दिल्ली विधानसभा के लिए होने जा रहे चुनाव में राजनीतिक विमर्श धीरे-धीरे अपने निम्न स्तर पर पहुंचता दिखाई दे रहा है। हाल ही में भाजपा प्रत्याशी रमेश विधूड़ी द्वारा मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ आपत्तिजनक और अनर्गल बातें कहे जाने की घटना ने चुनावी माहौल को और अधिक विवादास्पद बना दिया है। आप नेता अरविंद केजरीवाल की काट पर भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के कथित समर्थकों द्वारा हमला किया जाना और विधूड़ी का बयान राजनीतिक शुचिता एवं गरिमा पर गम्भीर सवाल खड़े करता है। मर्यादाविहीन इन चुनावों में आम आदमी पार्टी सीबीआई और ईडी के दुरुपयोग का आरोप लगा रही है तो भाजपा और कांग्रेस उस पर दिल्ली को बर्बाद करने और अरविंद केजरीवाल तथा मनीष सिसोदिया द्वारा किए गए कथित भ्रष्टाचार को मुद्दा बना चुनावी रण में उतर चुकी हैं
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 धीरे-धीरे अपने चरम पर पहुंच रहा है और यह चुनाव कई कारणों से बेहद रोचक बनता जा रहा है। जहां भाजपा ने इस बार सत्ता पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं आम आदमी पार्टी तीसरी बार सत्ता में वापसी करने के लिए कमर कस चुकी है। कांग्रेस, जो पिछले कुछ वर्षों से हाशिए पर रही है, भी आक्रामक होकर मैदान में उतरी है।
भाजपा का दांव
भाजपा दिल्ली में अपनी सरकार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रही है। पार्टी ने मुख्यमंत्री आतिशी मार्लेना, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया जैसे दिग्गजों के खिलाफ दमदार उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा ने ‘विकास’ और ‘राष्ट्रवाद’ को अपना मुख्य चुनावी मुद्दा बनाया है। इसके अलावा, सावरकर की विचारधारा और हिंदुत्व की राजनीति को भी दिल्ली में बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है। पार्टी ने दिल्ली के स्थानीय मुद्दों जैसे अनधिकृत कॉलोनियों, प्रदूषण, और जल संकट को लेकर कई योजनाओं की घोषणा की है। भाजपा के हाईकमान, जिसमें प्रधानमंत्री और गृहमंत्री शामिल हैं दिल्ली के मतदाताओं को रिझाने के लिए कई रैलियां और जनसभाएं कर रहे हैं।
आप की रणनीति
अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में ‘आप’ दिल्ली में शिक्षा, स्वास्थ्य और बिजली-पानी के मुद्दों पर जोर दे रही है। आप का कहना है कि उनकी सरकार ने दिल्ली की जनता को ‘मुफ्त सेवाओं’ का लाभ देकर जीवन को सरल बनाया है। हालांकि पार्टी को हाल ही में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, जैसे कि मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी और कुछ विधायकों का टिकट काटा जाना। आप इस बार अपनी ‘मोहल्ला क्लीनिक’ और ‘दिल्ली मॉडल ऑफ गवर्नेंस’ को चुनावी मुद्दा बना रही है। पार्टी ने यह भी दावा किया है कि भाजपा की ओर से उसे बदनाम करने की कोशिश की जा रही है।
कांग्रेस का पुनर्जीवन
कांग्रेस पार्टी, जो शीला दीक्षित के नेतृत्व में तीन बार दिल्ली की सत्ता में रह चुकी है, ‘एकला चलो’ की नीति अपना, ‘आप’ और भाजपा के खिलाफ खुलकर प्रचार कर रही है। कांग्रेस ने दिल्ली के मतदाताओं को यह याद दिलाने का प्रयास किया है कि उनके शासन के दौरान दिल्ली ने विकास के कई आयाम छुए। हालांकि कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर है, लेकिन इंडिया गठबंधन से अलग होकर उसने अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश की है। पार्टी स्थानीय मुद्दों को प्राथमिकता देते हुए जनता से जुड़ने का प्रयास कर रही है।
मुख्य मुद्दे
शिक्षा और स्वास्थ्य: आप के नेतृत्व में शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार का मुद्दा महत्वपूर्ण बना हुआ है। भाजपा और कांग्रेस इसे ‘अधूरा विकास’ कहकर निशाना बना रहे हैं।
बिजली और पानी: आप की ‘मुफ्त सेवाओं’ की नीति भाजपा और कांग्रेस के निशाने पर है। भाजपा ने इसे ‘लॉलीपॉप राजनीति’ कहा है।
प्रदूषण और पर्यावरण: दिल्ली का प्रदूषण एक बड़ा मुद्दा है। भाजपा और ‘आप’ दोनों ने इसे लेकर योजनाओं की घोषणा की है, लेकिन जनता वास्तविक बदलाव की प्रतीक्षा कर रही है।
