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जानिए क्या है NATGRID, जिससे आतंकी हमले होने से पहले ही रोक देगा भारत

NATGRID

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जल्द ही नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) लॉन्च कर सकते हैं। NATGRID का उद्देश्य भारत की आतंकवाद विरोधी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक प्रदान करना है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलेक्ट्रॉनिक डेटाबेस के फाइनल सिंक्रोनाइजेशन की टेस्टिंग चल रही है। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोरोना महामारी के कारण नेटग्रिड की लॉन्चिंग में देरी हुई लेकिन इसे जल्द ही लॉन्च किया जाएगा। अगर यह कोरोना संकट नहीं आया होता, तो प्रधानमंत्री ने NATGRID को देश को समर्पित कर दिया होता। शाह ने एक कार्यक्रम में कहा, “मुझे उम्मीद है कि प्रधानमंत्री कुछ दिनों में नेटग्रिड को देश को समर्पित कर देंगे।”

NATGRID क्या है?

NATGRID सरल और सुरक्षित डेटाबेस के रूप में आतंकवाद, वित्तीय अपराधों आदि की घटनाओं पर जानकारी संग्रहीत कर सकता है। इससे वास्तविक समय में संदिग्धों को ट्रैक करना और आतंकवादी हमलों को रोकना आसान हो जाएगा। दावा किया जा रहा है कि इससे इमिग्रेशन, बैंकिंग, हवाई और रेल यात्रा सुरक्षित हो जाएगी। 2008 के मुंबई हमलों के बाद सुरक्षा एजेंसियों के पास फिलहाल महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए कोई उपकरण नहीं था। तब से नैटग्रिड जैसी तकनीक की जरूरत महसूस होने लगी है।

नेटग्रिड कैसे काम करता है?

पीटीआई के मुताबिक शुरुआत में 10 सरकारी एजेंसियों और 21 सेवा प्रदाताओं को नेटग्रिड से जोड़ने की योजना है। अगले चरण में करीब 950 संगठन इससे जुड़ेंगे। इन सूचना स्रोतों में आव्रजन, बैंकिंग, वित्तीय लेनदेन, दूरसंचार शामिल होंगे। आयकर विभाग नैटग्रिड के तहत 10 जांचकर्ताओं और खुफिया एजेंसियों के साथ पैन और बैंक विवरण प्रदान करेगा।

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NATGRID तक किसकी पहुंच है?

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई), प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी), कैबिनेट सचिवालय, खुफिया ब्यूरो (आईबी), जीएसटी खुफिया महानिदेशालय, नारकोटिक्स ब्यूरो नियंत्रण, खुफिया ब्यूरो (एनसी) इकाइयों और एजेंसियों जैसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की नेटग्रिड तक पहुंच होगी।

26/11 के बाद NATGRID बनाना क्यों आवश्यक था?

2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद भारतीय सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों को NATGRID की आवश्यकता थी। इस समय तक एजेंसी के पास रीयल टाइम ट्रैकिंग का कोई तरीका नहीं था। इस कमी को दूर करने के लिए कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी ने 8 अप्रैल, 2010 को 3,400 करोड़ रुपये की NATGRID परियोजना को मंजूरी दी थी, लेकिन 2012 के बाद इसका काम धीमा हो गया। बाद में मोदी सरकार ने उनके पुनरुद्धार के निर्देश जारी किए।

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