दिल्ली विधानसभा चुनाव की बिसात बिछ चुकी है। देश की राजधानी में काबिज होने के लिए जहां भाजपा और कांग्रेस भारी मशक्कत कर रही हैं, वहीं सत्तारूढ़ ‘आम आदमी पार्टी’ नतीजों को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है। दिल्ली के दिल को समझने निकली टीम ‘दि संडे पोस्ट’ ने पाया कि राजधानी की जनता अपना दिल केजरीवाल को दे चुकी है। शिक्षा, स्वास्थ और बिजली जैसे मुद्दों पर खरी उतरी आप सरकार के कुछ विधायकों से जनता की नाराजगी अवश्य दिखी
दिल्ली में अरविंद केजरीवाल एक बार फिर अगले पांच साल के लिए मुख्यमंत्री पद पर काबिज हो सकते हैं। दिल्ली की जनता उन्हें मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पहली पसंद मानती है। केजरीवाल की तुलना में अन्य किसी भी नेता को दिल्ली की जनता सीएम की कुर्सी पर बिठाने के मूड में नहीं है। देश की राजधानी दिल्ली में 8 फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को नतीजे आएंगे। चुनावी आचार संहिता लागू हो गई है। दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 22 फरवरी को समाप्त होगा। नियमानुसार उससे पहले ही चुनाव संपन्न कराकर नई विधानसभा का गठन करना होगा। यहां आम आदमी पार्टी (आप), भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला है।
दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने तैयारी तेज कर दी है। वोटरों को अपने पाले में करने के लिए सभी दल रणनीति बनाने लगे हैं। सत्तासीन आम आदमी पार्टी दिल्ली से जुड़े मसलों पर चुनाव मैदान में उतरने की रणनीति पर काम कर रही है। ‘आप’ को अंदेशा है कि चुनाव के राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर जाने से मुश्किलें आ सकती हैं। ऐसे में आप के रणनीतिकारों ने अपनी सोशल मीडिया टीम से लेकर हर नेता व कार्यकर्ता को स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता से उठाने को कहा है। उधर, भाजपा राष्ट्रीय मसलों को केंद्र में रखकर दिल्ली चुनाव का खाका तैयार कर रही है। भाजपा बीते एक पखवाड़े से दिल्ली सरकार के कामों से अलग कोई भी सियासी बयान आने पर उसे हवा दे रही है। राजनीति के नजरिए से बेहद संवेदनशील इन मसलों पर आप को रक्षात्मक होना पड़ा है। आप रणनीतिकारों को अंदेशा है कि चुनाव नजदीक आने पर भाजपा अनुच्छेद-370, एनआरसी, भारत-पाक तनाव समेत अन्य भावनात्मक मुद्दों के सहारे अपने चुनावी अभियान को आगे बढ़ाएगी।
जबकि ‘आप’ खुद को अपने लिए इसे घाटे का सौदा मान रही है। ‘आप’ की रणनीति है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव को शहर से जुड़े बेहद बुनियादी मसलों पर रखा जाए। केजरीवाल सरकार के कामों के सहारे दिल्लीवालों को अपने हक में करने की कोशिश की जाए।दिल्ली विधानसभा में बहुमत के लिए 36 विधायकों की आवश्यकता है। 2015 के विधानसभा चुनाव में आप ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में पार्टी को 70 में से 67 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। बीजेपी को 3 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था, जबकि कांग्रेस का खाता तक नहीं खुल पाया था। हालांकि, 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने दिल्ली की सभी 7 सीटों पर कब्जा जमाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक हैं। उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही भाजपा अपना हर चुनाव उन्हीं के नाम के इर्द-गिर्द लड़ती आई है।
राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश जैसे कुछ विधानसभा चुनावों को छोड़ दें, तो भाजपा को नरेंद्र मोदी के नाम के सहारे हर बड़ा चुनाव जीतने में कामयाबी भी मिली है। यही कारण है कि पार्टी हर चुनाव को मोदी ब्रांड के आस-पास ही समेटने की कोशिश करती रही है। लेकिन पीएम मोदी दिल्ली के विधानसभा चुनाव में पार्टी का सबसे बड़ा ‘दांव’ नहीं होंगे। उनकी जगह पार्टी अरविंद केजरीवाल सरकार की कथित नाकामियों पर केंद्रित करने की रणनीति बना रही है। हालांकि अनुच्छेद-370, तीन- तलाक, एनआरसी और राम मंदिर जैसे मुद्दे भाजपा के प्रचार में मुख्यतौर पर शामिल हो सकते हैं। पार्टी यह चुनाव ‘मोदी बनाम केजरीवाल’ के मोड में ले जाने के मूड में नहीं है। इसके बजाय आम आदमी पार्टी की नाकामियों को भाजपा सबसे ज्यादा प्रमुखता के साथ उठाएगी। इसी रणनीति के तहत भाजपा केजरीवाल सरकार पर आयुष्मान भारत जन आरोग्य योजना लागू न करने का मुद्दा उठाने जा रही है। इसी प्रकार पार्टी उन सभी मुद्दों को उठाएगी, जिनमें दिल्ली सरकार ने अपेक्षित सहयोग नहीं दिया है और उसके कारण लोगों को सीधा नुकसान हो रहा है।
चूंकि अरविंद केजरीवाल पिछले छह महीनों से केवल दिल्ली की राजनीति पर ही केंद्रित हैं और राष्ट्रीय मुद्दों पर कम बोल रहे हैं। लिहाजा पार्टी उन्हीं आधारों पर आप को जवाब देने की रणनीति बना रही है। दूसरे, दिल्ली की जनता की सोच हमेशा राष्ट्रीय रहती है। इसलिए पार्टी अनुच्छेद-370, आयुष्मान योजना और तीन तलाक को अपनी सफलता के तौर पर जनता के बीच स्थापित करने की कोशिश भी करेगी। इसी बीच एबीपी-सीवोटर ने दिल्ली चुनावों के लिए ओपिनियन पोल जारी कर दिया है। 13 हजार से ज्यादा लोगों से इस सर्वे में राय ली गई है। लोगों से पूछा गया कि दिल्ली के अगले विधानसभा चुनाव में सीएम पद के लिए उनकी पसंद का कौन सा नेता है? इस पर करीब 70 प्रतिशत लोगों ने कहा केजरीवाल सीएम पद के लिए उनकी पसंद हैं।
ओपिनियन पोल में सबसे ज्यादा पसंदीदा सीएम अरविंद केजरीवाल को बताया गया है, उन्हें 69 प्रतिशत लोगों का समर्थन मिलता दिखाया गया है, वहीं बीजेपी के हर्षवर्धन को 11 फीसदी लोगों ने बतौर सीएम पसंद किया है। दिलचस्प बात ये है कि बीजेपी दिल्ली अध्यक्ष मनोज तिवारी को इस ओपिनियन पोल में महज 1 फीसदी वोट मिलता दिखाया गया है।
दिल्ली में ‘दि संडे पोस्ट’ ने जीबी रोड पर रोटी सब्जी बेचने वाले संदीप की बात, ‘हम कभी सोचे नहीं थे हमारे बच्चे अमीरों के बच्चों की तरह स्विमिंग पूल में तैरना सीखेंगे, हमारा बच्चा सरकारी स्कूल में पढ़ता है। जब बढ़िया ड्रेस, बढ़िया मिड डे मील, बढ़िया कम्प्यूटर और अंग्रेजी वाली पढ़ाई और स्विमिंग के बारे में बताता है तो हम गंगा तर जाते हैं।’
बस यही हो, ऐसी शिक्षा व्यवस्था सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे देश के सभी राज्यों के सरकारी स्कूलों में हो। ताकि आम आदमी के बच्चों को बेहतर एवं अन्य बच्चों के समान शिक्षा मिल सके।
चाय बेचकर जीवन यापन करने वाले रामलाल मुखिया बता रहे थे कि ‘ग्रेटर कैलाश’ के एम ब्लॉक मार्केट में मैं लगभग 35 वर्षों से हूं, यहां के नाले खुली अवस्था में थे। उनके ऊपर सीमेंटेड ढक्कन पिछले पांच साल में ‘आप’ की सरकार में विधायक सौरभ भारद्वाज विधायक ने लगवाए।’
