दो दशक से अपनी कलम के जरिए मजलूमों की आवाज उठाने वाले नोएडा के एक वरिष्ठ पत्रकार की आवाज ही फिलहाल नक्कारखाने में तूती की आवाज बनकर रह गई है। ‘हिंद की जमीन’ के समूह संपादक इसहाक सैफी का कसूर सिर्फ यह था कि वह सच्चाई को उजागर करते रहते थे। इस दौरान उनके कई दुश्मन बन गए। चार साल पहले उन पर तथा उनके परिवार पर एक मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसमें वह और उनके परिजन कई दिनों तक जेल की सलाखों के पीछे रहे। उन्हें न्याय व्यवस्था पर भरोसा था लेकिन जांच रिपोर्ट में जिस तरह से मां की उम्र से अधिक बेटे की उम्र दर्शाई गई तो उनका विश्वास उठ गया। तब से वह पत्रकार निष्पक्ष जांच की मांग को लेकर दर-दर भटक रहा है न्याय नहीं मिलने पर पत्रकार ने आत्मदाह जैसा आत्मघाती कदम उठाने की चेतावनी दे डाली है
नोएडा का सिलारपुर इलाका इन दिनों चर्चाओं में है। चर्चाओं में इसलिए है कि एक वरिष्ठ पत्रकार ने अपने तथा अपने परिवार को चार साल बाद भी न्याय न मिलने के चलते 30 मई को आत्मदाह करने की चेतावनी दे डाली है। इस बाबत उन्होंने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्री और राज्यपाल के साथ ही गौतमबुद्ध नगर के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर आगाह किया है। पीड़ित पत्रकार ने पत्र में लिखा है कि अगर 10 दिन तक उसे न्याय नहीं मिला तो वह गौतमबुद्धनगर पुलिस कमिश्नर कार्यालय के सामने आत्मदाह करेगा। जहां के दो दशक पुराने एक अखबार ‘हिंद की जमीन’ के संपादक के साथ पुलिस ने कार्रवाई के नाम पर अन्याय किया। पुलिस पर आरोप है कि उसने पत्रकार द्वारा उनकी खोजी खबर प्रकाशित करने के चलते द्वेषवश एक महिला को ढाल बनाकर उनको और उनके परिवार के खिलाफ संगीन धाराओं में मामला दर्ज करा दिया। पुलिस ने इसहाक खान के परिवार को रात के अंधेरे में ही गिरफ्तार किया और जेल भेज दिया। इसमें महिलाएं और नाबालिग बच्चियां भी शामिल हैं। जबकि कानून के मुताबिक रात के अंधेरे में किसी भी महिला को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
लेकिन नोएडा की सेक्टर-39 थाना पुलिस ने 16 नवंबर 2019 को नियमों के विपरीत जाकर यह काम किया। जिसके चलते पत्रकार और उसका परिवार डेढ़ महीने तक जेल की सलाखों के पीछे नारकीय जीवन जीने के बाद बाहर आ सका। फिलहाल पत्रकार और उनका परिवार पुलिस के खिलाफ न्यायालय की शरण में है। जानकारी के अनुसार, नोएडा के सिलारपुर में नगीना नाम की एक महिला ने नोएडा के सेक्टर-39 थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई कि पत्रकार और उसका परिवार मेरे घर में आकर जबरन घुसे और उन्होंने मेरी दो लड़कियों के साथ मारपीट की। यह मामला 15 नवंबर की रात 12 बजे दर्ज कराया गया और 16 नवंबर की रात 4 बजे पत्रकार और उसके भाइयों के 11 सदस्यों को पुलिस ने उठाया और जेल भेज दिया।
नगीना नाम की महिला ने पत्रकार इसहाक सैफी के परिवार के अलावा उसके दो भाइयों के पूरे परिवार के सभी सदस्यों का नाम एफआईआर में लिखवाया था। कुल 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। जिसमें पुलिस ने 11 लोगों को पकड़कर जेल भेज दिया जबकि 9 लोग पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सके। मतलब यह है की पत्रकार और उसके दो भाइयों के पूरे परिवार में एक भी सदस्य ऐसा नहीं बचा जिस पर रिपोर्ट दर्ज न हुई हो।
