भारतीय जीवन बीमा निगम का पहला पब्लिक इश्यू रूस-यूक्रेन युद्ध की भेंट चढ़ता नजर आने लगा है। भारतीय शेयर बाजार में अब तक के सबसे बड़े इस पब्लिक इश्यू के जरिए केंद्र सरकार की मंशा पूंजी विनिवेश के पूरा नहीं हो पा रहे लक्ष्य को पाने का है। 2020-21 के बजट में सरकार ने सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेच 1.75 लाख करोड़ पाने का टारगेट रखा था जिसे फरवरी 2022 आते-आते घटाकर 78 हजार करोड़ कर दिया गया। अब तक सरकार इस टारगेट को भी हासिल कर पाने में विफल रही है। एयर इंडिया समेत कुछेक सरकारी कंपनियों की बिक्री से मात्र 12 हजार करोड़ सरकारी खजाने में जमा हो पाए हैं। सरकार को उम्मीद है कि एलआईसी की पांच प्रतिशत भागीदारी बेच वह 68 हजार करोड़ कमा लेगी। अब लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते आर्थिक मंदी के बादलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। बहुत संभव है कि इस पब्लिक इश्यू को अगले वित्तीय वर्ष के लिए टालने को सरकार विवश हो जाए। यदि ऐसा हुआ तो उसका पूंजी विनिवेश के जरिए कमाई की उम्मीद पूरी तरह टूट जाएगी
भारत की सबसे बड़ी सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी का पहला पब्लिक इश्यू इस साल मार्च में लिस्ट होने वाला है। लेकिन रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण भारत सरकार इसे टालने पर विचार करती नजर आ रही है।
दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्वभर में आर्थिक मंदी का संकट गहराने लगा है। न्यूयॉर्क स्टाक एक्सचेंज समेत विश्व के सभी 16 स्टॉक एक्सचेंज भारी दबाव का सामना कर रहे हैं। युद्ध शुरू होने के साथ ही पेट्रोल, डीजल, गैस, स्टील समेत अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी सभी वस्तुओं के दामों में भारी उछाल आ चुका है। स्टील के दामों में 15 प्रतिशत की बढ़ोतरी अब तक हो चली है। तेल के आयात पर निर्भर देशों में अभी से इसकी किल्लत होने लगी है। 2014 के बाद पहली बार कच्चे तेल के दाम एक सौ तीस डॉलर प्रति बैरल को पार कर चुके हैं। गौरतलब है कि रूस पूरे यूरोप की कुल तेल जरूरत का 35 प्रतिशत अकेले रूस से आता है। 24 फरवरी को जैसे ही रूस ने यूक्रेन पर धावा बोला पूरे विश्वभर का शेयर बाजार गहरे सदमे में आ गया। शेयर बाजार में फैली घबराहट का असर भारतीय जीवन बीमा निगम के पहले पब्लिक इश्यू पर पड़ने की आशंका से चिंतित केंद्र सरकार अब इसे मार्च के बजाय अगले वित्तीय वर्ष में लाने की संभावना टटोलने लगी है। गौरतलब है कि देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी एलआईसी ने अपने आईपीओ की अर्जी 13 फरवरी को सेबी में दाखिल की थी। इस आईपीओ के ड्राफ्ट ऑफर डॉक्यूमेंट के मुताबिक आईपीओ में सरकार एलआईसी की अपनी 5 फीसदी हिस्सेदारी बेचेगी। एलआईसी के इस आईपीओ को देश का अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ माना जा रहा है।
इस आईपीओ के इश्यू प्राइस का निर्धारण अभी होना बाकी है। बाजार के जानकारों का अनुमान है कि इस आईपीओ के जरिए सरकार को 63,000 करोड़ रुपए प्राप्त हो सकते हैं।
विनिवेश लक्ष्य पर मंडराता खतरा
