कल वही हुआ जिसका डर था। केन्द्र सरकार और किसानों के बीच आठवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही। किसान संगठन जहां तीनों कानूनों की वापसी की अपनी जिद पर अड़े रहे तो वहीं सरकार की तरफ से यह कहा गया कि वे कानून में संशोधन को तैयार है।
अब सरकार और किसान संगठनों के बीच नौवे दौर की वार्ता 15 जनवरी को होगी। जिसमे कुछ हल निकलने की संभावनाएं है। आज आंदोलन का 45 वा दिन है। बहरहाल, केंद्र सरकार किसान आंदोलन को लेकर पशोपेश में है। सरकार लाख कोशिशों के बावजूद भी आंदोलन को कमजोर नहीं कर पा रही है।
फिलहाल किसानो की 26 जनवरी की ट्रैक्टर रैली पर सबकी निगाहे टिकी हुई है। जिसमे एक लाख ट्रैक्टर दिल्ली की सड़को पर उतरेंगे। उधर ,कांग्रेस ने किसान संगठनों और सरकार के बीच नए दौर की बातचीत की पृष्ठभूमि में कहा है कि तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस लिया जाना ही इस मुद्दे का समाधान है, क्योंकि इसके अलावा कोई दूसरा समाधान नहीं है।
पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘किसान के लिए भारत बोले’ अभियान के तहत एक वीडियो जारी कर कहा कि शांतिपूर्ण आंदोलन लोकतंत्र का एक अभिन्न हिस्सा होता है। हमारे किसान बहन-भाई जो आंदोलन कर रहे हैं, उसे देश भर से समर्थन मिल रहा है। आप भी उनके समर्थन में अपनी आवाज़ जोड़कर इस संघर्ष को बुलंद कीजिए ताकि कृषि-विरोधी क़ानून ख़त्म हों।
फिलहाल आठवें दौर की विफल वार्ता के बाद किसान संगठनो ने अपनी लड़ाई आगे भी जारी रखने का ऐलान किया। किसानों का कहना है कि वे जब तक धरने से नहीं उठने वाले है जब तक कि सरकार तीनो कानून वापिस ना ले ले। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव हनन मोल्लाह ने कहा है कि कल हमारी तीखी बहस हुई। हमने कहा कि हम कानूनों की वापसी के अलावा और कुछ भी नहीं चाहते हैं।
मोल्लाह की माने तो हम किसी अदालत में नहीं जाएंगे। या तो ये कानून वापस लिए जाएंगे या फिर हमारी लड़ाई जारी रहेगी। 26 जनवरी को योजना के अनुसार हमारी जबरदस्त ट्रैक्टर रैली होगी।जिसमे एक लाख ट्रैक्टर शामिल होंगे।