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शराब नीति को लेकर बैकफुट पर केजरीवाल सरकार

पिछले दिनों भाजपा और आप के नेता दिल्ली में शराब पॉलिसी को लेकर उलझ गए थे । इस विवाद की जड़ बना एलजी वीके सक्सेना का वह आदेश जिसमें उन्होंने विसंगतियों के आरोपों पर सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी। भाजपा का आरोप है कि आप की नई शराब नीति के तहत 144 करोड़ रुपए की छूट दी गई है, वहीं अरविंद केजरीवाल का कहना है कि उनके डिप्टी सीएम को टारगेट किया जा रहा है। इतना ही नहीं उन्होंने मनीष सिसोदिया को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने की आशंका भी जताई है। लेकिन अब नई शराब को लेकर केजरीवाल सरकार बैकफुट पर आ गई है।

दरअसल नई आबकारी नीति में कई खामियां पाए जाने से दिल्ली में अब 1 अगस्त से पुरानी आबकारी नीति के तहत शराब बेची जाएगी। यह नीति अगले 6 महीने तक लागू रहेगी। आबकारी नीति 2021-22 को 31 मार्च के बाद दो बार दो-दो महीने के लिए सरकार द्वारा बढ़ाया गया था।आबकारी अधिकारियों के अनुसार अगले 6 महीने तक पुरानी नीति के तहत ही राज्य में शराब की बिक्री की जाएगी। ये पुरानी नीति 6 महीने के लिए लागू की गई है। आबकारी विभाग आगे की योजना के लिए आबकारी नीति 2022-23 पर काम करने में लगा है। जिसमें शराब घर तक पहुंचाने जैसी कई अन्य सिफारिश विभाग तक पहुँची है। हालांकि ये मसौदा उपराज्यपाल तक नहीं पहुँचा है। आबकारी विभाग का कार्यभार संभाल रहे मनीष सिसोदिया द्वारा हाल ही में ‘नई नीति के आने तक छह महीने के लिए आबकारी की पुरानी नीति पर ‘लौटने’ का निर्देश दिया गया है । इसके लिए आबकारी कमिश्नर के जारी किये गए पत्र के अनुसार दिल्ली राज्य औद्योगिक और बुनियादी ढांचा विकास निगम, दिल्ली पर्यटन और परिवहन विकास निगम, दिल्ली कंज्यूमर्स कोऑपरेटिव होलसेल स्टोर और दिल्ली स्टेट सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के प्रमुखों के साथ तुरंत तालमेल बनाना शुरू कर दिया है । पुरानी नीति में चारों नगर निगम मिलकर दुकानें चलाते थे। पूरे वर्ष में 21 दिन ड्राई डे थे।


उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने दिए थे जांच के आदेश

दिल्ली सरकार और एलजी वीके सक्सेना के बीच तनातनी का दौर चल रहा है। पहले अरविंद केजरीवाल को सिंगापुर दौरे की मंजूरी ना देना फिर भाजपा द्वारा नई शराब नीति को लेकर लगाए गए आरोपों के बाद शराब नीति पर सीबीआई जांच बैठाने के आदेश दे देना इसी ओर इशारा कर रहे हैं। लेकिन हाल ही में दिल्ली के मुख्यमंत्री ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना के साथ साप्ताहिक बैठक की थी। मुख्यमंत्री के मुताबिक यह बैठक काफी अच्छे माहौल में हुई। उन्होंने ये भी कहा कि दिल्ली के लिए जरूरी है कि उपराज्यपाल और दिल्ली के मुख्यमंत्री साथ मिलकर काम करें। उनके कहने अनुसार दोनों के बीच मतभेद हो सकते हैं ,पर कोई अनबन नहीं।

विपक्ष द्वारा दिल्ली में शराब की दुकानों के टेंडर में 144 करोड़ रुपये का शराब माफिया को गलत तरीके से फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया गया है। दिल्ली में शराब बिक्री को लेकर बीजेपी ने आम आम आदमी पार्टी पर आरोप लगाया है कि सरकार ने ब्लैक लिस्टेड कंपनियों को शराब के ठेके दिए हैं । सरकार पर ये भी आरोप लगाए गए कि बिना नियम के एक कंपनी को 30 करोड़ रुपये लौटाए गए है । भाजपा दल की मीनाक्षी लेखी ने कहा “केजरीवाल इन सभी तथ्यों के जवाब दें , मुख्यमंत्री ईमानदारी के सर्टिफिकेट ना बाटें। अंदेशा लगाया जा रहा है कि मनीष सिसोदिया इसकी वजह से जांच के फंदे में फंस सकते हैं। वहीं बीजेपी लगातार आरोप लगा रही है कि नई शराब की पॉलिसी में नियमों का उल्लंघन हुआ है। लाइसेंस फीस पर 144 करोड़ रुपये माफ किए गए हैं और ये सब मनीष सिसोदिया की देखरेख में हुआ है। कांग्रेस और भाजपा द्वारा लगाए गए आरोपों के बाद दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे। जिसके बाद दिल्ली सरकार आबकारी नीति के मामले में बैकफुट पर आ गई। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता आरपी सिंह ने ट्वीट कर कहा है कि कल तक पुरानी आबकारी नीति को लेकर घोटालों के आरोप लगाने वाले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नई नीति के अंतर्गत खुद करोड़ों रुपये कमाने के आरोपों में फंसे होने के चलते अब पुरानी व्यवस्था को ही सही मान रहे हैं।

क्या है नई आबकारी की नई नीति

गौरतलब है कि सरकार द्वारा बनाई गई नई शराब नीति में कई कमियां बताई जा रही थी। निगमों से शराब की बिक्री वापस लेकर पूरी तरह से निजी हाथों में सौंप दी गई थी । शराब पीने की उम्र 25 से घटाकर 21 वर्ष की गई थी। दुकान को कम से कम 500 वर्ग मीटर, सीसीटीवी से लैस करने के निर्देश दिए गए थे। सरकार द्वारा नई नीति में तीन दिन ही ड्राई डे यानी दुकानें साल में 3 दिन ही बंद करने की अनुमति दी गई थी। महिलाएं शराब का सेवन कर सकें इसके लिए पिंक बूथ खोलने की अनुमति दी गई थी। रेस्तरां व बार को शराब बिक्री केंद्र से ही शराब खरीदने की अनुमति दी गई थी । शराब बिक्री केंद्र को एमआरपी पर छूट देने की अनुमति दी गई थी। साथ ही बार, क्लब्स और रेस्टोरेंट को रात 3 बजे तक दुकान खोलने की छूट थी।

अंदेशा लगाया जा रहा है कि यदि सरकार ने नई नीति वापस ली तो शराब का सेवन करने वालों की परेशानी बढ़ सकती है। अगर नई नीति बंद हुई तो हजारों वेंडर अदालत का रुख कर सकते हैं । क्योकि इस नई नीति के लागू नहीं होने से वेंडरों को बड़ा घाटा हो सकता है। नई नीति को मध्यनजर रखते हुए वेंडरों ने करोड़ों रुपये दुकान लेने और शराब स्टॉक रखने में खर्च किए हैं। पुरानी नीति लागू होने से रेस्तरां, पब समेत अन्य विक्रेताओं को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। पुरानी नीति लागू होने से नई आबकारी नीति वाली दुकानें बंद हो जाएंगी। सरकारी निगम पहले लगभग साढ़े चार सौ के शराब की दुकानें चलाती थी।

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