यूक्रेन पर रूस के हमले के वजह से कच्चे तेल के भाव मार्च के दूसरे सप्ताह में 130 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गए हैं। सेंसेक्स 1.38 फीसदी टूट गया। डॉलर के मुकाबले रुपए में भी भारी गिरावट देखने को मिल रही है। पूर्वी यूरोप के इस संकट ने पूरी दुनिया के बाजारों को आर्थिक संकट में डाल दिया है। इन सबके बीच एलआईसी आईपीओ के लिए कुछ सॉवेरन फंडों के साथ इस हफ्ते और अगले हफ्ते रोड शो आयोजित करने की योजना बना रहा है। सरकार इस इश्यू का प्रबंधन करने वाले मर्चेट बैंकों के साथ ही सभी दूसरे स्टेक होल्डरों के साथ लगातार संपर्क में बना रही है। एलआईसी के आईपीओ के ड्राफ्ट पेपर के मुताबिक, इस आईपीओ के ऑफर फॉर सेल के तहत एलआईसी के 31.62 करोड़ शेयरों की बिक्री की जाएगी।
सरकार के समक्ष सबसे बड़ा संकट वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए पूंजी विनिवेश का लक्ष्य पाना है। गत् वर्ष बजट पेश करते समय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सरकारी कंपनियों में सरकार की भागीदारी कम करने अथवा पूरी तरह समाप्त कर सरकारी खजाने में धन प्राप्ति का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रखा था जिसे पाने में विफल रहने के चलते अब घटाकर 78,000 करोड़ कर दिया है। अभी तक इस मद में सरकार कुल 12, 030 करोड़ ही जुटा पाई है। यह धनराशि उसे कुछ सरकारी कंपनियों को बेचने और एयर इंडिया की बिक्री से प्राप्त हुई है। सरकार को भरोसा है कि एलआईसी के पांच प्रतिशत हिस्सेदरी बेच उसे 68 हजार करोड़ की आमदनी हो जाएगी। अब लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते यह आईपीओ अगले वित्तीय वर्ष के लिए टालने की संभावना बढ़ गई है जिस कारण सरकार का विनिवेश के जरिए पूंजी पाने का लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है।
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही एक इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था, ‘वैसे तो मैं पहले की योजना के मुताबिक ही जाना चाहूंगी, क्योंकि एलआईसी आईपीओ भारतीय मार्केट पर निर्भर करता है। लेकिन अगर ग्लोबल माहौल बिगड़ता है तो इसकी टाइमिंग पर दोबारा विचार किया जा सकता है।’
अब तक का सबसे बड़ा पब्लिक इश्यू
एलआईसी का पहला पब्लिक इश्यू यदि सफल रहा तो भारतीय स्टॉक बाजार का यह सबसे बड़ा इश्यू हो सकता है। इतना ही नहीं एलआईसी के शेयर बाजार का हिस्सा बनने के बाद उसका बाजार आधारित मूल्यांकन भी संभव हो सकेगा। इसका मतलब यह कि इस इश्यू के बाद इस सरकारी कंपनी की कुल आर्थिक ताकत को रिलायंस समूह, अडानी समूह, टाटा समूह इत्यादि के बरस्क तौला जा सकेगा। अभी तक भारत का सबसे बड़ा आईपीओ पेटीएम कंपनी का रहा है जिसमें पब्लिक इश्यू लाकर पेटीम ने कुल 18,300 करोड़ जुटाए हैं। 2010 में सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड ने अपना आईपीओ लाकर 15,500 करोड़ जुटाए थे। रिलायंस पावर का 2008 में लाया गया पब्लिक इश्यू भी खासा सफल रहा था। तब कंपनी ने अपने शेयर बेच 11,700 करोड़ हासिल किए थे।
एलआईसी के आईपीओ की मुख्य बातें
भारतीय जीवन बीमा निगम के कुल 632.49 करोड़ शेयर हैं जिसका मालिक भारत सरकार है
वर्तमान में प्रति शेयर मूल्य 10 रुपया है
इन 632.49 करोड़ में से पांच प्रतिशत यानी 31.6 करोड़ शेयर सरकार पब्लिक को बेचने जा रही है।
सरकार जो भी प्रति शेयर मूल्य तय करेगी, भारतीय जीवन बीमा निगम के कर्मचारियों और पॉलिसी धारकों को उसमें कुछ छूट के साथ शेयर मिलेंगे।
वित्तीय बाजार के अनुसार भारतीय जीवन बीमा निगम के कुल 632.49 करोड़ शेयर्स का मूल्य 5.4 लाख करोड़ आंका गया है। सीधा अर्थ यह कि प्रति शेयर मूल्य लगभग 20 हजार के आस-पास हो सकता है।
एक अनुमान के अनुसार एलआईसी का वर्तमान में बाजार मूल्य लगभग 16 लाख करोड़ है।