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28 महीने बाद जेल से रिहा हुए पत्रकार सिद्दीकी कप्पन

उत्तर प्रदेश के हाथरस कांड के बाद जनता को भड़काने समेत कई आरोपों में गिरफ्तार पत्रकार सिद्दीकी कप्पन की आज जेल से रिहाई मिल गई है। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ बेंच से बीते 23 दिसंबर को सिद्दीकी कप्पन को ईडी  के मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत मिली थी,लेकिन 2 साल 3 महीना 26 दिन जेल में बिताने के बाद आज रिहा हो गए है।  

 

उत्तर प्रदेश पुलिस ने  5 अक्टूबर 2020 को मथुरा टोल प्लाजा से सिद्दिकी कप्पन सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था। तब उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना था कि सिद्दीकी कप्पन का पीएफआई से कनेक्शन है और चारों आरोपी हाथरस में हिंसा फैलाने की प्लानिंग में जा रहे थे। इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने सिद्दिकी कप्पन  को सशर्त जमानत दी थी। इसके साथ शर्त भी रखा था कि उत्तर प्रदेश की जेल से छूटने के बाद अगले 6 हफ्तों तक दिल्ली में रहना होगा, इसके बाद वे केरल जा सकेंगे। इसके अलावा हर सोमवार को उन्हें पुलिस स्टेशन में हाजिरी देना होगा, साथ ही अपना पासपोर्ट भी सरेंडर करना होगा। सिद्दिकी कप्पन   पर गैर कानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम, आईटी अधिनियम, भारतीय दंड विधान की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज किया गया था। उस वक्त कप्पन कथित रूप से हाथरस में लड़की के साथ गैंगरेप और मर्डर की घटना को कवर करने जा रहे थे। सर्वोच्च न्यायालय से राहत मिलने के बाद  सिद्दिक कप्पन  को मनी लॉन्ड्रिंग के तहत उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही में जमानत के लिए आवेदन करने की भी छूट मिल गई थी।

क्या है मामला? 

कप्पन समेत चार लोगों को यूपी पुलिस ने अक्टूबर 2020 में मथुरा से गिरफ्तार किया गया था। तब पुलिस का कहना था कि कप्पन कट्टरपंथी समूह पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से जुड़े हैं। वे हाथरस में दंगे फैलाने की साजिश रचने के लिए जा रहे थे। लेकिन पत्रकार कप्पन का कहना था कि हाथरस में युवती के साथ हुए गैंगरेप-मर्डर के बाद घटनास्थल पर मामले को कवर करने जा रहे थे। पत्रकार कप्पन आईपीसी की धारा 153ए (समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295ए (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना), 124ए (देशद्रोह), 120बी (साजिश), यूएपीए के तहत जेल में बंद किया गया था।

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