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कोश्यारी ने दिखाया दम चेले हुए बम-बम

उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी भले ही महाराष्ट्र के राज्यपाल बन सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुके हों, प्रदेश भाजपा में अब भी उनका जलवा बरकरार है। विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी द्वारा तय किए गए उम्मीदवारों में से ज्यादा चेहरे, विशेषकर युवा चेहरे, टीम भगत दा का हिस्सा रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी समेत प्रदेश के कुमाऊं और तराई क्षेत्र में भाजपा द्वारा घोषित विधानसभा प्रत्याशियों की सूची में चौतरफा कोश्यारी की छाप नजर आ रही है। पार्टी ने अल्मोड़ा सीट के सीटिंग विधायक रघुनाथ सिंहचौहान का टिकट काट कोश्यारी के करीबी कैलाश शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। इसी प्रकार द्वाराहाट के सीटिंग विधायक महेश नेगी के स्थान पर कोश्यारी के शिष्य अनिल शाही, कपकोट से सुरेश गड़िया, धारचूला से धन सिंह धामी, गंगोलीहाट से फकीर राम टम्टा, लोहाघाट से पूरन फर्त्याल, चम्पावत से कैलाश गहतोड़ी को भाजपा प्रत्याशी बनाया गया है। ये सभी राजनीति का ककहरा कोश्यारी से सीखे हैं। पार्टी सूत्रों की मानें तो कुछ स्थानों पर कोश्यारी अपने करीबियों का टिकट करवाने में सफल जरूर नहीं रहे हैं लेकिन ऐसी सभी सीटों पर उन्होंने प्रदेश की राजनीति में सक्रिय अपने विरोधियों की भी नहीं चलने दी है। जानकारों का दावा है कि नैनीताल सीट पर अंतिम समय तक टिकट को लेकर मंथन चला। पार्टी के एक बड़े नेता और कभी कोश्यारी के शिष्य रहे केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री इस सीट पर कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुई सरिता आर्य को टिकट दिए जाने के पक्ष में नहीं थे। अंतिम समय में मुंबई राजभवन से सलाह-मशविरा कर पार्टी ने सरिता का टिकट तय कर दिया। इसी प्रकार चम्पावत के सीटिंग विधायक कैलाश गहतोड़ी का टिकट लगभग कट चुका था लेकिन महाराष्ट्र राजभवन की सलाह पर दोबारा गहतोड़ी को ही पार्टी का प्रत्याशी बना दिया गया। भाजपा प्रत्याशियों की सूची जारी होने के बाद प्रदेश की राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली के सत्ता गलियारों में कोश्यारी के प्रभाव को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। प्रदेश की राजनीति के जानकारों का कहना है कि भगत दा ने प्रदेश भाजपा की राजनीति पर अपने चेलों का वर्चस्व स्थापित कर डाला है।

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