महंगाई और रोजगार: कांग्रेस ने महंगाई और बेरोजगारी को लेकर ‘आप’ और भाजपा, दोनों को घेरने की कोशिश की है।
राजनीतिक समीकरण और संभावनाएं
दिल्ली का चुनाव हमेशा से बहुकोणीय रहा है, लेकिन इस बार मुकाबला ‘आप’ और भाजपा के बीच कड़ा दिख रहा है। कांग्रेस की भूमिका निर्णायक हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां उसके पुराने आधार अब भी मौजूद हैं। भाजपा अपने राष्ट्रीय मुद्दों और केंद्र सरकार की योजनाओं पर भरोसा कर रही है, जबकि आप अपनी क्षेत्रीय नीतियों को आगे रखकर तीसरी बार सत्ता में लौटने की कोशिश कर रही है।
आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल केवल विकास और जनकल्याण के वादों तक सीमित नहीं रहा है। इस बार भ्रष्टाचार के आरोपों ने चुनावी जंग को और गर्मा दिया है। भाजपा ने आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल पर गम्भीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर उन्हें कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। वहीं, केजरीवाल और उनकी पार्टी इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए भाजपा पर केंद्रीय जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) का दुरुपयोग करने का आरोप लगा रही है।
प्रमुख आरोपों में शामिल हैं:
एक्साइज पॉलिसी घोटाला
भाजपा का दावा है कि आप सरकार की नई शराब नीति में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ। इस मामले में दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद इसे और गम्भीरता से उठाया गया। भाजपा का आरोप है कि इस नीति के तहत ‘आप’ नेताओं ने निजी कम्पनियों को फायदा पहुंचाया और सरकारी खजाने को नुकसान हुआ।
दिल्ली के स्कूल निर्माण में घोटाला
भाजपा ने दावा किया कि केजरीवाल सरकार ने स्कूल निर्माण में बड़ी अनियमितताएं कीं। बजट में कथित रूप से बढ़ोतरी की गई और ठेकेदारों को फायदा पहुंचाया गया।
मोहल्ला क्लीनिक घोटाला
भाजपा का आरोप है कि मोहल्ला क्लीनिक परियोजना में अनियमितताएं हैं और इस परियोजना के जरिए धन का दुरुपयोग हुआ।
चुनावी फंडिंग में अनियमितता
भाजपा ने यह भी आरोप लगाया कि ‘आप’ को चंदा देने वाले कुछ स्रोत संदिग्ध हैं और इस पैसे का उपयोग चुनाव प्रचार में किया गया।
आप का बचाव
आम आदमी पार्टी ने भाजपा के इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। केजरीवाल और उनकी पार्टी का कहना है कि भाजपा इन मामलों को मुद्दा बनाकर ‘आप’ को बदनाम करने की कोशिश कर रही है।
केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग
आप का आरोप है कि भाजपा केंद्रीय जांच एजेंसियों (ईडी और सीबीआई) का इस्तेमाल करके ‘आप’ नेताओं पर दबाव बना रही है।
सत्ता हथियाने की कोशिश
केजरीवाल ने यह आरोप लगाया है कि भाजपा दिल्ली में सत्ता पाने के लिए लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का सम्मान नहीं कर रही है और जांच एजेंसियों के जरिए उन्हें कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
न्यायालय में विश्वास
आप नेताओं ने दावा किया है कि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है और वे न्यायपालिका पर भरोसा करते हैं। मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को ‘राजनीतिक बदले’ का हिस्सा बताया है।
भाजपा का भ्रष्टाचार
‘आप’ ने पलटवार करते हुए दावा किया कि भाजपा खुद घोटालों में लिप्त है और वह दिल्ली के विकास मॉडल को नष्ट करना चाहती है। भाजपा ने भ्रष्टाचार के मामलों को जोर-शोर से उठाकर ‘आप’ के ‘ईमानदारी’ के दावे को कमजोर करने की कोशिश की है तो दूसरी तरफ ‘आप’ इसे ‘पीड़ित कार्ड’ की तरह पेश कर मतदाताओं से अपील कर रही है कि वे ‘दिल्ली मॉडल’ को बचाने के लिए वोट दें।
तार-तार होती मर्यादा
भाजपा प्रत्याशी रमेश विधूड़ी ने मुख्यमंत्री आतिशी के खिलाफ एक जनसभा में अमर्यादित और व्यक्तिगत टिप्पणियां कीं। इन टिप्पणियों को न केवल आपत्तिजनक माना गया, बल्कि इससे महिला राजनीति की गरिमा को भी ठेस पहुंची है। आम आदमी पार्टी ने इस बयान को महिलाओं के प्रति भाजपा की ‘गम्भीर असंवेदनशीलता’ का प्रतीक बताया। ‘आप’ ने चुनाव आयोग से विधूड़ी पर कार्रवाई की मांग की और कहा कि यह बयान भाजपा की हताशा को दर्शाता है।
