महाराष्ट्र विधानसभा का बजट सत्र कल तीन मार्च से शुरु हो गया है जो 25 मार्च तक चलेगा। बजट सत्र के पहले ही दिन काफी हंगामा रहा जिसके चलते पूरे दिन सत्र नहीं चल पाया। हंगामा इतना तेज था कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी नारेबाजी के बीच विधानसभा में अपना भाषण बीच में ही छोड़ कर जाना पड़ा । दरअसल , सदन में महा विकास अघाड़ी की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज पर कथित रूप से की गई राज्यपाल की टिप्पणी के खिलाफ नारेबाजी और विरोध-प्रदर्शन किया गया। इसके विरोध में राकांपा विधायक संजय दौंड ने शीर्षासन भी किया।
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने औरंगाबाद जिले में छत्रपति शिवाजी महाराज को लेकर एक विवादित बयान दिया था। अपने बयान में उन्होंने कहा था कि जिस तरह से चाणक्य के बिना चंद्रगुप्त को कौन पूछेगा, उसी प्रकार समझ के बिना शिवाजी को कौन पूछेगा? जीवन में गुरु का काफी महत्व होता है। इस बयान के बाद राज्य में बवाल मचा हुआ है।
दूसरी तरफ भाजपा के कार्यकर्ताओं ने नवाब मलिक को उनके पद से नहीं हटाने के फैसले के खिलाफ विधान भवन की सीढ़ियों पर बैठकर नारेबाजी की। पिछले हफ्ते ही प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री नवाब मलिक को भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया था।
कल तीन मार्च को भी विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस, विधान परिषद में एलओपी प्रवीण दारेकर और राज्य भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल के नेत़ृत्व में भाजपा विधायकों ने शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की महा विकास अघाड़ी सरकार के खिलाफ नारेबाजी की थी।
फडणवीस ने कहा था कि यह सरकार उन लोगों के प्रति सहानुभूति रखती है, जिन्होंने (1993) मुंबई बम धमाके के दोषी दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की मदद की। हम मलिक को अभी भी मंत्री बनाए रखने के फैसले का विरोध करते हैं जबकि पहले कुछ आरोपों के चलते एक मंत्री को हटाया गया है। पहली बार की कोई मंत्री (नवाब मलिक) सलाखों के पीछे है लेकिन उनका इस्तीफा नहीं लिया गया है। यह गलत है। उन्हें किसी छोटे मामले के लिए जेल में नहीं भेजा गया है, उनपर दाऊद इब्राहिम के साथ मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा है। महाराष्ट्र विधानसभा में एलपीओ उनका इस्तीफा क्यों नहीं लेना चाहती है? यह दाऊद शरण सरकार है। यह सरकार दाऊद के साथ संबंध रखने वालों को बचाने के लिए एक साथ आ रही है। इसलिए हमने विरोध शुरू किया है। हम चाहतें हैं कि मलिक का इस्तीफा तुरंत लिया जाए।
वहीं शिवसेना से मनीषा कायंडे ने कहा कि राज्यपाल क्या संदर्भ दे रहे हैं? उसे कहने की जरूरत नहीं थी। मुझे लगता है वह भाजपा के साथ हैं और उन्होंने सत्र शुरू होते ही विवाद को उठाया है।
बता दें कि गुरुवार से शुरू हुआ बजट सत्र 25 मार्च तक चलेगा। भाजपा ने कहा कि वह चाहती है कि बजट सत्र का सही उपयोग हो और वो मुद्दों पर वह चर्चा करना चाहते हैं बशर्ते नवाब मलिक को निलंबित किया जाए। इस पर अघाड़ी सरकार के नेताओं ने कहा कि भाजपा राज्य सरकार पर निशाना बनाने के ले केंद्रीय एजेंसियों का सहारा ले रही है।
राज्यपाल के बयान से क्यों नाराज है शिवसेना
महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवाजी के जीवन में संत समर्थ रामदास स्वामी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए छत्रपति को लेकर एक दबे हुए मुद्दे को दोबारा उठा दिया है। राजनीतिक दलों के साथ-साथ कुछ मराठा संगठनभी उनसे नाराज हैं और उन पर इतिहास को तोड़-मरोड़कर दिखाने का आरोप लगा रहे हैं। कुछ दिन पहले औरंगाबाद में समरथ साहित्य परिषद द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में राज्यपाल कोश्यारी ने जीवन में गुरु के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज के जीवन में रामदास स्वामी की भूमिका उतनी ही अहम थी, जितनी चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाने में चाणक्य की।
उनके इस बयान के विरोध में राज्य के कई हिस्सों में मराठा संगठन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। नाराज संगठनों का कहना है कि रामदास स्वामी के नाम को इस तरह उठाकर राज्यपाल इतिहास को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। यहां तक कि शिवाजी महाराज के वंशज और बीजेपी के राज्यसभा सदस्य उदयनराजे भोसले ने भी राज्यपाल से बयान वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि शिवाजी महाराज एक शूरवीर थे और उन्होंने अपने बूते अपना साम्राज्य जमाया था। उनकी गुरु उनकी माता जीजाबाई थीं और उनकी प्रेरणा उनके पिता शाहजी थे।