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जानिए तमिलनाडु- नेहरू से जुड़े ‘सेंगोल’ का इतिहास

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन को राष्ट्र को समर्पित करेंगे और इसी समारोह में वह सदन में स्पीकर की सीट के पास सेंगोल के नाम से मशहूर राजदंड भी स्थापित करेंगे। यह एक बहुत ही ऐतिहासिक घटना होगी। 1947 में देश छोड़ते समय अंग्रेजों ने इस सेंगोल को भारत को सौंप कर सत्ता हस्तांतरित कर दी गई थी।  गृह मंत्री अमित शाह ने कहा।इस सेंगोल को संग्रहालय में रखना उचित नहीं है। इसलिए, जब संसद भवन देश को समर्पित होगा, तो प्रधानमंत्री तमिलनाडु से लाए गए सेंगोल को स्वीकार करेंगे।”

शाह ने यह भी कहा कि नया संसद भवन आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक होगा और सभी भारतीयों की आशाओं और आकांक्षाओं को पूरा करने का केंद्र होगा। सेंगोल एक ऐतिहासिक राजदंड है। सेंगोल का इतिहास 8वीं शताब्दी (चोल साम्राज्य) से सीधे जुड़ा हुआ है। इसका अर्थ नैतिकता और धन से जुड़ा है। माना जाता है कि एक व्यक्ति जो सेंगोल को स्वीकार करता है उसे न्यायपूर्ण और निष्पक्ष रूप से शासन करने के लिए एक ‘दैवीय जनादेश’ (तमिल में ‘अनई’) प्राप्त होता है।

 

अंग्रेजों से सत्ता हस्तांतरण की ऐतिहासिक प्रक्रिया में जवाहरलाल नेहरू ने भी 14 अगस्त, 1947 की रात को इस सेंगोल को स्वीकार कर लिया था। जब भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने नेहरू से भारतीय परंपरा के अनुसार सत्ता हस्तांतरण के बारे में पूछा, तो उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ इस पर चर्चा की। सी. राजगोपालाचारी ने कई ग्रंथों का अध्ययन किया और पंडित नेहरू को सेंगोल प्रक्रिया की व्याख्या की। यह विचार नेहरू को पसंद आया और उसके बाद भारतीय आध्यात्मिक परंपरा के अनुसार सेंगोल के माध्यम से सत्ता अंग्रेजों से भारत में स्थानांतरित हो गई।

14 अगस्त 1947 को रात 11 बजकर 45 मिनट पर यानी आजादी से ठीक 15 मिनट पहले तिरुवदुथुराई अधनम मठ के राजगुरु ने माउंटबेटन को राजदंड सौंप दिया। उन्होंने उचित पूजा के बाद यह सेंगोल नेहरू को दे दिया। उनके चित्र भी उपलब्ध हैं। इस समारोह के बाद इस राजदंड को इलाहाबाद (प्रयागराज) के संग्रहालय यानी आनंद भवन में रख दिया गया। यह नेहरू परिवार का पैतृक निवास है।

सेंगोल  शब्द का अर्थ भावना और नीति पालन से है। गदा के आकार का राजदंड, जिसे सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता है, तमिल में सेंगोल कहलाता है। सेंगोल ने भारतीय इतिहास में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। यह शाही प्रथा भारत में चोल साम्राज्य (आठवीं सदी) से चली आ रही है। सेंगोल का उपयोग संप्रभुता के प्रतीक के रूप में किया जाता है। सोने या चांदी से बना यह राजदंड शक्ति और अधिकार का प्रतीक है। सेंगोल शब्द की उत्पत्ति संस्कृत से हुई है। सेंगोल शब्द तमिल शब्द ‘सेम्माई’ से लिया गया है, इस राजदंड में चांदी के सेन्गोल के ऊपर सोने की परत होती है। इस पर भगवान शंकर के वाहन नंदी विराजमान हैं। यह सेंगोल पांच फीट लंबा है। सेंगोल को तमिलनाडु के एक प्रमुख धार्मिक मठ के प्रमुख अधिनम (पुजारी) के आशीर्वाद के रूप में भी जाना जाता है। प्राचीन काल में इस राजदंड का उपयोग राजाओं के अधिकार को दर्शाने के लिए किया जाता था।

60 हजार मजदूरों का अभिनंदन

शाह ने कहा कि नए संसद भवन के उद्घाटन के बहिष्कार पर सबकी अपनी-अपनी राय है। उन्होंने कहा कि वह अपनी क्षमता के अनुसार सोचते और कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि यह देश के इतिहास में एक ऐतिहासिक घटना है और हमने इसके लिए सभी को आमंत्रित किया है। इस संसद भवन के उद्घाटन को राजनीतिक नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। शाह ने कहा कि रिकॉर्ड समय में इस नए भवन के निर्माण में योगदान देने वाले करीब 60 हजार मजदूरों को भी प्रधानमंत्री सम्मानित करेंगे।

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