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संकट में कमलनाथ सरकार, 4 कांग्रेस और 4 निर्दलीय विधायक हुए गायब

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दिया इस्तीफा, राज्यपाल से मांगा समय

पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की ओर मंगलवार को भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के दावों के बाद मध्यप्रदेश में सियासी संग्राम शुरू हो गया है। अब मध्यप्रदेश की सरकार संकट में नजर आ रही है। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा ने उनके और बसपा के कई विधायकों को जबरदस्ती बंधक बना लिया है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने इस बीच कहा कि हमें लगता है कि होटल में 10-11 विधायक थे, जिनमें 6 विधायक कांग्रेस कैंप में लौट आए हैं। दिग्विजय के मुताबिक, बाकी के 4 विधायकों को बीजेपी ने बेंगलुरु भेज दिया है। लेकिन वो सभी भी लौट आएंगे। जो विधायक होटल पहुंचे थे, उनमें कांग्रेस के 4 विधायक थे। बाकी बीएसपी और समाजवादी पार्टी के विधायक थे। हालांकि, दिग्विजय सिंह ने दावा किया कि मध्य प्रदेश की सरकार सुरक्षित थी, है और रहेगी।

दिग्विजय सिंह ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, “जिन लोगों से संपर्क हुआ है वो वापस आने को तैयार थे। हम बिसाहूलाल सिंह और रमाबाई के सम्पर्क में थे। बीजेपी के रोकने के बावजूद रमाबाई वापस आ गई हैं।” साथ ही उन्होंने दावा किया, “बीजेपी के रामपाल सिंह, नरोत्तम मिश्रा, अरविन्द भदौरिया और संजय पाठक उन्हें पैसे देने जा रहे थे। अगर वहां कोई छापा पड़ा होता, तो वे पकडे जाते हमे लगता है कि वहां 10-11 विधायक थे, अब सिर्फ चार विधायक उनके पास, वे भी हमारे पास आ जाएंगे।”

मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोट ने एक टीवी चैनल से बातचीत में कहा कि कांग्रेस विधायक और पूर्व मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने हमें फोन कर बताया कि उन्हें गुरुग्राम के आईटीसी मराठा होटल में जबरन रखा गया है और जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। एक विधायक का फोन आने के बाद हमारे दो मंत्री जयवर्धन सिंह और जीतू पटवारी गुरुग्राम के होटल में आठ विधायकों से मिलने पहुंचे थे। लेकिन उन्हें होटल के अंतर जाने नहीं दिया गया। भनोट ने आगे कहा, “हरियाणा में बीजेपी की सरकार है और उसने होटल में पुलिस की तैनाती कर दी है। यहां बीजेपी के पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा हैं और वो हमारे दोनों मंत्रियो को होटल के भीतर नहीं आने दे रहे हैं।”

पिछले साल 24 जुलाई को गोपाल भार्गव ने विधानसभा में कहा था कि हमारे ऊपर वाले नंबर एक या दो का आदेश हुआ तो 24 घंटे भी आपकी सरकार नहीं चलेगी। गोपाल भार्गव के इस दावे के बाद विधानसभा में क्रिमिनल लॉ पर मतदान किया गया था। इसमें 122 विधायकों ने कमलनाथ सरकार के पक्ष में वोट किया था। 231 विधायकों वाली विधानसभा में यह साधारण बहुमत से ज्यादा था। बहुमत से सात विधायकों का समर्थन अधिक ही था। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं और बीजेपी के पास 107 विधायक है। बाकी नौ विधायकों में दो बीएसपी, एक समाजवादी पार्टी और चार निर्दलीय हैं।

गौरतलब है कि यह सारा मामला मंगलवार सुबह से ही चल रहा है। जब दिग्विजय सिंह ने आरोप लगाए थे कि उनकी पार्टी के विधायकों को भाजपा चार्टर्ड प्लेन से दिल्ली ले जा रही है, जबकि भाजपा ने इसका खंडन करते हुए साफ शब्दों में कहा था कि यह कांग्रेस की आंतरिक कलह का परिणाम है।

इससे पहले दिग्विजय ने आरोप लगाया गया था कि बीजेपी खुलेआम कांग्रेस पार्टी के विधायकों को 25-35 करोड़ का लालच दे रही है। पूरे मामले को देखकर कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या मध्यप्रदेश में भी कर्नाटक जैसा हाल होगा। यहां जेडीएस के कुछ विधायक भाजपा के पाले में आ गए थे जिसके बाद राज्य में कुमारस्वामी की जगह भाजपा की सरकार बनी थी।

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