22 जनवरी को शाहीन बाग के बाद जाफराबाद और चांद बाग में रोड बंद किए जाने के खिलाफ सड़क पर उतरे कपिल मिश्रा ने धमकी दी थी कि दिल्ली पुलिस तीन दिन के अंदर रास्तों को खाली कराए। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के बाद वापस जाने तक हम यहां से शांतिपूर्वक जा रहे हैं। लेकिन अगर तीन दिन में रास्ते खाली नहीं हुए तो हम फिर सड़कों पर उतरेंगे। इसके बाद हम दिल्ली पुलिस की नहीं सुनेंगे। कपिल मिश्रा के इस बयान के बाद हिंसा भड़क उठी थी।
Extremely sad to hear about the death of Senior Police Constable Shri Ratan Lal during violent anti CAA protests.There is no scope for violence in democratic protests. I request everyone to maintain peace and urge @DelhiPolice to take strict action against the culprits. pic.twitter.com/1PobrXWKka
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) February 24, 2020
उनके बयान के अगले दिन ही नार्थ ईस्ट दिल्ली में हिंसा शुरू हो गई थी। देखते-ही-देखते दो गुट सामने आए आ गए थे। बताया जा रहा है कि अगर कपिल मिश्रा नॉर्थ ईस्ट दिल्ली में जाकर जाफराबाद में बैठे आंदोलनकारियों को यह चेतावनी नहीं देते तो मामला शांत रहता जैसा कि पहले से होता आया था। गौरतलब है कि जाफराबाद में सीएए का विरोध कर रहे आंदोलनकारी पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से धरने पर बैठे थे। इस दौरान कोई अप्रिय घटना नहीं हुई थी। हालांकि, जाफराबाद की बजाए शाहीन बाग का प्रोटेस्ट अधिक चर्चित रहा। यहां तक कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा का कोई-न-कोई बड़ा नेता शाहीन बाग का जिक्र अपने भाषणों में जरूर किया। इसको लेकर भी विवाद हुए। लेकिन इसके बावजूद चुनाव शांति पूर्वक निपट गए।
चुनाव निपट जाने के बाद एक बार देश के गृहमंत्री अमित शाह ने आंदोलनकारियों से मिलकर उनकी समस्याएं सुनने का ऐलान किया था। लेकिन अगले ही दिन में वह यू टर्न मार गए। इसके बाद शाहीन बाग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई। जिसकी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्य पैनल गठित किया। तीन सदस्य वार्ताकार के रूप में शाहीन बाग पहुंचे थे। जहां उन्होंने प्रोटेस्ट कर रहे लोगों की बातों को गंभीरता से सुना था। इसके बाद वार्ताकारों ने अपनी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट मैं सौंप दी थी। सुप्रीम कोर्ट शाहीन बाग के मामले पर 26 फरवरी को फैसला सुनाएगा। लेकिन इस फैसले की खबर से कुछ नेताओं को संतुष्टि नहीं हुई। उन्हें लगा कि अब साइन बाग पर कुछ कहना खतरे से खाली नहीं होगा। यानी कि अगर शाहीन बाग पर कुछ विवादास्पद बोला गया तो वह कंटेम ऑफ कोर्ट हो जाएगा। जबकि इसके विपरीत भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने शाहीन बाग की बजाए जाफराबाद को आधार बना वहां पर विवादास्पद बयान दे डाला।
कपिल मिश्रा के इस विवादास्पद बयान के बाद उनकी पार्टी भाजपा में ही उनके खिलाफ आवाज उठने लगी है। इस आवाज को सबसे पहले उठाने वाले पूर्व क्रिकेटर और वर्तमान में दिल्ली के सांसद गौतम गंभीर ने जज्बा दिखाया है। गौतम गंभीर ने कपिल मिश्रा के विवादास्पद बयान पर कड़ी आपत्ति की है। बीजेपी सांसद गौतम गंभीर ने कपिल मिश्रा पर कार्रवाई करने की मांग की है। गौतम गंभीर ने कहा कि कोई फर्क नहीं पड़ता कि वह इंसान कौन है, चाहे वह कपिल मिश्रा हो या कोई भी, किसी भी पार्टी से संबंधित हो, अगर उसने कोई भड़काऊ भाषण दिया है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।
गौतम गंभीर ने कहा कि नार्थ ईस्ट जिले में जो लोग हिंसा में शामिल हैं, चाहे वह कांग्रेस, आम आदमी पार्टी से लेकर किसी भी पार्टी में हो, उनके खिलाफ मुकदमा किया जाएगा। अगर कपिल मिश्रा का भी हाथ होगा तो उनके खिलाफ भी मुकदमा करेंगे। गौतम गंभीर के इस बयान के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजीव शुक्ला ने उनकी तारीफ की है। राजीव शुक्ला ने गौतम गंभीर को एक अच्छा क्रिकेटर होने के साथ ही सच्चा नेता भी करार दिया है।
उन्होंने कहा है कि गलत को गलत कहना ही आजकल सबसे बड़ा सच है। और यह सच बोलने का जोखिम उठाया है गौतम गंभीर ने। वहीं दूसरी तरफ भाजपा नेता कपिल मिश्रा अपनी थू थू होते देख बैकफुट पर आ गए हैं। कपिल मिश्रा ने उपद्रवियों से अपील की है कि वह प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाए रखें। लेकिन कपिल मिश्रा के इस बयान को राजनीतिक गलियारों में एक जोक्स की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। लोग कह रहे हैं कि कल तक जो आंदोलनकारियों को भड़काने और उन्हें लड़ाने में लगा था आज वह 7 लोगों की मौत के बाद शांति की अपील कर रहा है।