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दिल्ली हिंसा पर पुलिस और सरकार को फटकार लगाने वाले जज का हुआ तबादला

दिल्ली हिंसा पर पुलिस और सरकार को फटकार लगाने वाले जज का हुआ तबादला

दिल्ली में पिछले चार दिनों से चल रहे सांप्रदायिक हिंसा में कई जिले प्रभावित हुए हैं। इसी बीच हिंसा पर पुलिस और सरकार को फटकार लगाने वाले जज का बुधवार को तबादला कर दिया गया। दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर का तबादला पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में कर दिया गया है।

बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम ने 12 फरवरी की हुई बैठक में मुरलीधर के तबादलने का फैसला किया गया था। कानून मंत्रालय के तरफ से नोटिफिकेशन जारी किया गया है जिसमें कहा गया है, “चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस शरद अरविंद बोबडे की सलाह पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दिल्ली हाईकोर्ट के जज जस्टिस एस. मुरलीधर का ट्रांसफर किया गया है। राष्ट्रपति ने जस्टिस मुरलीधर को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में पद ग्रहण करने का निर्देश दिया है।”

जस्टिस मुरलीधर दिल्ली हाईकोर्ट से कई महत्वपूर्ण एतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। मुरलीधर उस बेंच का भी हिस्सा थे, जिसने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को गैर-आपराधिक घोषित किया था। दिल्ली हाईकोर्ट में सीनियॉरिटी में नंबर 3 पर रहे जस्टिस मुरलीधर, पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस रवि शंकर झा के बाद दूसरे नंबर पर होंगे।

मुरलीधर का तबादला किए जाने पर गुरुवार को दिल्ली कोर्ट के वकीलों ने कहा कि वो एक दिन काम नहीं करेंगे और दबादले का बहिष्कार करेंगे। होईकोर्ट बार एसोसिएशन ने भी जज के ट्रांसफर पर हैरानी जताई है। एसोसिएशन के कार्यकारिणी सदस्य वकील नागेंद्र बेनीपाल ने कहा, “बार के सभी सदस्यों ने प्रदर्शन में सहयोग किया क्योंकि जस्टिस एस मुरलीधर का तबादला दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है। और हमारी संस्था की गरिमा दांव पर है।”

बुधवार को बार एसोसिएशन ने कार्यकारिणी की बैठक में सदस्यों ने गुरुवार को विरोधस्वरूप काम पर नहीं आने का अनुरोध किया था। दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस मुरलीधर ने आखिरी दिन दिल्ली हिंसा के मामले में बेहद सख्त टिप्पणी की थी। जस्टिस मुरलीधर ने 26 फरवरी की रात 12:30 बजे अपने घर पर सुनवाई की थी।

दिल्ली हिंसा को लेकर जस्टिस मुरलीधर ने अपनी सुनवाई में पुलिस और सरकार का जमकर फटकार लगाई थी। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा था, “हम ये नहीं होने दे सकते कि दिल्ली को 1984 के सिख दंगों जैसा हाल एक बार फिर देखना पड़े।” इसके बाद जस्टिस मुरलीधर की बेंच ने बुधवार को रात 12:30 बजे दिल्ली पुलिस को हिंसाग्रस्त इलाकों में फंसे हुए मरीज़ों को पूरी सुरक्षा के साथ बड़े अस्पताल पहुंचाने का आदेश दिया था।”

जस्टिस मुरलीधर और तलवंत सिंह की बेंच ने पुलिस को दिल्ली हिंसा में प्रभावित मुस्तफबाद स्थित अल-हिंद अस्पताल से घायलों को दूसरे अस्पताल में ट्रांसफर के दौरान सुरक्षा मुहैया कराने का निर्देश दिया था। वहीं अगले दिन जस्टिस मुरलीधर ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली और केंद्र सरकार को हिंसा पीड़ितों की मदद का निर्देश दिया था। इसके अलावा उनकी बेंच ने दिल्ली पुलिस को बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर, परवेश वर्मा और कपिल मिश्रा के खिलाफ भड़काऊ बयान देने वाले मामले पर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।

इसको लेकर दूसरी तरफ राजनीति भी शुरू हो गई है। कांग्रेस इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया, “त्वरित न्याय!…जस्टिस एस मुरलीधर के नेतृत्व वाली न्यायपीठ ने जैसे ही बीजेपी नेताओं और सरकार को दिल्ली में हो रही हिंसा के लिए ज़िम्मेदार ठहराया, वैसे ही रात भर में दिल्ली हाई कोर्ट से उनका तबादला कर दिया गया। काश, दंगाइयों से भी इतनी ही तेज़ी और तत्परता से निपटा जाता।”

वहीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने मुरलीधर के तबादले पर ट्वीट कर इसे दुखद और शर्मनाक बताया है। उन्होंने लिखा है कि लाखों भारतीयों को एक न्यायप्रिय और ईमानदार न्यायपालिका में विश्वास है; सरकार का न्याय थोपने और उनके विश्वास को तोड़ने का प्रयास बहुत ही निराशाजनक है।

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