आज जस्टिस नुतालपति वेंकट रमन्ना भारत के 48वें मुख्य न्यायाधीश बन गए। उनके बारे में कानून के क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि वे अल्पभाषी और सरल स्वभाव के हैं।आपको बता दें कि जस्टिस रमना का कार्यकाल लगभग 16 महीने का होगा।एक रिपोर्ट के अनुसार, एनवी रमन्ना को फरवरी 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। उन्होंने 10 फरवरी 1983 में वकालत शुरू की थी, जिस दौरान चंद्रबाबू नायडू आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, उस दौरान जस्टिस रमन्ना आंध्र प्रदेश सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल हुआ करते थे।
आज सुबह 11 बजे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।इस शपथ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू समेत सुप्रीम कोर्ट के कई जज उपस्थित रहे।
क्या-क्या रहेंगी जस्टिस रमन्ना की मुश्किलें
पिछले एक साल से सुप्रीम कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही सुनवाई हो रही है। इस व्यवस्था को बेहतर बनाना और उचित मौके पर दोबारा नियमित सुनवाई शुरू करवाना बतौर मुख्य न्यायाधीश जस्टिस रमन्ना की मुख्य ज़िम्मेदारियों में से एक होगा।इस समय सुप्रीम कोर्ट में जजों के 6 पद खाली हैं।उन पर नियुक्ति के लिए सरकार को सिफारिश भेजना भी उनकी प्राथमिकता होगी।
सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मुकदमों की तेज़ सुनवाई के लिए हर राज्य में विशेष कोर्ट बनाने का आदेश देने वाली बेंच की अध्यक्षता भी जस्टिस रमन्ना ने ही की थी।
पिछले कुछ सालों में जस्टिस रमन्ना का सबसे चर्चित फैसला जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट की बहाली का रहा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के कार्यालय को सूचना अधिकार कानून (RTI) के दायरे में लाने का फैसला देने वाली बेंच के भी जस्टिस रमना सदस्य रह चुके हैं।
पत्रकारिता से भी जुड़े रहे रमन्ना
27 अगस्त 1957 को आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के पोन्नावरम गांव में जन्मे जस्टिस रमन्ना ने किशोर आयु में ही तटीय आंध्र और रायलसीमा के लोगों के अधिकारों के लिए चलाए जा रहे जय आंध्र आंदोलन में हिस्सा लिया।वह कॉलेज के दिनों में छात्र राजनीति से जुड़े रहे और कुछ समय तक पत्रकारिता भी की। फरवरी 1983 में वकालत शुरू करने वाले रमना आंध्र प्रदेश के एडिशनल एडवोकेट जनरल रहने के अलावा केंद्र सरकार के भी कई विभागों के वकील रहे। 2000 में वह आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के स्थायी जज बने।
2014 में सुप्रीम कोर्ट में अपनी नियुक्ति से पहले वह दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे।चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के तौर पर उनका कार्यकाल 26 अगस्त 2022 तक होगा। इस तरह वह 16 महीने तक इस अहम पद पर रहेंगे।
चर्चित फैसलों में शामिल रहे जस्टिस रमन्ना
जस्टिस रमन्ना की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका खारिज की थी।इसके बाद उनकी फांसी का रास्ता साफ हुआ था। 26 नवंबर 2019 को जस्टिस रमना की अध्यक्षता वाली बेंच ने महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़णवीस सरकार को अगले दिन विधानसभा में बहुमत परीक्षण का आदेश दिया था।इसके बाद फड़णवीस सरकार गिर गई थी।