-आम आदमी पार्टी के राज्य सभा सांसद संजय सिंह का राजनीतिक ग्राफ दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है।
जहां एक तरफ उनकी पार्टी के सर्वेसर्वा अरविंद केजरीवाल दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री बन केवल दिल्ली के होकर रह गए है, संजय सिंह हर मुद्दे पर केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्य सरकारों के खिलाफ सड़क से संसद तक मुखर हो आम आदमी पार्टी का जनाधार बढ़ाने के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दलों को पछाड़ राष्ट्रीय राजनीति में लगातार मजबूत नेता के तौर पर भी उभरने में सफल हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को हाथरस कांड चलते बैकफुट में लाने का प्रयास हो या फिर कोरोनाकाल में सरकारी तंत्र के कथित भष्ट्राचार के खिलाफ आवाज उठाना हो, सुल्तानपुर के रेड्डी-पट्टी वालों के मुद्दों को उठा अपनी राजनीतिक यात्र शुरू करने वाले संजय सिंह का कद ‘आप’ के अन्य नेताओं की तुलना में खासा बढ़ चुका है।
‘हमला बोलो – सीधे बोलो – सामने बोलों’ की नीति पर अमल करने के आदी संजय सिंह ने 25 दिसंबर को संसद के केंद्रीय कक्ष में प्रधानमंत्री मोदी के सामने किसानों का मुद्दा उठा हगांमा खड़ा कर दिया। दरअसल संसद में पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मदन मोहन मालवीय के जन्मदिवस पर आयोजित माल्यापर्ण कार्यक्रम के दौरान संजय सिंह और ‘आप’ के लोकसभा सांसद भगवंत मान ने पीएम मोदी से किसानों की बात सुनने और तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की बात अनुठे तरीके से उठा डाली। पीएम मोदी जब कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी और गुलाम नवी आजाद से सेट्रंल हाल में बतिया रहे थे, एकाएक ही इन दोनों सांसदों ने अपने साथ छुपाकर लगाई गई नारों की पट्टियां हाथ में लेकर नारेबाजी शुरू कर डाली। सकते में आए पीएम बगैर इन नेताओं से मिले चुपपाच सेंट्रल हाल से निकल गए। खबर है कि संजय सिंह और भगवंत मान के इस एक्शन प्लान की जानकारी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को भी नहीं थी।