हर वर्ष के इस समय दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित शहरों में सबसे आगे आती है। दिल्ली में काफी समय से प्रदूषण की समस्या बढ़ती ही जा रही है इससे लोगों के स्वास्थ्य पर भी गहरा संकट पैदा हो गया है। इस बढ़ते संकट को कम करने के लिए दिल्ली सरकार ने राजधानी में चल रहे सारे निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी है। यह निर्णय प्रदूषण कम करने के लिए तो कुछ हद तक सही रहा लेकिन इससे एक और संकट ने जनम ले लिया है। निर्माण कार्यों में काम कर रहे सारे मजदूर काम न मिलने के कारण भुकमरी की स्थिति पर पहुंच गए हैं। इन मजदूरों के घर में 6-7 लोग इन्ही की कमाई के ऊपर निर्भर करते हैं अब उनके खाने के लिए भी यह मजदूर पैसे नहीं जुटा पा रहे हैं।
एक ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार तोताराम मौर्य जो एक दहाडी मजदूर हैं बताते हैं कि ‘अपने परिवार में अकेले कमाने वाले हैं और उनके ऊपर सात लोगों का पेट भरने की जिम्मेदारी है। वह निर्माण स्थलों पर ईंट और सीमेंट की बोरियां ढोने का काम करते हैं, लेकिन दिल्ली में निर्माण कार्य पर प्रतिबंध लगने के कारण उन्हें 10 दिन से कोई काम नहीं मिला है। यमुना नदी के किनारे स्थित अपनी झुग्गी के पास बैठे दूसरे मजदूर ने बताया अगर मैं वायु प्रदूषण से बीमार हो जाऊं और मर जाऊं, तो मैं काम करते हुए मरना पसंद करूंगा, क्योंकि मेरे पास परिवार का पेट भरने के कोई रास्ता तो होगा लेकिन इस तरह न केवल में बल्कि मेरे परिवार पर भी भूख का संकट आ गया है।’
45 वर्षीय मौर्य को एक दिन के काम के लिए 500 रुपये मिलते हैं। उनके लिए भी सर्दियों में जहरीली हवा के बीच काम करना मुश्किल होता है। वह कहते हैं, “खासकर ऐसे समय में भारी सामान उठाना कठिन है, जब प्रदूषण होता है। जब धुआं फेफड़ों में जाता है और आंखें जलने लगती हैं तो मुझे बहुत खांसी होती है। इससे बचाव का एकमात्र उपाय चेहरे पर रूमाल डालना है।
दो करोड़ की आबादी वाला दिल्ली शहर सालभर चरम मौसम का सामना करता है। चिलचिलाती गर्मी से लेकर मूसलाधार बारिश और सर्दी शुरू होने से पहले शहर के लोग जहरीली धुंध का सामना करते हैं। क्योंकि आज के समय में पैसा कमाकर अपने परिवार का पेट भरना ज़्यादा जरूरी है बशर्ते उसके के अपने परिवार को भूखा छोड़ कर प्रदुषण, बारिश ताप्ती धुप से डर कर घर में बैठ जाना।
वर्ष बदलते गए स्थिति रही सामान
दिल्ली दुनिया की सबसे प्रदूषित राजधानियों में से एक है। अक्टूबर-नवंबर की शुरुआत से ही शहर खराब वायु गुणवत्ता की चपेट में आ जाती है। समस्या से निपटने के सरकार के हर बार अलग-अलग एक्शन के बाद भी दिल्ली की यह समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। हालही में प्रदूषण के कारण छाई कोहरे की परत और खराब हवा होने के कारण सरकार ने निर्माण कार्यों पर रोक लगादी। इस निर्णय से शहर को कुछ राहत तो मिली लेकिन मौर्य जैसे हजारों मजदूर बेरोजगार हो गए हैं।
इस प्रदुषण को कम करने के लिए अधिकारी हवा में सूक्ष्म कणों को साफ करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। ऐसा नहीं करने पर यह कण विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सुरक्षित सीमा से लगभग 20 गुना अधिक स्तर तक बढ़ सकते हैं।
कब मिलेगी साफ हवा
प्रदुषण से समाधान की तलाश में शहर के अधिकारियों ने निर्माण कार्यों पर प्रतिबंध लगा दिया है, शहर में आने वाले भारी वाहनों की एंट्री पर रोक लगा दी और स्कूल भी बंद कर दिए गए हैं। एंटी स्मॉग गन से आसमान में फैले धूल के कणों को हटाया जा रहा है। पिछले हफ्ते हुई बारिश से शहर के लोगों को थोड़ी राहत मिली ही थी कि बैन के बावजूद कुछ लोगों ने रविवार को दीवाली पर खूब पटाखे चलाए, जिससे दिल्ली में सोमवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 420 तक पहुंच गया।
लाखों लोगों की जान लेता प्रदूषण
हवा की गुणवत्ता को 0 से 500 के स्केल पर नापा जाता है। 0 से 50 के बीच एयर क्वॉलिटी को अच्छा माना जाता है, जबकि 300 से ऊपर यह बेहद खतरनाक होती है। दिल्ली में हर साल एक्यूआई 300 से ऊपर दर्ज किया जाता है। इससे शहर के लोगों में तरह-तरह की बीमारियां भी होती रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि वायु प्रदूषण से हर साल दुनिया भर में 42 लाख लोगों की मौत हो जाती है।
अधिकारी हवा खराब होने पर लोगों को बाहरी गतिविधियां सीमित करने की सलाह देते हैं, लेकिन मौर्य जैसे मजदूरों का कहना है कि वे घर पर बैठने या बीमार होने का जोखिम नहीं उठा सकते हैं।