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जानिए, क्या है कोरोना वैक्सीन पासपोर्ट, क्यों कई देश कर सकते हैं इसे लागू?

कोरोना महामारी ने विश्वभर में अभी भी कोहराम मचा रखा है। दुनियाभर के कई देश अब तक इसके दंश को झेल रहे हैं। लेकिन नुकसान के साथ ही कोरोना काल ने हमें बहुत कुछ सिखाया भी है। हमारी जिंदगी में कोरोना से कई बदलाव आए हैं। कोरोना संकट के दौरान एक साल में हमने वर्क फ्रॉम होम, रिमोट हाईब्रिड वर्किंग, वर्चुअल मीटिंग, ऑनलाइन क्लासेज समिट और वैक्सीन टूरिस्म जैसी तमाम चीजें देखी और की है। लेकिन अब बारी है वैक्सीन पासपोर्ट की।

दरअसल, कई देशों में कोरोना के आने के बाद से सुरक्षा के मद्देनजर इंटरनेशनल ट्रैवेलर आवागमन पर रोक लगा दी गई है। लेकिन आवागमन पर ज्यादा वक्त तक रोक लगाना भी संभव नहीं हो सकता है। इसलिए WHO (वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन) और WEF (वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम) जैसे संगठनों की ओर से वैक्सीन पासपोर्ट बनाने पर चर्चा चल रही है। फिलहाल इस पर काम जारी है। वैक्सीन पासपोर्ट एक यूनिवर्सल पासपोर्ट होगा।

इस पॉसपोर्ट के आने बाद टूरिज्म सेक्टर में एक बार फिर गति आने की आशा है। इसलिए अब यूनाइटेड नेशंस वर्ल्ड टूरिज्म ऑर्गनाइजेशन (UNWTO) द्वारा भी दुनियाभर के देशों से वैक्सीन पासपोर्ट को लागू करने की मांग की गई है।

क्या है वैक्सीन पासपोर्ट?

गौरलतब है कि कुछ देशों की ओर से इंटरनेशनल ट्रैवलिंग को कुछ विशेष प्रतिबंधों के साथ इजाजत दी है। प्रतिबंधों के तहत 14 दिन तक ट्रैवलर को क्वारैंटाइन रहना पड़ रहा है। इस वजह से लोग ट्रैवल करने से जितना हो सके बच रहे हैं। लेकिन इससे टूरिज्म को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है। क्योंकि कई देशों की अर्थव्यस्था ही पर्यटन पर टिकी है।

लेकिन अगर वैक्सीन पासपोर्ट बन जाता है तो पर्यटन को फिर बढ़ावा मिलेगा और इससे ये पता चल पाएगा कि ट्रैवेल करने वाले व्यक्ति ने वैक्सीन ली है या नहीं। सिर्फ वैक्सीन लगवाने वाले व्यक्ति को ही ये पासपोर्ट मिलेगा।

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वैक्सीन पासपोर्ट का क्या है स्टेटस?

हाल ही में UNWTO और ग्लोबल टूरिज्म क्राइसिस कमेटी की स्पेन के मैड्रिड में मीटिंग हुई है। इस बैठक में वैक्सीन पासपोर्ट पर निर्णय लिया गया। वैक्सीन पासपोर्ट को जरूरी ट्रैवल डॉक्यूमेंट्स में शामिल कराने को लेकर भी बैठक में फैसला किया गया।
UNWTO के मुताबिक टूरिज्म शुरू करना बेहद आवश्यक है। कोरोना खत्म होने तक का इंतजार करना ठीक नहीं ठहराया जा सकता। वैक्सीन लगाने के साथ लोगों को सर्टिफिकेट दिया जाए ताकि लोग ट्रैवलिंग कर सकें।
वैक्सीन पासपोर्ट का लाने का यह आइडिया बिल्कुल नया है। लेकिन, ये तरकीब अचानक से नहीं आई है। इसे लाने के लिए WHO समेत कई अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं “कॉमन ट्रस्ट नेटवर्क” करीब 6 महीने से लगी हुई हैं।
कॉमन ट्रस्ट नेटवर्क का मकसद एक ऐसा यूनिवर्सल टूल डेवलप करना है, ताकि यह पता चल सके कि एक से दूसरे देश में ट्रैवल करने वाले व्यक्ति ने वैक्सीन ली है या नहीं। इसी के तहत वैक्सीन पासपोर्ट को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

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वैक्सीन पासपोर्ट में WHO का रोल

WHO को इस मामले में सबसे बड़ी भूमिका निभानी है। उसे डेटा प्रोसेसिंग करनी है। WHO दुनिया के हर देश से ट्रस्टेड बॉडी की लिस्ट लेगा या उन संस्थाओं की लिस्ट लेगी, जो कोरोना टेस्टिंग और वैक्सीनेशन की ई-सर्टिफिकेट जारी करेंगी।

डब्ल्यूएचओ को इसके बाद इन संगठनों द्वारा अंतर्राष्ट्रीय यात्रा करने वाले लोगों की पूरी डिटेल दी जाएगी। डब्ल्यूएचओ पोर्टल पर टीकाकरण प्रमाण पत्र, कोरोना टेस्ट और वैक्सीन पासपोर्ट भी अपलोड करना होगा।

डब्ल्यूएचओ द्वारा इन दस्तावेजों से मिलान किया जाएगा फिर देखा जाएगा कि प्रमाण पत्र और पासपोर्ट प्रामाणिक हैं या नहीं। फिर यात्री क्यूआर कोड जारी करेगा, जिसके साथ वह यात्रा सुरक्षित यात्रा का सकेगा।

UNWTO का अनुमान है कि कोरोना के बाद से अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन 70% से 75% तक घट गया है। इसके कारण वैश्विक पर्यटन 30 साल पहले की स्थिति में चला गया है। वर्ष 2020 में, 100 करोड़ से कम पर्यटक एक स्थान से दूसरे स्थान पर गए, जिसके कारण वैश्विक पर्यटन को लगभग 11 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

इन देशों में वैक्सीन पासपोर्ट हो रहा इस्तेमाल

सबसे पहला देश इजरायल है जहां पर वैक्सीन पासपोर्ट की शुरुआत सबसे पहल लागू हुई। वैक्सीन पासपोर्ट के अलावा इसे ग्रीन पासपोर्ट कहा जा रहा है। पिछले सालभर से मंद पड़ी अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए इजरायल तमाम कोशिशों में लगा हुआ है। सबसे तेजी से कोरोना टीकाकरण में भी इजरायल आगे रहा है।

ये देश अभी कतार में…

ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक जल्द ही थाइलैंड भी वैक्सीन पासपोर्ट की व्यवस्था लागू करने जा रहा है। थाइलैंड की इकनॉमी वैसे भी पर्यटन पर निर्भर है। ऐसे में वहां इस पासपोर्ट के लागू होने पर पर्यटकों के आवागमन में आसानी हो जाएगी। इसके अलावा इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) ट्रैवल पास जारी करने की कोशिश में है। साथ ही विश्व इकोनोमिक फ़ॉर और कॉमन्स प्रोजेक्ट फाउंडेशन जैसी संस्थाएं लंदन से न्यूयॉर्क के बीच उड़ानों में ‘कॉमनपास’ एप्स को डेवलपर करने के बाद टेस्ट कर चुके हैं।

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