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बंजर बनती भूमि , चिंता का विषय

मानव जाति के अस्तित्व को बचाये रखने में प्रकृति की महत्वपूर्ण भूमिका है। लेकिन लगातार होता भूमि निम्नीकरण चुनौती का विषय बनता जा रहा है। भूमि निम्नीकरण एक ऐसी मानव निर्मित या प्राकृतिक प्रक्रिया है, जो किसी पारितंत्र में भूमि को प्रभावशाली ढंग से कार्य करने की क्षमता को घटा देती है।

 

हाल ही में संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोकथाम अभिसमय (यूएनसीसीडी) द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार, 251.71 मिलियन भारतीय भूमि क्षरण, मतलब मृदा का अपने स्थान से विविध क्रियाओं द्वारा स्थानान्तरित होना भी भूमि निम्नीकरण का ही परिणाम है। जो भारत की कुल आबादी का 18.39 फीसदी है। भारत की कुल बंजर भूमि 4 करोड़ 30 लाख फुटबॉल मैदानों के आकार के बराबर है।  रिपोर्ट के अनुसार साल 2015 से 2019 के बीच भारत की 3.51 करोड़ हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि बर्बाद हो गयी है। जो देश की कुल भूमि का लगभग 9.45 फीसदी हिस्सा है।  यह आंकड़ा साल 2015 में यह 4.42 फीसदी था।

 

भूमि

भूमि निम्नीकरण के कारण

भूमि निम्नीकरण के कई कारण होते हैं जिसकी अधिकता से मौसम की स्थिति प्रभावित होती है, इससे सूखे का खतरा बढ़ जाता है। भूमि निम्नीकरण मानवीय गतिविधियों के कारण भी उत्त्पन्न होता है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता और भूमि की उपयोगिता को प्रदूषित होती है। यह खाद्य उत्पादन, आजीविका, और अन्य पारिस्थितिक तंत्र वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन और प्रावधान को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इसके कारण निम्नलिखित हैं-

वनों की कटाई: पेड़ मृदा को बाँध कर रखते हैं लेकिन लकड़ी, ईंधन और वन उत्पादों की मांग में वृद्धि के कारण तेजी से वनों की कटाई हो रही है, जिससे भूमि संसाधनों का क्षरण हो रहा है।

औद्योगीकरण और शहरीकरण : देश की अर्थव्यवस्था के लिए उद्योगों का उदय अत्यधिक वनों की कटाई और भूमि की खपत को उस बिंदु तक ले जाता है जहां भूमि में स्वाभाविक रूप से सुधार करने की क्षमता नहीं रह जाती है। भूमि क्षरण के कारणों में से एक जनसंख्या वृद्धि और अधिक आवासीय क्षेत्रों और वाणिज्यिक क्षेत्रों की मांग है।

 

अति चराई :  मवेशियों द्वारा घास और अन्य हरी वनस्पतियों के अत्यधिक सेवन से अति चराई की समस्या उत्पन्न होती हैं। भूमि क्षरण, पौधों की विविधता में कमी, अवांछनीय पौधों की प्रजातियों का अत्यधिक प्रसार, और वनस्पति विकास में कमी, ये सभी मवेशी आंदोलन को प्रभावित करते हैं।

खनन : खनन प्रक्रिया में आने

वाली वृद्धि भी भूमि निम्नीकरण की वजह बन रही है। दरअसल खनन के उपरांत खदानों वाले स्थानों को गहरी खाइयों और मलबे के साथ खुला छोड़ दिया जाता है। जिसके कारन मृदा अपरदन बढ़ता है। खनन के कारण झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में वनोन्मूलन भूमि निम्नीकरण का कारण बना है।

कृषि के तरीके : वर्तमान समय में कृषि में कीटनाशकों और उर्वरकों के अत्यधिक उपयोग से कृषि भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता और उर्वरता खत्म होती जा रही है।

 

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