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कमलनाथ सरकार का फरमान ‘नसबंदी कराओ वेतन पाओ,’ 9 दिन बाद यू-टर्न

कमलनाथ सरकार का फरमान 'नसबंदी कराओ वेतन पाओ,' 9 दिन बाद यू-टर्न

25 जून सन 1975 की वह आधी रात के 12 बजे भारत के लोग अभी तक नहीं भूले हैं, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल घोषित किया था। हालांकि, आपातकाल की घोषणा उस समय की जाती है जब देश संकट में हो। तब के हालातों पर चिंतन करें तो देश संकट में नहीं बल्कि इंदिरा गांधी राजनीतिक संकट में थी। उसी दिन इलाहाबाद हाईकोर्ट में इंदिरा गांधी का चुनाव रद्द करा दिया था और उन्हें 6 साल के लिए चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया था। शायद इसी पर इंदिरा गांधी की नाराजगी देश पर भारी पड़ गई थी।

इस आपातकाल के दौरान सबसे बड़ी घटना वह घटी कि तब इंदिरा गांधी के फरमान पर नसबंदी लागू कर दी गई। इस दौरान नव युवकों को जबरन पकड़-पकड़ कर नसबंदी करा दी गई और इस काम को बखूबी करने का जिम्मा उठाया इंदिरा गांधी के बड़े पुत्र संजय गांधी ने। तब बताते हैं कि सरकारी कर्मचारियों ने अपनी नौकरी बचाने के लिए ऐसे-ऐसे युवकों की जबरन नसबंदी कर दी जिनकी शादियां तक नहीं हुई थी। बताया जाता है कि इसी गम में हजारों नौजवान बाद में बदहवास हालत में हो गए थे। नौ दिन पूर्व कुछ ऐसा ही फरमान जारी किया है मध्य प्रदेश सरकार ने।

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने प्रदेश के स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को एक आदेश जारी किया। जिसमें कहा गया कि जो भी कार्यकर्ता नसबंदी का टारगेट पूूरा नहीं करेगा उसको वीआरएस यानी सेवा से मुक्त कर दिया जाएगा। जबकि जीरो वर्क आउटपुट वाले कर्मचारियों पर ‘नो वर्क नो पे’ का सिद्धांत लागू किया जाएगा। यही नहीं बल्कि मध्य प्रदेश सरकार ने कहा कि यदि कर्मचारी 2019-2020 की अवधि में कम से कम एक मामले में नसबंदी की एंट्री नहीं करते हैं तो अगले महीने उनका वीआरएस हो जाएगा।

जानकारी के अनुसार, एनएचएम यानी राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के डायरेक्टर ने 11 फरवरी को यह फरमान जारी किया है। इस फरमान को जारी करने के पीछे राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 की रिपोर्ट को आधार बताया जा रहा है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में सिर्फ 0.5% पुरुष ने ही नसबंदी कराई है।

एनएचएम मिशन के डायरेक्टर के इस आदेश के बाद राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई। यहां तक कि भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने यह तक कह डाला कि आपातकाल के समय कमलनाथ जी के गुरु कौन थे, यह सबको पता है। यह कहने की जरूरत नहीं है। जनसंख्या नियंत्रण गुंडई से नहीं होनी चाहिए। इसी के साथ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा है कि प्रदेश में अघोषित आपातकाल शुरू हो चुका है।

 

मध्य प्रदेश सरकार के इस अजीबो-गरीब फरमान के बाद कमलनाथ सरकार पर विपक्ष ने जमकर हमले किए। जब सरकार घिरती नजर आई तो कमलनाथ ने इस मामले पर यू-टर्न ले लिया। अब 9 दिन बाद यह आदेश वापस ले लिया गया है और साथ ही कहा गया है कि जिस एनएचएम के डायरेक्टर ने यह आदेश दिया था उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।

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