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असम के डिटेंशन सेंटरों से रिहा किए गए 200 से अधिक नागरिक, कार्ट ने दिया था आदेश

असम के डिटेंशन सेंटरों से रिहा किए गए 200 से अधिक नागरिक, कार्ट ने दिया था आदेश

कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए असम के डिटेंशन सेंटरों से 200 अधिक ‘घोषित विदेशी’ नागरिकों को रिहा किया गया है। उन्हीं रिहा किए गए पश्चिमी असम के चिरांग जिले के 63 वर्षीय बोन्शीधर राजबंशी ने पिछले महीने अप्रैल की 22 तारीख को ढाई साल बाद आजाद हवा में सांस ली। तकरीबन दो साल नौ महीने पहले बोन्शीधर राजबंशी को ‘विदेशी’ घोषित किया गया था, जिसके बाद से वे गोआलपाड़ा डिटेंशन सेंटर में रह रहे थे।

स्थानीय खबरों के मुताबिक, कोरोना संक्रमण के चलते जेलों में भीड़ कम करने के लिए सरकार की ओर से ये फैसला लिया गया है। डेक्कन क्रॉनिकल से बात करते हुए बोन्शीधर ने कहा, “मैं बहुत लंबे समय से हमें रिहा करवाने के बारे में सबसे कह रहा था, लेकिन कुछ नहीं हुआ कोरोना वायरस के बारे में सुनने के बाद अंदर हम सब डरे हुए थे।”

बोन्शीधर ने बताया, “वे फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल के सामने यह प्रमाणित नहीं कर सके थे कि वे 24 मार्च, 1971 (असम ने नागरिकता तय करने की कट ऑफ तिथि) के पहले से राज्य में रह रहे थे।” अब भी असम की केंद्रीय जेलों के अंदर बने छह डिटेंशन सेंटरों में बोन्शीधर जैसे 800 से अधिक लोग रह रहे हैं। द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक छहों डिटेंशन केंद्रों से 232 लोगों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद रिहा किया जा चुका है।

सुप्रीम कोर्ट सीजेआई एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने 13 अप्रैल को केंद्र और असम सरकार को आदेश दिया था कि जो ‘घोषित विदेशी’ डिटेंशन सेंटर में दो साल का समय गुजार चुके हैं, उन्हें मौजूदा हालात के मद्देनजर रिहा कर दिया जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा रिहाई के लिए भरे जाने वाले बॉन्ड की राशि भी एक लाख रुपये से घटाकर पांच हजार रुपये कर दी। बंदियों की रिहाई के लिए दो भारतीय नागरिकों की गारंटी जरूरी है। कोर्ट का ये फैसला कोरोना वायरस के संक्रमण के बाद दायर कई याचिकाओं के बाद आया है।

जस्टिस एंड लिबर्टी इनिशिएटिव संगठन उन्हीं याचिकाकर्ताओं में से एक है जो गुवाहाटी में मानवाधिकार के लिए काम करती है। संगठन के वकील अमन वदूद ने बताया, “एक इंसान के बतौर यह कम-से-कम उनको इतना तो अधिकार है कि वे जी सकें और डिटेंशन सेंटर की बदहाल स्थितियों में कोविड-19 के चलते अपनी जान न गंवाएं।”

असम बॉर्डर पुलिस के सूत्रों की माने तो डिटेंशन सेंटरों में 700 से अधिक ऐसे ‘घोषित विदेशी’ हैं, जो यहां दो साल का समय काट चुके हैं और उन्हें जमानत देकर रिहा करने की प्रक्रिया जारी है। ऐसे लोगों की सूची शीर्ष अदालत और गौहाटी हाईकोर्ट में दे दी जाएगी।

ख़बरों के मुताबिक 50 लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें ‘विदेशी’ घोषित किया जा चुका है और जिन्होंने इन केंद्रों में दो साल भी पूरे कर लिए हैं, लेकिन जरूरी कागज न दे पाने के चलते उन्हें रिहा नहीं किया जा सका.

गौहाटी हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 15 अप्रैल को कहा था कि एक सप्ताह के भीतर अधिकतम बंदियों को रिहा कर दिया जाना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इससे पहले 6 मार्च, 2020 को राज्यसभा में बताया था कि असम के छह डिटेंशन केंद्रों में कुल 802 बंदी कैद हैं।

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