‘दि संडे पोस्ट’ की टीम ने दिल्ली के लगभग सभी विधानसभा चुनाव क्षेत्रों के स्थानीय वोटरों से बातचीत की, इस दौरान चांदनी चौक में लोगों के बीच अच्छी-खासी राजनीतिक चर्चाएं हुई। सभी ने अपने-अपने मत रखे। त्रिनगर के ई-रिक्शा चालकों ने खुले दिल से अपनी बात हमसे साझा की। शकूर बस्ती में कुछ लोगों ने कहा हमारा नेता हमारे बीच नहीं आता इसकी हमें तकलीफ है। त्रिनगर में जितेंद्र सिंह तोमर विधायक हैं जो कि आम आदमी पार्टी से हैं, शकूर बस्ती के विधायक सत्येंद्र सिंह जैन हैं जो कि आप पार्टी में कैबिनेट मंत्री के पद पर स्वास्थ विभाग आदि महत्वपूर्ण पोर्टफोलियो सम्भाल रहे हैं। नई दिल्ली से विधायक हैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और चांदनी चौक से अलका लांबा विधायक हैं जिन्होंने हाल ही में आप पार्टी छोड़ कर कांग्रेस जाइन की है। इसी बीच ‘दि संडे पोस्ट’ की टीम पहुंची करोलबाग, करोलबाग विधानसभा सीट दिल्ली राज्य की 70 विधानसभा सीटों में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। मध्य दिल्ली जिले का हिस्सा यह इलाका नई दिल्ली लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में आता है। 1993 में इस इलाके को विधानसभा सीट बनाया गया। यहां के पहले चुनाव में भाजपा के एसपी रातावाल ने कांग्रेस की सुंदरवती नवल प्रभाकर को हराया और विधायक बने।
वर्तमान में आम आदमी पार्टी के नेता विशेष रवि यहां से विधायक हैं। वह लगातार दूसरी बार इस सीट से विधायक चुने गए हैं। 1920 के दौरान इस इलाके में माधोगंज, जयसिंहपुरा और राजा का बाजार गांव थे। एनसीआर क्षेत्र में आने के बाद दिल्ली सरकार ने इन गांवों को विकसित किया और यह इलाका करोलबाग विधानसभा क्षेत्र कहलाया। दिल्ली का सबसे बड़ा थोक और फुटकर बाजार कहा जाने वाला गफ्फार मार्केट इस इलाके में है। 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान यह इलाका चर्चा में रहा। इसके बाद 2008 में इस इलाके को आतंकियों ने निशाना बनाते हुए गफ्फार मार्केट में बम धमाके किए।
उमेश, झिलमिल, जिला शाहदरा, दिल्ली में जूस की दुकान लगाते हैं, ‘हम जब नारियल पानी पीने उनके दुकान पर पहुंचे तो चर्चा शुरू हो गयी। उन्होंने सबसे पहले अपने मोबाइल पर आए बिजली बिल को दिखाना शुरू कर दिया, बोले मैंम गरीब आदमी के लिए बिजली का बिल भी बोझ लगता है, पर केजरीवाल की सरकार ने बिजली बिल के बोझ को खत्म करके हमारा तो कल्याण कर दिया। मेरे बच्चे शान से सरकारी स्कूल में अच्छी पढ़ाई पढ़ते हैं, एक गरीब बाप को भला और क्या चाहिए।’
उमेश बोले, ‘मैं किसी और पार्टी को बुरा नहीं कह रहा बस यह कह रहा हूं कि आम आदमी पार्टी के पहले ऐसा तो किसी ने सोचा भी नहीं था।’
जीबी रोड, नई दिल्ली में जब हमने वहां के मतदाताओं से बातचीत की तो वहां केजरीवाल और मोदी समर्थकों ने अपने-अपने तर्क दिए।
दिल्ली के विधानसभा क्षेत्रों के मतदाताओं से बातचीत करने के बाद लगता है कि एक बार फिर जनता अरविंद केजरीवाल को दिल्ली की सत्ता सौंपेंगी। इस बीच जनता दल (यूनाइटेड) भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है। पार्टी ने फैसला किया है कि आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव वह अपने बलबूते लड़ेगी।
जदयू के दिल्ली प्रभारी संजय झा का कहना है कि ‘पार्टी अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली प्रदेश इकाई के अनुरोध पर राज्य में अपने बलबूते चुनाव लड़ने पर सहमति जताई है।’ सूत्रों के मुताबिक, फिलहाल यह तय नहीं किया गया है कि पार्टी विधानसभा की 70 में से कितनी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वाचल के लोग रहते हैं और जदयू की नजर इन्हीं वोटों पर है। इस चुनाव में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी प्रचार करने आएंगे। यह भी बताया गया है कि नीतीश का चुनाव प्रचार का कार्यक्रम तय किया जा रहा है। नीतीश चार-पांच सभाओं को संबोधित कर सकते हैं। जदयू पूर्वांचल के मतदाताओं की अनदेखी का मुद्दा उठाकर मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश करेगी।