विधूड़ी विवाद शांत भी नहीं हुआ था कि आप नेता की काट पर भाजपा प्रत्याशी प्रवेश वर्मा के समर्थकों द्वारा कथित तौर पर पथराव कर दिया गया। आप केजरीवाल की जान को खतरा बता इसे चुनावी मुद्दा बनाने में जुट गई है तो भाजपा इस घटना को चुनावी स्टंट बता खारिज कर रही है।
भाजपा का रुख
भाजपा ने विधूड़ी के बयान पर सीधे तौर पर कोई माफी नहीं मांगी, लेकिन इसे उनकी व्यक्तिगत राय बताकर पार्टी को अलग रखा।
चुनावी माहौल और गरिमा पर प्रभाव
चुनावी परिदृश्य में महिला नेताओं पर इस तरह के व्यक्तिगत हमले राजनीति में बढ़ती असहिष्णुता और महिलाओं के लिए मुश्किल माहौल को दर्शाते हैं। आतिशी ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बयान केवल उनके खिलाफ नहीं, बल्कि सभी महिलाओं के सम्मान के खिलाफ है।
राजनीतिक विमर्श का गिरता स्तर
यह घटना भारतीय लोकतंत्र में राजनीतिक बहसों की गुणवत्ता पर सवाल उठाती है। जहां चुनावी बहसों का विषय नीति और विकास होना चाहिए, वहीं व्यक्तिगत हमले, अनर्गल बयान इसे गंदा खेल बना देते हैं।
चुनाव आयोग की भूमिका
इन मामले ने चुनाव आयोग की जिम्मेदारी बढ़ा दी है। यदि ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई नहीं होती, तो इससे चुनावी प्रक्रिया और राजनीतिक शुचिता पर बुरा प्रभाव पड़ेगा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चुनाव आयोग को रमेश विधूड़ी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
विधूड़ी की टिप्पणियां न केवल व्यक्तिगत रूप से अपमानजनक हैं, बल्कि यह भारतीय राजनीति की गिरती हुई मर्यादा का भी प्रतीक हैं। दिल्ली चुनाव में इस तरह के बयानों को गम्भीरता से लिया जाना चाहिए और लोकतंत्र की गरिमा बनाए रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों को अपने आचरण में सुधार करना चाहिए। कुल मिलाकर दिल्ली विधानसभा चुनाव केवल एक राजनीतिक लड़ाई नहीं, बल्कि तीन प्रमुख पार्टियों के भविष्य की दशा-दिशा तय करने वाला है।
सराय काले खां निवासी देवेंद्र वशिष्ठ कहते हैं कि पार्टी कोई भी आए लेकिन काम करने वाली सरकार आनी चाहिए। पिछले चुनाव में हमने देखा था कि पार्टी आई, सीट भी मिली। लेकिन उनको काम नहीं करने दिया गया। अगर कोई मुख्यमंत्री बना है तो जनता ने ही उसे बनाया है। दिल्ली का हाल देखो। कोई काम नहीं हुआ। पिछले 5 सालों में कभी किसी को अंदर डाला तो कभी किसी को। इस अंदर-बाहर की राजनीति से विकास नहीं हुआ।
अशोक नगर निवासी विनोद कुमार की मानें तो इस बार फिर दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के आसार ज्यादा हैं। क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने जो काम किया है वो किसी भी पार्टी ने नहीं किया है। पहले कांग्रेस की सरकार थी वो भी काफी अच्छा काम करती थी, लेकिन कुछ गलतियों से वो हट गई।
करावल नगर के राजसिंह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में हर तरीके से काम किया है। चाहे वह शिक्षा के क्षेत्र में हो या फिर स्वास्थ्य के क्षेत्र में। पहले रोड खराब थे लेकिन अब वह सही की जा रही हैं। अगर मैं समस्या की बात करता हूं तो अस्पतालों में दवाइयों की थोड़ी-बहुत कमी है। अगर इसको हटाकर देखा जाए तो दिल्ली में आप अच्छा काम कर रही है और बाकी राज्यों के हिसाब से दिल्ली का हाल बेहतर है।
रोहिणी विधानसभा क्षेत्र की रहने वाली शीतल चौधरी के अनुसार चुनाव से पहले किए जाने वाले सभी वादे दिखावटी हैं। केजरीवाल ने पहले भी फ्री पानी-बिजली देने की बात की थी, जो ठीक से नहीं मिल रही हैं। इसी तरह महिलाओं को प्रतिमाह 2100 रुपए देने वाली बात भी एक चुनावी वादा है। 2014 के बाद से दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा भी बड़ा सवाल है। जबकि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महिला सुरक्षा को लेकर अच्छा काम कर रहे हैं।