पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विट्टानसभा चुनाव की मतगणना हो चुकी है। निर्वाचन आयोग के अनुसार त्रिपुरा में बीजेपी अकेले तो नागालैंड में अपनी सहयोगी पार्टी एनडीपीपी के साथ सत्ता में वापसी करने में कामयाब हुई, वहीं मेघालय में त्रिशंकु सरकार के आसार हैं
पिछले महीने हुए त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय विधानसभा चुनावों का परिणाम 2 मार्च को घोषित किए गए हैं। त्रिपुरा और नागालैंड में एक बार फिर भाजपा का कमल खिला, वहीं मेघालय में किसी भी पार्टी को बहुमत हासिल नहीं हुआ।
त्रिपुरा विधानसभा चुनाव 2023 के लिए 16 फरवरी को मतदान हुआ था। यहां लेफ्ट एक बार फिर अपना पुराना गढ़ वापस लेने की उम्मीद लगाई हुई थी तो कांग्रेस के लिए ‘करो या मरो’ जैसी स्थिति थी। लेकिन चुनाव परिणामों ने लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को झटका दिया है। लेफ्ट गठबंधन के हाथ से सत्ता इस बार और दूर रहने के पीछे त्रिपुरा राजघराने के प्रद्योत माणिक्य देब बर्मा हैं, जिनकी पार्टी टिपरा मोथा ने शानदार प्रदर्शन किया है।
त्रिपुरा में 25 सालों तक दो फ्रंट कांग्रेस और लेफ्ट के बीच मुकाबला होता रहा था लेकिन सत्ता लेफ्ट के पास ही जाती रही। 2018 में इस स्थिति को बीजेपी ने बदल दिया था। बीजेपी और आईपीएफटी गठबंधन ने लेफ्ट के किले को ढहा दिया और बिप्लव देब के नेतृत्व में बनी 5 साल बाद अब फिर से त्रिपुरा में विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी को हराने के लिए लेफ्ट और कांग्रेस एक साथ आए लेकिन इस बार भी उन्हें झटका लगा है। राज्य की 60 विधानसभा सीटों में से भाजपा को 32 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत हासिल हुआ है।
त्रिपुरा में बीजेपी का कमबैक
चुनाव के दृष्टि से पूर्वोत्तर के सबसे बड़े राज्य त्रिपुरा में सत्तारूढ़ भाजपा फिर सत्ता में वापसी कर गई है। इस चुनाव में 2018 की तुलना में भाजपा को करीब 10 सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और लेफ्ट का गठबंधन से चुनाव में भाजपा को कड़ी टक्कर मिली है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी राजपरिवार के उत्तराधिकारी प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देब बर्मा के नेतृत्व वाली आदिवासी पार्टी टिपरा मोथा (टीएमपी) ने चौंकाने वाले प्रदर्शन करते हुए दर्जनभर सीटों पर जीत दर्ज की है। त्रिपुरा में भाजपा गठबंधन की जीत को 2024 के नजरिए से काफी अहम माना जा रहा है।
टिपरा मोथा बनी नंबर-2
लेफ्ट-कांग्रेस गठबंधन को 11 सीटें मिली है। जिसमें कांग्रेस को 3 और लेफ्ट को 8 सीटें मिली हैं। खास बात यह है कि इस चुनाव में पहली बार मैदान में उतरी टिपरा मोथा को इससे ज्यादा 13 सीटें मिली हैं। इस बार जिस पार्टी ने सबका ध्यान खींचा है, वह है टिपरा मोथा, जो पहली बार में ही प्रमुख विपक्षी दल बन गई है।
आदिवासी वोटों पर फोकस
त्रिपुरा के पूर्व राजा के वारिस प्रद्योत देब बर्मा ने चुनाव में टिपरा मोथा को मैदान में उतारा था। पार्टी की प्रमुख मांग आदिवासियों के लिए अलग टिपरालैंड प्रदेश की थी। चुनाव में टिपरा मोथा का फोकस आदिवासी वोटों पर रहा, जो नतीजों में नजर भी आया।
