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दिलचस्प हुआ कुढ़नी विधानसभा उपचुनाव

बिहार विधानसभा की कुढ़नी विधानसभा सीट पर 5 दिसंबर को उपचुनाव होने वाला है,जिसकी तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। इस चुनाव के लिए एक ओर जहां राज्य की महागठबंधन सरकार की ओर से संयुक्त उम्मीदवार मनोज कुशवाहा ने नामांकन दाखिल किया है,तो वहीं भाजपा के केदार प्रसाद गुप्ता ने भी नामांकन दाखिल कर दिया है। इसके साथ ही चर्चा शुरु हो गई है कि इस उपचुनाव में किस पार्टी की राजनीतिक रणनीति कामयाब होगी ।

 

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 3,11,728 है। जिनमें 1,64,474,पुरुष 1,46,507, महिला ,6 थर्ड जेंडर और 741 सेवा निर्वाचक मतदाता हैं । यह इलाका ग्रामीण क्षेत्र में आता है। जहां कुल मिलाकर 3 लाख 11 हजार 728 मतदाता हैं । इस इलाके की जातीय समीकरण की बात करें तो पहले नंबर पर लगभग 40 हजार मतदाताओं के साथ कुशवाहा जाति के वोटर हैं। इसी को ध्यान में रखकर जेडीयू ने मनोज कुमार सिंह उर्फ मनोज कुशवाहा को अपना प्रत्याशी बनाया है।दूसरे नंबर पर वैश्य समाज के लोग आते हैं, जिनकी संख्या करीब 33 हजार के आसपास है। इसी के चलते भाजपा ने केदार गुप्ता को एक बार फिर से अपना प्रत्याशी बनाया है। इसके अलावा 25 हज़ार मतदाताओं के साथ सहनी समाज तीसरे नंबर पर आता है, जिनके सहारे मुकेश सहनी अपनी ‘नाव ‘ को पार लगाना चाहते हैं ,इसके लिए बाकायदा उन्होंने स्वर्ण समाज से नीलाभ कुमार को प्रत्याशी के तौर पर उतारा है। चौथे नंबर पर करीब 23 हज़ार मतदाताओं के साथ यादव समाज के लोग हैं। इसके अलावा कुर्मी जाति के लोग भी अच्छी खासी संख्या में हैं। वहीं अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति मतदाताओं की संख्या लगभग 19 प्रतिशत है, जिन पर चिराग पासवान की नजर है और वह अपने कार्यकर्ताओं को इन्हीं वोटरों को एकजुट कर भाजपा को वोट डायवर्ट करने को लेकर क्षेत्र में सक्रिय हैं। कुढ़नी सीट पर मुस्लिम मतदाताओं की संख्या भी लगभग 22 हज़ार के आसपास है, जिसपर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने पूर्व जिला पार्षद मुर्तजा अंसारी को प्रत्याशी के तौर पर उतारा है। इस विधानसभा क्षेत्र में अगड़ी जाति के करीब 45 हज़ार मतदाता हैं, जिनकी नाराजगी को भाजपा को दूर करना है। अगर आरजेडी का उम्मीदवार होता तो भाजपा की मुश्किलें बढ़ सकती थी, लेकिन नीतीश कुमार या फिर मुकेश सहनी के साथ अगड़ी जाति के वोटर जाएंगे तो यह मुकाबला देखना दिलच्सप माना जा रहा है ।

यहां सभी राजनीतिक दल जातीय समीकरण के सहारे जीत दर्ज करना चाह रहे हैं । भाजपा ने जेडीयू के मनोज कुशवाहा के सामने पूर्व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता को मैदान में उतार है तो वहीं ‘वीआईपी’ ने नीलाभ कुमार को अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं एआईएमआईएम ने गुलाम मुर्तजा अंसारी को टिकट दिया है। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम और वीआईपी की उम्मीदवारी भाजपा और महागठबंधन का खेल बिगाड़ सकती है। इस सीट पर पिछले चुनाव में सिर्फ 712 वोट से जीत हुई थी। इस चुनाव में भाजपा के केदार गुप्ता,आरजेडी के अनिल सहनी से सिर्फ 712 वोटों से हारे थे। इससे पहले साल 2015 के विधानसभा चुनाव में केदार 11570 वोटों से जीते थे। तब उनका सीधा मुकाबला मनोज कुशवाहा से हुआ था। इस उपचुनाव में भी एक बार फिर दोनों आमने-सामने हैं।

एआईएमआईएम के उम्मीदवार गुलाम मुर्तजा अंसारी जो पूर्व जिला पार्षद भी हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि उनका वोट बैंक महागठबंधन के लिए नुकसानदायक हो सकता है । मुर्तजा जितना वोट पाएंगे, महागठबंधन की परेशानी उतनी अधिक हो सकती है। इसी अनुपात में भाजपा को राहत मिलेगी । हाल ही में हुए गोपालगंज उपचुनाव में महागठबंधन उम्मीदवार करीब 1700 वोटों से हारे, जबकि एआईएमआईएम के उम्मीदवार को 12000 से ज्यादा वोट मिले थे। यह महागठबंधन के लिए राहत हो सकती है। लेकिन नीलाभ कुमार के सामाजिक समीकरण के हिसाब से मिलने वाले वोट,भाजपा के लिए नुकसानदायक हो सकते हैं। नीलाभ भूमिहार जाति से आते हैं, जो बिहार में भाजपा के कोर वोटर माने जाते हैं। इस लिहाज से देखें तो दोनों प्रमुख दलों के लिए वे परेशानी खड़ीकर सकते हैं।

गौरतलब है कि कुढ़नी विधानसभा सीट का इससे पहले प्रतिनिधित्व आरजेडी के अनिल कुमार साहनी करते थे। सीबीआई अदालत की ओर से धोखाधड़ी के एक मामले में सहनी को दोषी करार दिए जाने और तीन साल कैद की सजा सुनाये जाने से इनकी विधायकी छिन जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव कराया जा रहा है।

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