बंबई शेयर बाजार में पिछले छह दिनों से जारी तेजी का सिलसिला मंगलवार को थम गया। बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 334.54 अंक या 0.85 प्रतिशत के नुकसान से 38,963.84 अंक पर बंद हुआ था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 73.50 अंक या 0.63 प्रतिशत के नुकसान से 11,588.35 अंक पर बंद हुआ था। इन सबके बीच सबसे ज्यादा गिरावट आईटी कंपनी इंफोसिस के शेयरों में देखने को मिली।
देश की दिग्गज आईटी कंपनी इन्फोसिस (Infosys) के शेयरों में मंगलवार को अचानक 17 फीसदी तक की गिरावट आने से निवेशकों को 53,000 करोड़ का भारी नुकसान हुआ है। यह पिछले 6 साल में इंफोसिस की एक दिन में सबसे बड़ी गिरावट है। दरअसल ये गिरावट कंपनी के मैनेजमेंट पर गंभीर आरोप लगने के बाद आई है। आरोप है कि इन्फ़ोसिस अपनी आय और मुनाफ़े को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करने के लिए अपने बही-खातों में हेराफेरी कर रही थी। जिसका असर शेयर बाज़ार में कंपनी के शेयरों की ट्रेडिंग पर दिखाई दे रहा था। मंगलवार को शेयरों में इस गिरावट से निवेशकों के करीब 53,000 करोड़ रुपये डूब गए। बीएसई पर कंपनी का शेयर 15.94 प्रतिशत गिरकर 645.35 रुपये पर आ गया था। वहीं एनएसई पर यह 15.99 प्रतिशत घटकर 645 रुपये प्रति शेयर रह गया था।
इन्फोसिस के सीईओ सलिल पारिख और सीएफओ नीलांजन राय गलत आर्थिक व्यवहार के आरोपों से पिछले दिनों घिर गए थे। एथिकल एम्प्लॉइज नाम के इन्फ़ोसिस के अज्ञात कर्मचारियों के समूह ने इन्फ़ोसिस बोर्ड के साथ ही अमेरिका के सिक्यूरिटीज़ एंड एक्सचेंज कमीशन को एक पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि कंपनी का ज़्यादा मुनाफ़ा दिखाने के लिए निवेश नीति और एकाउंटिंग में छेड़छाड़ की गयी थी और ऑडिटर को अंधेरे में रखा गया था। साथ ही उसके पास अपने आरोपों के प्रमाण में ई-मेल और वॉयस रिकॉर्डिंग भी थी। ये पत्र 22 सितंबर को ही लिखा गया था।