बीते दिन 1 फरवरी को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में ‘वित्त वर्ष 2023-24’ का बजट पेश किया। जिसमें शिक्षा,स्वास्थ्य, कृषि, तकनीक, और इनकम टैक्स आदि से संबंधित कई अहम फैसले लिए गए हैं।
कोरोना महामारी के कारण बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। देखा गया है कि बच्चों का पढाई में कम मन लग रहा है। जिसे देखते हुए शिक्षा के क्षेत्र में भी कई बड़े फैसले लिए गए हैं। किताबों तक बच्चों की पहुँच को बढ़ाने के लिए केंद्र ने बच्चों और किशोरों के लिए डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना किये जाने की घोषणा की है।
डिजिटल लाइब्रेरी
यह एक ऐसी लाइब्रेरी होगी जिसमें बच्चों की उम्र के हिसाब से श्रेणीबद्ध रूप से किताबें उपलब्ध कराइ जाएँगी। इसे पंचायत और वार्ड स्तर तक खोला जाएगा। लाइब्रेरी में एनजीओ के साथ भी भागीदारी की जाएगी और देश के सभी स्कूलों को लिब्रेरी से जोड़ा जायेगा। जिससे बच्चों को आसानी से किताबें प्राप्त हो सकें। बताया जा रहा है कि इसके द्वारा इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल फॉर्मेट में टेक्स्ट, फोटो, वीडियो या ऑडियो भी प्राप्त की जा सकती हैं। साथ ही डिजिटल लाइब्रेरी को कहीं से भी एक्सेस किया जा सकेगा, जिससे देश के हर कोने में स्थित छात्रों को इससे लाभ मिलेगा।
अध्यापकों का प्रशिक्षण
बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के प्रशिक्षण पर भी बल दिया गया है। जिसके तहत शिक्षकों का परीक्षण किया जाएगा जिसमें उनके नवोन्मेषी शिक्षा विज्ञान मतलब एक शिक्षक अपनी किसी बात को बच्चों को किस प्रकार समझाता है, पाठ्यचर्या संव्यवहार, सतत पेशेवर विकास, डिपस्टिक सर्वेक्षण और आईसीटी कार्यान्वयन के आधार पर किया जायेगा। इस उद्देश्य के लिए जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों को जीवंत उत्कृष्ट संस्थानों के रूप में तैयार किया जाएगा।क्या है एकलव्य मॉडल आवासीय स्कूल ? इस प्रकार के स्कूलों की स्थापना वर्ष 1997 में की गई थी। इस प्रकार के स्कूलों को एकलव्य स्कूल भी कहा जाता है। इन स्कूलों की स्थापना खासतौर पर अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों के लिए की गई थी जिससे अन्य लोगों की तरह उन्हें भी पढ़ाई के बेहतर अवसर प्रदान किए जा सकें। इस प्रकार के स्कूल में किताबी ज्ञान के अलावा बच्चे के पूर्ण विकास पर बल दिया जाता है। ये स्कूल राज्य सरकारों के अंतर्गत चलाए जाते हैं जिन्हें उनकी स्थापना के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट द्वारा फंड दिया जाता है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर जोर
आज जब देश 4G से 5G की और बढ़ रहा है तो उसके लिए नई तकनीक की आवस्यकताएँ भी महसूस की जा रही हैं। जिसे देखते हुए बजट में 5G सेवाओं पर आधारित एप्लीकेशन विकसित करने के लिए इंजीनियरिंग कॉलेजों में करीब 100 प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी। साथ ही देश के शीर्ष शिक्षण संथानों में तीन कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) उत्कृष्टता केंद्र भी खोले जाएंगे।