दिल्ली के उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के मंत्रियों को उनके एक ट्वीट पर जवाब देते हुए कहा था कि,”मैं 22 दिसम्बर को लखनऊ आऊंगा, बहस का समय,स्थान बताएं। यूपी सरकार के मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने ट्वीट करके दिल्ली के स्कूलों की चार पुरानी तस्वीर डालकर फर्जीवाड़ा किया है। फोटोशॉप के बदले शिक्षा पर गम्भीर बहस की तैयारी करें।”
दिल्ली व यूपी में स्वास्थ्य और शिक्षा के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह से बहस करने के लिए मंगलवार को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया लखनऊ पहुंचे।
सिसोदिया ने कहा कि सिद्धार्थनाथ सिंह की चुनौती को स्वीकार करके हम लखनऊ तो आ गए हैं
वहां पहुंचते ही सिसोदिया ने कहा कि सिद्धार्थनाथ सिंह की चुनौती को स्वीकार करके हम लखनऊ तो आ गए हैं, लेकिन उनकी और यूपी सरकार की ओर से हमें अभी तक न तो समय बताया गया है और न ही स्थान बताया गया है। इसके बाद मनीष सिसोदिया गांधी भवन पहुंच गए सिद्धार्थनाथ सिंह का इंतजार करने लगे।
लखनऊ में मीडिया से बातचीत में सिसोदिया ने कहा कि जब से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा है कि आम आदमी पार्टी यूपी में विधानसभा चुनाव लड़ेगी तब से भाजपा सरकार बौखला गई है। मैं लखनऊ में यूपी के सरकारी स्कूल व अस्पतालों की हालत पर चर्च बहस करने आया हूं।
सिसोदिया ने उत्तर प्रदेश के मंत्री के इस ट्वीट को हास्यास्पद बताया। लेकिन कई घण्टे लखनऊ के गांधी भवन में सिद्धार्थनाथ सिंह का इंतजार करने के उपरांत जब मनीष सिसोदिया वहां से निकलने लगे तो उन्हें उत्तर प्रदेश पुलिस ने उन्हें वहीं रोक लिया और कोरोना का हवाला देकर उन्हें यह कह कर गिरफ्तार करने की बात कही कि आपने राज्य सरकार से एवं लखनऊ कमिश्नर से किसी तरह की कोई इजाजत नहीं ली है।
मनीष सिसोदिया ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से की बात
इस पर जब मनीष सिसोदिया ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से बात की तो उन्होंने कहा कि उन्हें किस कानून के तहत रोका जा रहा है।
जिस पर किसी तरह का कोई ठोस जवाब कमिश्नर की ओर से नहीं मिला है।
फिलहाल उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह के ट्वीट किए गए सभी दिल्ली के स्कूलों के बदहाली के दावों को मनीष सिसोदिया ने एक-एक कर झूठा साबित कर दिया है।
उन्होंने सबूत सहित बताया कि वे तस्वीरे 2015 एवं 2016 की हैं। आज की तस्वीर में वे सभी स्कूल दिल्ली के टॉप सरकारी स्कूलों में शामिल हैं।
उन्होंने आगे यह भी कहा कि अगर योगीजी के मंत्री को अगर दिखाने के लिए दिल्ली के ऐसे चार साल पुराने स्कूल ही मिले, तो भी यह हमारी सफलता की निशानी है। इससे पता चलता है कि योगी सरकार के मंत्रियों को हमारे खिलाफ दिखाने के लिए एक भी वास्तविक उदाहरण नहीं मिला।यह केजरीवाल का मॉडल ऑफ गवर्नेंस है।
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साथ ही सिसोदिया ने यह भी कहा कि, यूपी के मंत्रियों ने हमें अपने स्कूल देखने का न्यौता खुद दिया था। हम उनके स्कूलों को देखने के लिए तैयार हैं। हमने तो उनसे यूपी के गांवों के ऐसे दस स्कूलों की लिस्ट भी मांगी , जिन्हें चार साल में बीजेपी सरकार ने सुधारा हो,जिनकी बिल्डिंग अच्छी बनी हो, जिनमें अच्छे रिजल्ट आये हों।
कुल मिलाकर इस मामले में केजरीवाल सरकार ने योगी सरकार पर अपनी बढ़त तो बना ही ली है। अब देखना यह होगा कि क्या इसी बहाने उत्तर प्रदेश की बदहाल शिक्षा प्रणाली में सुधार होगा या ये भी राजनीति का मात्र मोहरा बन कर रह जाएंगे?