एक तरफ कोरोना संक्रमण से लोग मर रहे हैं दूसरी तरफ उससे बचने के जद्दोजहद में लोगों की मौत हो रही है। आज लॉकडाउन का पांचवां दिन है। सैकड़ों लोग पैदल ही घर के लिए निकल पड़े हैं। सरकार ने कल से कुछ बसों को चलाने की पहल की है। लेकिन दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे पर कल से जिस तरह भीड़ उमड़ रही है वो सरकार पर कई सवाल खड़े करता है। सबसे अहम सवाल ये है कि जब सरकार को मालूम था कि स्थिति भयावह होने वाली है तो उन्होंने इसको लेकर पहले से ही इंतजाम क्यों नहीं किया। उससे भी बड़ा सवाल ये कि प्रधानमंत्री ने जिस दिन पूरे देश को लॉकडाउन का एलान किया उस दिन इसकी शुरुआत 12 बजे रात से क्यों की? उन्होंने जनता कर्फ्यू वाले दिन क्यों नहीं लोगों को बताया कि आने वाले समय में लॉकडाउन की स्थिति पैदा हो सकती है ताकि स्थिति इतनी पैनिक नहीं होती, लोग पहले से सर्तक हो जाते और अपने रहने-खाने का कुछ इंतजाम कर लेते। जिसको जहां जाना था चले जाते। क्या सरकार को देश में रहने और उनके रहने की स्थितियों के बारें में जानकारी नहीं थी। या फिर प्रधानमंत्री ने जानबूझकर रात 8 बजे रात से लेकर रात 12 के बीच के सिर्फ चार घंटे का समय दिया।
नोटबंदी वाले दिन उनका 8 बजे रात को आना तो समझ में आता है पर क्या ऐसे हालात में उनका दिन में या उससे पहले लोगों को स्थिति के बारे में न बताना समझ नहीं आता है। यकायक लॉकडाउन का एलान करना समझ से परे है। जिस दिन प्रधानमंत्री ने ये एलान किया उसके कुछ घंटों में ही मकान मालिकों द्वारा अपने किराएदारों को कमरे से बाहर निकालने की खबर आने लगी। मकान मालिकों को लगा कि जब ये मजदूर काम नहीं करेंगे तो किराया कैसे देंगे। ऊपर से कई मजदूर कह रहे हैं कि काम नहीं तो पैसा नहीं। ऐसे में दुकानदारों ने राशन देने से मना कर दिया तो उनके पास घर निकने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। उनका कहना है कि यहां घर से बाहर मरने से अच्छा है कि हम अपने घर में जाकर मरें, कम-से-कम से हमें वहां कंधा देने तो कोई होगा। सरकार के सारे इंतजाम के बावजूद कई सौ लोग अभी भी भूखे-प्यासे रास्तों में हैं। अबतक आठ लोगों की मौत रास्ते में हो चुकी है।
मध्यप्रदेश के 39 वर्षीय रणवीर सिंह दिल्ली से अपने शहर मुरैना के लिए पैदल निकले थे लेकिन घर पहुंचने से पहले ही उनकी रास्ते में मौत हो गई। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, रणवीर एक प्राइवेट रेस्तरां में होम डिलिवरी मैन के रुप में काम करते थे। रणवीर ने 200 किलोमीटर का सफर तय कर लिया। अभी गांव पहुंचने के लिए 100 किलोमीटर और चलना था पर रास्ते में दिल्ली-आगरा हाई-वे पर उनकी छाती में तेज दर्द हुआ और वहीं उनकी मौत हो गई। रणवीर के तीन बच्चे हैं। पुलिस का कहना है कि रणवीर पैदल चलते-चलते नेशनल हाइवे-2 के कैलाश मोड़ तक पहुंचे थे और वहीं बेहोश होकर गिर पड़े।
सिकंदरा पुलिस स्टेशन के हाउस ऑफिसर अरविंद कुमार ने बताया कि रणवीर को सड़क पर बेहोश देखकर एक स्थानीय दुकानदार संजय गुप्ता ने उनकी तरफ दौड़ लगाई। उन्होंने बताया, “स्थानीय दुकानदार ने रणवीर को दरी पर लिटाया और उनके लिए चाय-बिस्किट लेकर आए लेकिन रणवीर ने सीने में दर्द की शिकायत की और अपने साले को फोन करके अपनी हालत के बारे में बताया। शाम साढ़े 6 बजे के करीब उनकी मौत हो गई। बाद में पुलिस को इसकी जानकारी दी गई।” पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में बताया गया है कि रणवीर की मौत हार्ट अटैक से हुई।
This is just heartbreaking!!
Indian man dies after walking 200 kms to Agra from Delhi amid #Covid lockdown. https://t.co/pw8IyHnyeo
— Ahmer Khan (@ahmermkhan) March 28, 2020
सिकंदरा के एसएचओ अरविंद कुमार ने कहा, “रणवीर अपने घर के लिए पैदल ही चल दिए थे। ऐसा लग रहा है कि 200 किमी पैदल चलने के कारण उनके सीन में दर्द उठा। हालांकि, मौत से पहले पीड़ित ने दावा किया था कि उसने कुछ दूर की यात्रा एक ट्रक में की थी। पूरे एनएच-2 पर पुलिस खाना और पानी लेकर मौजूद थी। लेकिन रणवीर की मौत बहुत दुखद है। वहीं हरीपर्वत के सीओ सौरभ दीक्षित ने बताया, “पोस्टमार्टम में मौत का कारण दिल का दौरा पड़ना बताया गया है लेकिन हमारा मानना है कि लंबी दूरी की यात्रा के कारण ही उन्हें सीने में दर्द उठा।”
दूसरी तरफ एक साथ सात लोगों के मरने की भी खबर आई है। हैदराबाद शहर के बाहरी क्षेत्र पेड्डा गोलकोंडा के पास शुक्रवार को देर रात एक वैन को ट्रक ने टक्कर मार दी जिसमें कर्नाटक के मजदूर सवार थे। दुर्घटना में सात मजदूरों की मौत हो गई और चार लोग घायल हो गए। टाइम्स ऑफ इंडिया के एक रिपोर्ट के अनुसार, सात मृतकों में दो बच्चे भी शामिल हैं।
Telangana: ORR crash kills 8 from Karnataka in desperate bid to go home https://t.co/R23BjeqMa9
— TOI Bengaluru (@TOIBengaluru) March 29, 2020
सहायक आयुक्त (यातायात) विश्व प्रसाद ने बताया कि जब ट्रक ने वैन को टक्कर मारी उस वक्त उसमें 31 लोग सवार थे। दुर्घटना में पांच मजदूरों की मौत मौके पर ही हो गई जबकि दो की मौत इलाज के दौरान हुई। चार लोग अभी अस्पताल में भर्ती हैं जिसमें एक की हालत गंभीर है। सहायक आयुक्त ने बताया कि सभी मजदूर सूर्यपेट इलाके में सड़क निर्माण का काम करते थे। ये सभी लॉकडाउन एलान के बाद कर्नाटक के अपने गृह जिले रायचुर लौट रहे थे। शूरूआती जांच में ये सामने आया है कि जिस ट्रक ने टक्कर मारी उस पर आम लदा था और वह तेज गति में था। ट्रक गुजरात जा रहा था।