जदयू बिहार में भाजपा के साथ मिलकर सरकार चला रहा है। लेकिन पार्टी झारखण्ड विधानसभा चुनाव में अकेले मैदान में उतरी थी। अब उसने दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी अकेले उतरने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में जदयू ने तीन विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। लेकिन पार्टी को जीत नसीब नहीं हुई। जदयू को इस चुनाव में हर विधानसभा क्षेत्र में 10 से 12 हजार वोट मिले थे। वहीं 2017 के नगर निगम चुनाव में जदयू ने 98 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए। लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली। 94 सीटों पर जदयू की जमानत तक जब्त हो गई थी।
दरअसल, दिल्ली की 15 विधानसभा सीटों पर पूर्वांचली मतदाता अच्छी तादाद में हैं। इन सीटों पर इनकी मौजूदगी 30 फीसदी तक है, जो किसी भी दल का खेल बिगाड़ सकती है।
2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.3 प्रतिशत मतों के साथ 67 सीटों पर रिकॉर्ड जीत दर्ज की थी। आप के मतों में 2013 के मुकाबले 24.8 प्रतिशत मतों का इजाफा दर्ज किया गया था। वहीं, 32.3 प्रतिशत मतों के सा थ भाजपा दूसरे नंबर पर रही थी। गौरतलब है कि 2013 की तुलना में भाजपा के मतों में 0.8 प्रतिशत मतों की कमी आई, लेकिन 29 सीटे घट गईं। हालांकि, वोट प्रतिशत 32.3 रहा था। कांग्रेस पार्टी की बात करें तो 9.7 प्रतिशत मतों के वह साथ तीसरे नंबर पर रही थी। हालांकि, एक भी सीट जीतने में सफल नहीं रही थी। कांग्रेस के मतों में 14.9 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई थी। जबकि बहुजन समाज पार्टी को 5.3 फीसदी वोट मिले थे।
इनसे नाराज है जनता
‘दि संडे पोस्ट’ के सर्वेक्षण के दौरान दिल्ली के कई विधानसभा क्षेत्रों में जनता अपने विधायकों से नाराज नजर आई। शाहदरा में एक नारियल पानी की दुकान पर जब हम सर्वेक्षण के लिए रुके तो वहां के कुछ स्थानीय लोगों ने अपने वर्तमान विधायक राम निवास गोयल के बारे में कहा कि जब से वह विधायक बने हैं उन्होंने अपने क्षेत्र में बहुत कम काम किया और आम लोगों से बहुत कम मिले-जुले। वहीं 2015 के भाजपा प्रत्याशी रहे जितेंद्र सिंह शंटी हारने के बावजूद लगातार आम लोगों से जुड़े हुए हैं और गरीब की हरसंभव मदद कर रहे हैं। हमें अरविंद केजरीवाल का काम बेहद पसंद है। पर हमारे विधायक हमें समय नहीं दे रहे हैं इसलिए इस बार वोट देते हुए हमें पार्टी से उठकर प्रत्याशी पर ध्यान देना है। जितेंद्र सिंह शंटी, समाजसेवी हैं और 2013 के विधानसभा चुनाव में शाहदरा सीट पर भाजपा पार्टी से विजयी घोषित हुए थे। लेकिन 2015 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी के राम निवास गोयल ने उन्हें ग्यारह हजार सात सौ इक्कतीस वोटों से हरा दिया था। शंटी दूसरे नंबर पर रहे।
नजफगढ़ सीट के मतदाताओं में भी अपने विधायक कैलाश गहलोत से कई शिकायतें हैं। नजफगढ़ के लोगों ने बताया कि भले ही ‘आम आदमी पार्टी’ दिल्ली के विकास में अहम भूमिका निभा रही है, पर उनके कुछ विधायक अति आत्मविश्वास में आकर आम जनता की जनसुनवाई नहीं कर रहे हैं। वहीं कुछ लोगों ने कहा कि सरकार के काम सिर्फ दिखाने के लिए हो रहे हैं। आम जनता के बीच विधायक साहब कम समय दे रहे हैं।
