहां तक कहा है कि आखिर कब तक सीता को रुबिया बनने देंगे। शिवराज सरकार द्वारा इस दिशा में कानून बनाने के प्रयास का स्वागत है, लेकिन कानून और कड़ा होना चाहिए। लव जिहादियों को कम से कम दस साल की सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए। याद रहे कि हरियाणा के वल्लभगढ़ में निकिता मर्डर केस के बाद देशभर से लगातार ‘लव जिहाद’ पर कानून बनाने को लेकर आवाजें उठ रही हैं। जिसके चलते मध्य प्रदेश सरकार लव जिहाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कानून लाने की तैयारी कर रही है।
आने वाले विधानसभा सत्र में इस कानून का मसौदा पेश किया जा सकता है। इस कानून के तहत धर्म बदलकर शादी करने के इच्छुक लोगों को 1 महीने पहले कलेक्टर से लिखित अनुमति लेनी होगी।  साथ ही अगर बिना अनुमति शादी की गई तो लड़की पक्ष के लोगों की शिकायत पर आरोपी पक्ष को सजा हो सकती है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने दो दिन पहले कहा कि अगले विधानसभा सत्र में ‘लव जिहाद’ को लेकर विधेयक लाया जा रहा है जिसमें 5 साल के कठोर कारावास की सजा का प्रावधान रहेगा और गैर जमानती धाराओं में केस दर्ज होगा। इसके बाद एक बार फिर लव जिहाद चर्चाओं में आ गया है।

  हालाँकि वर्ष 1954  में आए स्पेशल मैरिज एक्ट ( कोर्ट मैरिज ) के तहत भी दो भारतीय नागरिक एक-दूसरे के साथ विवाह के बंधन में बंध सकते हैं। हालांकि इसके लिए उन्हें प्रशासन को नाम, पता, जन्मतिथि का प्रमाण पत्र और अन्य जानकारी देनी होती है। स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 6 (2) के तहत मैरेज ऑफिसर अपने दफ्तर में लड़के-लड़की की ओर से दिया गया आवेदन ऐसी जगह चिपकाता है, जो सबकी नज़रों में आए। अगर इस पर 30 दिनों में कोई आपत्ति नहीं आती तो लड़के-लड़की की शादी करा दी जाती है। हालांकि, इस मैरिज एक्ट 1954 के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लंबित है जिसमें शिकायत की गई है कि ये कानून आर्टिकल 21 (निजता के अधिकार) का उल्लंघन है।

फ़िलहाल मध्य प्रदेश सरकार जो प्रावधान विधानसभा में लाने जा रही है। उसके अनुसार दोषी पाए जाने पर आरोपी को 5 साल की सजा होगी। आरोपी की मदद करने वाले को भी आरोपी ही बनाया जाएगा। यही नहीं बल्कि यह अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा। पीड़ित पक्ष की शिकायत पर फौरन एफआईआर होगी और उसपर गिरफ्तारी हो सकेगी। अगर कानून का उल्लंघन पाया गया तो शादी शून्य घोषित कर दी जाएगी।
उक्त कानून अगर बनता है तो उसमे सबसे कठिन यह है कि अपराध संज्ञेय और गैर जमानती होगा। पहले से मौजूद कानूनों के हिसाब से यह संज्ञेय अपराध नहीं था।  क्योंकि लव जिहाद का कोई कानूनी या संवैधानिक आधार नहीं है। इसलिए इसमें कानून के हिसाब से सजा कैसे ही हो सकती है। देश के संविधान का आर्टिकल 25 हमें यानी नागरिकों को अपने धर्म का पालन करने, उससे जुड़े रीति-रिवाज करने और उसका प्रसार करने की इजाजत देता है। वहीं आर्टिकल 21 के तहत देश के नागरिकों को अपनी पसंद से शादी करने का हक है। इस तरह अगर देखा जाय तो मध्य प्रदेश सरकार के लिए प्यार की परिभाषा को बदलना इतना आसान नहीं होगा।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानूने लाने की बात कह चुके हैं। वहीं, यूपी की योगी सरकार ने भी लव जिहाद से निपटने के लिए कड़ा कानून बनाने का ऐलान किया था। उन्होंने लव जिहाद के खिलाफ चेतावनी देते हुए कहा था कि बहनों की इज्जत के साथ खेलने वालों का राम नाम सत्य हो जाएगा।

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