4 दिन पूर्व उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जीरो टॉलरेंस के नाम पर गाजियाबाद के एसएसपी और सोनभद्र के डीएम को सस्पेंड कर दिया । इसके बाद योगी की तारीफें होने लगी। मीडिया योगी आदित्यनाथ के जीरो टोलरेंस मामले को बढ़ा चढ़ा कर पेश करने लगी। यहां तक की गाजियाबाद के एसएसपी पवन कुमार का सस्पेंड होना मीडिया के लिए मशाला बन गया।
25 लाख की लूट होना एसएसपी पवन कुमार का सस्पेंड का कारण बना। यह लूट 28 मार्च को एक पेट्रोल पंप से हुई और 31 तारीख को योगी सरकार ने पवन कुमार को सस्पेंड कर दिया।
इसके बाद इस मामले को खोलने के लिए कई पुलिस ऑफिसर को जिम्मेदारी दी गई। लेकिन पुलिस अधिकारी इससे बचते नजर आए। फिलहाल, गाजियाबाद में पवन कुमार के जाने के बाद कार्यवाहक एसएसपी के तौर पर लखनऊ के एसपी इंटेलिजेंस मुनीराम को तैनात कर दिया है । वह भी इस लूट का पर्दाफाश करने में जुटे हैं।
पुलिस के लखनऊ हेड क्वार्टर में इस मामले में एक वरिष्ठ अधिकारी को जांच अधिकारी बनाकर गाजियाबाद भेजा था। उत्तर प्रदेश के आईजी कानून व्यवस्था संजीव गुप्ता ने 1 अप्रैल को गाजियाबाद की कानून व्यवस्था संभालने और इस मामले को खोलने के लिए अस्थाई तौर पर डीआईजी विजिलेंस एलआर कुमार को भेजने के आदेश जारी किए। लेकिन वह 2 अप्रैल तक नहीं गाजियाबाद नहीं पहुंचे। जब पता किया गया तो सामने आया कि वह बीमार हो गए हैं। इसके बाद वह छुट्टी पर चले गए।
इससे चर्चाओं का बाजार गर्म है । लोगों का कहना है कि पुलिस अधिकारी बीमारी का बहाना बनाकर गाजियाबाद आने से बच रहे हैं। उन्हें लगता है कि अगर वह 25 लाख की लूट का मामला पर्दाफाश नहीं कर पाए तो उनका भी हाल पवन कुमार जैसा हो सकता है।
उधर, दूसरी तरफ पुलिस ने दावा किया है कि 25 लाख की लूट मामले में उन्होंने एक एनकाउंटर किया है। यह एनकाउंटर 2 अप्रैल को हुआ है। जिसमें जिस बदमाश को गोली लगी वह इस लूट कांड में शामिल बताया जा रहा है। हालांकि अभी तक उसके पास से लूट कांड की धनराशि बरामद नहीं की जा सकी है। लेकिन गाजियाबाद पुलिस इस मामले पर खुद अपनी पीठ ठोक ती नजर आ रही है।
25 लाख की लूट का मामला गाजियाबाद पुलिस के लिए किस कदर सिरदर्द बना हुआ है इसका एक उदाहरण इरम रजा के ट्वीट से भी सामने आया है। इरम रजा गाजियाबाद के एसपी ग्रामीण हैं। लूट की सुपरविजन का प्रभाव उन्हीं को मिला था ।
2 अप्रैल को एनकाउंटर में पकड़े गए लुटेरे के बाद उन्होंने एक ट्वीट किया। जिसमें उन्होंने लिखा ” 4 साल की मेरी नौकरी का मानसिक और शारीरिक रूप से शायद सबसे ज्यादा थकाने वाला केस।” गाजियाबाद के एसपी ग्रामीण के ट्वीट से मामले की गंभीरता को समझा जा सकता है।