दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश में भाजपा को नए सहयोगियों की तलाश है। राज्य के विभाजन और तेलुगुदेशम से नाता टूटने के बाद पार्टी यहां पर बेहद कमजोर है। उसके पास न तो कोई लोकसभा सीट है और न ही विधानसभा। ऐसे में उसकी संभावनाएं भावी सहयोगियों पर टिकी हुई है। यहां क्षेत्रीय दल ताकतवर है और सत्तारूढ़ वाईएसआरसीपी और विपक्षी तेलुगुदेशम के बीच राजनीति बंटी हुई है। भाजपा के साथ फिल्म अभिनेता पवन कल्याण हैं, लेकिन उनका करिश्मा भी काम नहीं कर पा रहा है। दरअसल आंध्र प्रदेश दक्षिण भारत का ऐसा बड़ा राज्य है, जहां भाजपा सबसे कमजोर है। यहां पर न तो उसकी अपनी संगठनात्मक ताकत है और न ही राजनीतिक। राज्य में विधानसभा चुनाव लोकसभा के साथ ही होने हैं। ऐसे में वहां की राजनीति गरमाई हुई है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि हाल में जिस तरह से लोकसभा में मोदी सरकार के अविश्वास प्रस्ताव पर राज्य के दोनों सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों वाईएसआरसीपी व तेलुगुदेशम ने भाजपा का साथ दिया था उससे जाहिर है कि दोनों दल गठबंधनों की राजनीति में उलझने के बजाए भविष्य के लिए केंद्रीय सत्ता के साथ अच्छे संबंध रखना चाहते हैं।
भाजपा एवं तेलुगुदेशम पूर्व में साथ रह चुके हैं। इस बार भी दोनों के साथ आने की संभावना बनी हुई है। हालांकि भाजपा ने डी पुरंदेश्वरी को राज्य की कमान सौंप कर साफ कर दिया है कि वह राज्य में एनटी रामाराव की विरासत का कुछ हिस्सा अपने साथ भी लाना चाहती है। एनटी रामाराव की राजनीतिक विरासत उनके दामाद तेलुगुदेशम के नेता चंद्रबाबू नायडू संभाल रहे हैं और रामाराव की बेटी डी पुरंदेश्वरी के साथ उनका छत्तीस का आंकड़ा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि चंद्रबाबू नायडू के लिए उनके साथ आने के दरवाजे बंद नहीं हैं, लेकिन यह देखना होगा कि भाजपा को उसमें लाभ है या केवल चंद्रबाबू को ही लाभ मिलेगा। इसके अलावा आगे की राजनीति के लिए भी यह गठबंधन करना ठीक होगा या नहीं।
सूत्रों के अनुसार भाजपा लोकसभा और विधानसभा दोनों के लिए पवन कल्याण के साथ तेलुगुदेशम को भी साथ लाने की कोशिश कर रही है। ऐसा होने पर वह लड़ाई में आ सकती है, लेकिन इसमें कई राजनीतिक पेंच भी हैं। इसके पहले तेलंगाना का विधानसभा चुनाव होना है। माना जा रहा है कि इसके नतीजे आने के बाद भाजपा गठबंधन को लेकर कुछ फैसला कर सकती है। गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में 2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 25 सीटों में वाईएसआरसीपी को 22 और तेलुगुदेशम को तीन सीटें मिली थी। विधानसभा में 175 सीटों में वाएएसआरसीपी को 151 और तेलुगुदेशम को 23 सीटें मिली थी और एक अन्य के खाते में गई थी।