पुणे में भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में नागरिक अधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा ने 14 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
बीते 8 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने गौतम नवलखा और आनंद तेलतुम्बड़े को आत्मसमर्पण करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया था।
14 अप्रैल (मंगलवार) को आत्मसमर्पण करने से पहले सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने एक खुला खत लिखा।जिसमें उन्होंने गैरकानून गतिविधि (निवारक) अधिनियम (यूएपीए) की आलोचना की है।इसी अधिनियम के तहत पुणे पुलिस ने उन पर मामला दर्ज किया है।
पुणे पुलिस ने 1 जनवरी, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगांव में हिंसा को लेकर माओवादियों से कथित संबंध और अन्य आरोपों में यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया है।
गौतम नवलखा ने अपने ख़त में लिखा है, ‘ऐसे कानून सामान्य न्याय की अवधारणा को बर्बाद कर देते हैं।अब यह स्वयंसिद्ध नहीं है कि कोई व्यक्ति तब तक निर्दोष माना जाएगा जब तक वह दोषी साबित नहीं हो जाता है।वास्तव में ऐसे कानूनों के तहत, ‘एक आरोपी तब तक दोषी है जब तक कि निर्दोष साबित न हो जाए।’
साथ ही उन्होंने सबूतों को इकट्ठा करने और उन्हें पेश किए जाने के तरीके की भी आलोचना की।उन्होंने कहा कि यूएपीए के बेहद सख्त प्रावधानों में ऐसी सख्त प्रक्रियाएं नहीं हैं।
उन्होंने आगे कहा, ‘इस दोहरे झटके से जेल मानक बन जाता है जबकि जमानत एक अपवाद बन जाती है।’
नवलखा ने कहा कि वह नई दिल्ली में राष्ट्रीय जांच एजेंसी में आत्मसमर्पण करेंगे।उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के इससे पहले के आदेश का अनुपालन नहीं किया क्योंकि वह लॉकडाउन के दौरान आत्मसमर्पण करने के लिए मुंबई की यात्रा नहीं कर सकते थे।
दोनों कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तब खटखटाया था जब अग्रिम जमानत के लिए उनकी याचिकाओं को बॉम्बे हाईकोर्ट की एकल पीठ ने खारिज कर दिया था।
उन्होंने कोरोना वायरस के हालात को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट से आत्मसमर्पण के लिए और अधिक समय की मांग की थी।
नागरिक अधिकार कार्यकर्ता आनंद तेलतुम्बड़े और गौतम नवलखा पर 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद की बैठक में भड़काऊ भाषण देने के भी आरोप हैं।
तेलतुम्बड़े ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार एनआईए के दक्षिण मुंबई के कम्बाला हिल स्थित कार्यालय में आत्मसमर्पण किया।
उन्हें विशेष अदालत के समक्ष ले जाया गया, जहां एनआईए ने इस मामले में उनकी कथित भागीदारी की जांच करने की मांग करते हुए उन्हें 10 दिन तक हिरासत में रखे जाने की मांग की।
विशेष न्यायाधीश एटी वानखेडे ने तेलतुम्बड़े को 18 अप्रैल तक एनआईए की हिरासत में भेज दिया है।
तेलतुम्बड़े अपनी पत्नी रमा आंबेडकर और उनके भाई प्रकाश आंबेडकर के साथ आत्मसमर्पण करने के लिए यहां एनआईए के कार्यालय पहुंचे थे।
उन्हें 15 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये विशेष अदालत के समक्ष पेश किया जाना तय किया गया।उन्हें एनआईए की मांग पर मुंबई भी लाया जा सकता है।