कई ऐसे तीर्थ और पर्यटन स्थल हैं, जहां आसानी से पहुंच पाना आसान नहीं है। उन्हीं में से एक तीर्थ स्थल केदारनाथ है। यहां तक पहुंचने के लिए पर्यटकों को लंबी पैदल दूरी तय करना पड़ती है, जो हर किसी के बस की बात नहीं है। लेकिन आने वाले दिनों में ऐसा नहीं होगा। पहाड़ की दुश्वारियों के बीच रोमांचक सफर को आसान बनाकर पर्यटन को बढ़ावा देने में अब रोपवे अहम किरदार अदा करेंगे।
दरअसल केदारनाथ में रोपवे परियोजना को उत्तराखंड सरकार से मंजूरी मिल गई है। इस रोप वे से केदारनाथ धाम और सोनप्रयाग के बीच की दूरी कम हो जाएगी। इस परियोजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की केदारनाथ धाम यात्रा से पहले ही मंजूरी दे दी गई है। सोनप्रयाग से केदारनाथ धाम के बीच की दूरी को रोपवे बनने के बाद से काफी कम किया जा सकता है इसलिए इसे बेहद सराहनीय परियोजना बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि हर साल केदारनाथ धाम में बड़ी संख्या में तीर्थयात्री दर्शन को आते हैं। यात्रा को पैदल या टट्टू से तय करने में आमतौर पर लगभग 8 से 12 घंटे लग जाया करते हैं। हालांकि, रोप वे परियोजना के आने के बाद तीर्थयात्री इसे केवल एक घंटे में पूरा कर पाएंगे और इस परियोजना के पूरा होने के बाद उनकी संख्या और बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
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रोपवे से सोनप्रयाग से केदारनाथ की दूरी 13 किमी होगी। रोपवे समुद्र तल से 11,500 फीट (3,500 मीटर) की ऊंचाई पर दुनिया के सबसे ऊंचे रोपवे में से एक होगा। माना जा रहा है कि इस रोपवे को बनाने में 1,200 करोड़ रुपये तक का खर्च आएगा।
उत्तराखंड सरकार में वन और लोक निर्माण विभाग के प्रमुख आरके सुधांशु द्वारा बताया गया कि केदारनाथ अभयारण्य क्षेत्र में राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की ओर से रोपवे के निर्माण को मंजूरी दी गई है। साथ ही बोर्ड ने केदारनाथ के फुट ट्रैक और हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को भी मंजूरी दे दी है।
इस परियोजना में कुल 26 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण होगा। केंद्र सरकार की परिवारमा परियोजना के तहत इन परियोजनाओं का निर्माण किया जाएगा।