2015 के विधानसभा चुनाव में जब कैलाश गहलोत ‘आप’ से जीतकर आए तो दूसरे नंबर पर रहे भारत सिंह जो कि आईएनएलडी से प्रत्याशी थे। वे महज एक हजार पांच सौ पचपन वोटों से हारे थे।
मनीष हैं नंबर वन मंत्री
दिल्ली की जनता उपमुख्यमंत्री एवं शिक्षा मंत्री को आप सरकार में सबसे बेहतर मानती है। ऐसा इसलिए कि मनीष सिसोदिया ने शिक्षा के क्षेत्र में मूलभूत सुधार किया है। आम जनता उनसे काफी खुश है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री एवं ‘आप’ के मुखिया अरविंद केजरीवाल को जनता ने दूसरे स्थान पर रखा, लेकिन उनके टीम लीडिंग की क्षमता और दिल्ली के हित में लिए गए निर्णय को मतदाताओं ने बहुत सराहा।
तीसरे नंबर पर दिल्ली के लोगों के पसंदीदा मंत्री रहे ‘सत्येंद्र कुमार जैन’ जो कि शकूर बस्ती से विधायक हैं और कैबिनेट मंत्री के रूप में स्वास्थ्य, पीडब्ल्यूडी, पावर, अर्बन डेवेलपमेंट आदि महत्वपूर्ण विभाग देखते रहे हैं। कुछ मतदाताओं ने बाबरपुर के विधायक गोपाल राय के काम को भी सराहा पर वे शीर्ष तीन में अपनी जगह नहीं बना सके।
तीसरे नंबर की रेस में गोपाल राय के साथ-साथ इन मंत्रियों के नाम जरूर रहे, इमरान हुसैन, राजेंद्र पाल गौतम और कैलाश गहलोत।
अव्वल नंबर पर रहे, मनीष सिसोदिया ने कैबिनेट मंत्री के रूप में शिक्षा, लोक निर्माण विभाग, शहरी विकास, स्थानीय निकाय और भूमि भवन विभाग में अपनी अहम भूमिका निभाते हुए कई निर्णय लिये जो दिल्ली की जनता को सही लगे। खासकर सरकारी स्कूलों में किये गए सुधार को पब्लिक ने खूब सराहा और इसीलिए ‘दि संडे पोस्ट’ के सर्वेक्षण में मनीष सिसोदिया पहले स्थान पर बने रहे।
मनीष सिसोदिया एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे हैं। सामाजिक कार्य करने से पहले वह एक निजी समाचार कम्पनी जी न्यूज में कार्यरत थे। वह कबीर और परिवर्तन नामक सामाजिक संस्था का संचालन करते हैं। वे सक्रिय आरटीआई (सूचना का अधिकार अधिनियम) कार्यकर्ता भी हैं। वे ‘कबीर’ नामक गैरसरकारी संस्था चलाते हैं तथा अरविंद केजरीवाल के साथ ‘सार्वजनिक हित अनुसंधान फाउंडेशन’ (च्नइसपब ब्ंनेम त्मेमंतबी थ्वनदकंजपवद) नामक गैर सरकारी संगठन के सह-संस्थापक भी हैं। वे ‘अपना पन्ना’ नामक हिन्दी मासिक पत्र के संपादक हैं। वे अन्ना हजारे की भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के प्रमुख सदस्य रहे। किंतु बाद में अरविंद केजरीवाल ने आंदोलन छोड़ राजनीति में आने का निश्चय किया तो मनीष ने उनका साथ दिया।
मनीष सिसोदिया 26 नवंबर 2012 को स्थापित ‘आम आदमी पार्टी’ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य हैं। उन्हें पार्टी ने 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र का उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में वे विजयी रहे। मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के शिक्षा मंत्री के रूप में दिल्ली के सरकारी विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था में अभूतपूर्व सुधार किया है। दिल्ली का मिजाज समझने निकली टीम ‘दि संडे पोस्ट’ के पूछे जाने पर अधिकांश ने अपना पसंदीदा मंत्री दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को बताया।
-साथ में राहुल कुमार, नीतू टिटाण और कोहिनूर