त्रिपुरा में लेफ्ट-कांग्रेस का बिगड़ा खेल
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 36 सीटें जीती थी, जबकि उसकी सहयोगी आईपीएफटी ने 8 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं 2018 तक सत्ता में रही सीपीएम को सिर्फ 16 सीटों पर जीत मिली थी तब से कांग्रेस का पत्ता ही साफ हो गया। 5 साल के बाद हुए चुनाव में लेफ्ट-कांग्रेस को सत्ता विरोधी लहर का भी सहारा था लेकिन वह भी सीट में बदलता नहीं दिखा। दरअसल बीजेपी का वोट शेयर घटा तो है लेकिन इसका फायदा लेफ्ट गठबंधन नहीं, टिपरा मोथा हुआ है।
नागालैंड ने रचा इतिहास
नागालैंड विधानसभ चुनाव में एक इतिहास रचा गया है। राज्य में पहली बार किसी महिला उम्मीदवार ने विधानसभा चुनाव जीता है। दीमापुर तृतीय विधानसभा से हेकानी जखालू ने जीत दर्ज की है। हेकानी भाजपा और एनडीपीपी गठबंधन के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतरी थीं। उन्होंने लोजपा (रामविलास) की अजेतो जिमोमी को 1536 वोटों से मात दी। इसके अलावा एनडीपीपी और भाजपा गठबंधन की एक अन्य महिला उम्मीदवार सलहूतुनू क्रुसे ने पश्चिमी अंगामी सीट से जीत दर्ज की है। उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार केनेजाखो नखरो को 12 वोटों के मामूली अंतर से हरा दिया।
नागालैंड में चार महिलाओं को मिला था टिकट
राज्य में विधानसभा चुनाव में सिर्फ चार महिला उम्मीदवारों को टिकट मिला था। हेकानी इनमें से एक थीं। चुनाव के दौरान हेकानी का प्रचार करने के लिए मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो के साथ असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा भी पहुंचे थे।
नागालैंड के चुनावी नतीजे
भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी ने गठबंधन ने चुनाव लड़ा। जिसमें एनडीपीपी ने 40 और भाजपा ने 20 सीटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के मुताबिक, एनडीपीपी को 25 सीटों पर जीत मिली तो भाजपा को 12 सीटों पर जीत हासिल हुई। वहीं 4 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की, जबकि 5 सीटों पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) ने जीत दर्ज कर की है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) को 2 और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 2 सीटों पर जीत मिली है। लोजपा ने 2 सीट जीती हैं। इसके अलावा जदयू ने 1, नगा पीपुल्स फ्रंट ने 2 और नेशनलिस्ट पीपुल्स पार्टी ने 5 सीटें जीती हैं। जबकि कांग्रेस को 7 सीटों पर ही जीत दर्ज हुई।
मेघालय चुनाव परिणाम
मेघालय में विधानसभा चुनावों में जो पार्टी मजबूत तरीके से उभरी है और जो सबसे बड़ी पार्टी बन रही है, वह एनपीपी है यानी नेशनल पीपुल्स पार्टी। मेघालय में 59 सीटों के लिए चुनाव हुए थे। एक सीट पर चुनाव नहीं हो सका। बहुमत पाकर राज्य में सरकार बनाने का आंकड़ा 30 सीटों का है। ऐसे में लग रहा है कि राज्य में फिर बीजेपी की अगुवाई वाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस सरकार बनाएगी। बीजेपी ने यहां केवल 2 सीटों पर कब्जा किया तो एनपीपी ने सबसे ज्यादा 26 सीटों पर जीत दर्ज की है।
मेघालय में सरकार का पुराना फॉर्मूला!
