मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास 14 अप्रैल (मंगलवार) की शाम सैकड़ों की भीड़ उमड़ गयी थी। बताया गया कि ये लोग प्रवासी मजदूर हैं जो अपने घर लौटने की आस में अफवाह के शिकार हो गए थे।लॉक डाउन के बीच यह सब होने से शासन प्रशासन पर सवाल तो उठना ही था।अब इन सवालों की जद में शासन-प्रशासन से लेकर राज्य सरकार और तमाम एजेंसियां आ गई हैं । खासकर वे जिन पर इस तरह की अफवाहों पर समय रहते काबू पाने की जिम्मेदारी होती है।
कुल मिलाकर मुंबई में लॉकडाउन की धज्जियां उड़ी और अफवाहों की वजह से ही हजारों लोग जुटे।इस मामले पर कांग्रेस की राष्ट्रीय सचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी केंद्र सरकार से सवाल पूछा है। उन्होंने अपने एक ट्वीट पर लिखा है कि,
“आख़िर हर बार हर विपत्ति गरीबों और मजदूरों पर ही क्यों टूटती है? उनकी स्थिति को ध्यान में रखकर फैसले क्यों नहीं लिए जाते? उन्हें भगवान भरोसे क्यों छोड़ दिया जाता है? लॉकडाउन के दौरान रेलवे टिकटों की बुकिंग क्यों जारी थी? स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम क्यों नहीं किया गया? उनके पैसे खत्म हो रहे हैं, स्टॉक का राशन खत्म हो रहा है, वे असुरक्षित महसूस कर रहे हैं-घर गाँव जाना चाहते हैं। इसकी व्यवस्था होनी चाहिए थी।
अभी भी सही प्लानिंग के साथ इनकी मदद की व्यवस्था की जा सकती है। मजदूर इस देश की रीढ़ की हड्डी हैं। @narendramodi जी भगवान के लिए इनकी मदद कीजिए। ”
बांद्रा में उमड़ी इस भीड़ पर बीजेपी सांसद पूनम महाजन का कहना है कि लोगों के पास मेसेज किया गया था कि यहां से ट्रेन मिलेगी। आखिरकार ये मेसेज किसने किया और मुंबई पुलिस को इसकी भनक क्यों नहीं लगी?
बीजेपी प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने भी एक निजी न्यूज चैनल के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा, ‘यह प्रशासनिक विफलता का जीवंत उदाहरण है। पुलिस कमिश्नर का दफ्तर बगल में है। खुद मुख्यमंत्री एक-डेढ़ किमी की दूरी पर रहते हैं। ऐसी जगह पर अचानक 15 हजार लोग आ जाते हैं तो ये दृश्य आश्चयर्जनक है।’ उन्होंने भी कहा कि बांद्रा में प्रवासी मजदूरों की संख्या कम है। ये पुरानी बस्ती है। ये 70 में बसी थी। उन्होंने पूछा, ‘पहले यहां स्लॉटर हाउस था। यहां प्रवासी मजदूर कहां से आए? इसका जवाब सरकार को देना होगा।’
स्थानीय लोगों की जानकारी के अनुसार बांद्रा में न तो इतने प्रवासी मजदूर हैं और न ही बांद्रा रेलवे स्टेशन से बहुत ज्यादा ट्रेनें यूपी बिहार के लिए जाती हैं। यूपी बिहार के लिए सबसे ज्यादा ट्रेनें कुर्ला और लोकमान्य तिलक स्टेशन से जाती हैं। फिर यह सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को किसने कहा कि ट्रेन बांद्रा से खुलेंगी? अगर किसी ने नहीं कहा तो ये लोग यहां कैसे इकट्ठा हुए?