मेघालय में भले ही भाजपा बहुमत से दूर हो गई लेकिन वह सत्तारूढ़ पार्टी एनपीपी के साथ सरकार बनाने की ओर आगे बढ़ती दिख रही है। मेघालय के चुनाव परिणाम में सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) ने 26 जीती है। वहीं भाजपा को महज 2 सीटों पर ही जीत मिली। मेघालय और नागालैंड में भाजपा ने इस बार पीएम मोदी के चेहरे के साथ जमकर चुनाव प्रचार किया था और क्षेत्रीय दलों के प्रभाव वाली सियासत में भाजपा ने अपनी जमीन तलाशने की कोशिश की थी और चुनाव परिणामों ने उसे निराश भी नहीं किया है।
कांग्रेस के लिए झटका
पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका है। त्रिपुरा के साथ मेघालय और नागालैंड के विधानसभा चुनाव कांग्रेस ने खराब प्रदर्शन किया है। पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के चुनाव परिणाम पर कांग्रेस के प्रदर्शन पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों के नतीजे 2024 की दिशा नहीं तय करेंगे। पूर्वोत्तर की पार्टियां केंद्र सरकार के रुझान के साथ जाती हैं, लेकिन कई नेता राष्ट्रीय राजनीति के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे कांग्रेस, सेक्युलर दलों, लोकतंत्र और संविधान का समर्थन करते हैं।
कांग्रेस के नेता भले ही पूर्वोत्तर राज्यों के नतीजों को छोटे राज्यों के चुनाव नतीजे बता रहे हैं लेकिन भाजपा कांग्रेस की हार को लेकर मुखर हो गई है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम उसके लिए एक झटके की तरह है। क्षेत्रीय दलों का प्रभुत्व-पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम में क्षेत्रीय दलों का काफी प्रभुत्व नजर आया है। नागालैंड में एनडीपीपी और मेघालय में एनपीपी ने अपनी धमक दिखाई है। वहीं त्रिपुरा में पहली बार चुनाव लड़ने वाली आदिवासी पार्टी टिपरा मोथा ने चौंकाते हुए डबल डिजिट में जीत हासिल करती हुई दिख रही है। ऐसे में आदिवासी वोटर चुनाव में बड़ा गेम चेंजर साबित हुए हैं।
साल 2014 के बाद से भाजपा पूर्वोत्तर में सबसे बड़ी सियासी पार्टी के रूप में उभरी है। ऐसे में भाजपा के सामने पूर्वोत्तर में अपने सियासी वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती थी तो कांग्रेस एक बार फिर से सत्ता में वापसी के लिए बेताब थी। हालांकि त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में कांग्रेस का संगठन कमजोर हुआ है और उसकी जगह टीएमसी जैसे दल तेजी से अपने पैर पसार रही हैं। इसके चलते कांग्रेस त्रिपुरा में लेफ्ट पार्टी के साथ गठबंधन में है, क्योंकि उसके साथ-साथ लेफ्ट के लिए भी टीएमसी एक बड़ी चुनौती बन गई है।
इस साल जिन 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, उनमें 3 राज्यों में भाजपा की अपने दम पर सरकार है, जबकि 3 राज्यों में वह सरकार में सहयोगी की भूमिका निभा रही है। भाजपा त्रिपुरा, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में अपने दम पर सत्ता में है जबकि मेघालय में एनपीपी और नागालैंड में नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी की सरकार में सहयोगी दल के रूप में शामिल हैं। 3 राज्यों के चुनावी नतीजों का असर इसी साल होने वाले 6 राज्यों के विधानसभा चुनावों पर भी पड़ेगा।
इसी के मद्देनजर भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इस साल होने वाले सभी विधानसभा चुनावों को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए अहम बताते हुए सभी राज्यों में जीत हासिल करने का आह्वान किया था। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव में मोदी के चेहरे को चुनौती देने की तैयारी कर रही कांग्रेस के लिए पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के चुनाव परिणाम एक बड़ा झटके जैसा है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का कोई असर पूर्वोत्तर के राज्यों पर नहीं दिखाई दिया है।