नगीना की रिपोर्ट पर पुलिस ने 4 धाराओं में केस दर्ज किया। हालांकि यहां यह भी बताना जरूरी है की 9 सितंबर 2019 को सेक्टर 39 के इसी थाना में पत्रकार इसहाक सैफी ने अपने परिवार पर हुए हमले के खिलाफ एक रिपोर्ट दर्ज कराने के लिए तहरीर दी थी। जिसमें नगीना और उसका बेटा आदिल के साथ ही देवर शाहिद, सोनू और सफीद के खिलाफ मामला दर्ज कराने की मांग की गई थी। पत्रकार इसहाक सैफी के अनुसार 9 सितंबर को नगीना और उसके बेटे के साथ ही 3 देवरों ने घर पर आकर उनकी पत्नी नसीम जहां पर हमला किया था। जिसकी मेडिकल रिपोर्ट भी कराई गई थी। बामुश्किल मामला तो दर्ज हुआ लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके पीछे का कारण बताते हुए इसहाक सैफी कहते हैं की नगीना का बेटा आदिल पुलिस का मुखबिर है। जिसके चलते पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। जबकि नगीना की रिपोर्ट पर उनके परिवार के 11 लोगों को डेढ़ महीने की जेल काटकर आना पड़ा। पुलिस अभी भी उनके परिवार को डरा-धमका रही है। जिसके चलते पत्रकार और उनके भाइयों का पूरा परिवार खौफ के साए में जी रहा है।

पीड़ित पत्रकार इसहाक सैफी ने गौतमबुद्ध नगर के कमिश्नर से कई बार न्याय की गुहार लगाई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। वे कहते हैं कि उनके मामले की पुलिस के चार उपनिरीक्षकों ने जांच की थी। यह जांच पूरे 22 महीने तक चलती रही बावजूद इसके जांच निष्पक्ष नहीं हुई। इसका प्रमाण वह पुलिस द्वारा बनाई गई 85 पेज की चार्जशीट को बताते हैं। साथ ही वह इस चार्जशीट में हुई भारी गलतियों की तरफ इशारा करते हुए सवाल करते हैं कि क्या किसी की मां 25 साल की और बेटा 29 साल का हो सकता है। सुनने में यह असंभव है लेकिन इसे जांच अधिकारियों ने अपनी रिपोर्ट में संभव कर कारनामा कर दिया है। जाहिर है यह जांच रिपोर्ट कार्यालय में बैठकर बनाई गई। इसके पीछे की मंशा वह पुलिसकर्मियों द्वारा उनके मामले में निष्पक्ष जांच न होना बताते हैं। वह चाहते हैं कि उनके तथा उनके परिवार पर दर्ज फर्जी मुकदमों की निष्पक्ष जांच की जानी चाहिए। अगर ऐसा नहीं होता है तो वह गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर के कार्यालय के सामने आत्मदाह करने को मजबूर होंगे।
मां 25 की तो बेटा 29 साल का
इस मामले में 85 पेज की चार्जशीट तैयार की गई। जिसे बनाने में चार दारोगा ने जांच की। इनमें पहले सत्यवीर सिंह, दूसरे दिनेश मलिक और तीसरे रंजीत सिंह तथा चौथे मनोज मलिक है। जांच में चार-चार दारोगा होने के बावजूद भी यह जार्चशीट गलतियों का ग्रंथ है। जिसको इससे समझा जा सकता है कि मां और बेटे की उम्र में भारी गड़बड़ अंकित की गई है। जैसे इसहाक सैफी की पत्नी नसीम की उम्र चार्जशीट में 28 साल है तो उनके बेटे फिराज की उम्र 30 साल दशाई गई है। एक बेटे ताहिर की उम्र 29 तो सबसे छोटे बेटे आरिफ की उम्र 35 साल अंकित है। क्या यह संभव है कि मां की उम्र 25 और बेटे की उम्र 29 साल हो? लेकिन सरकारी दस्तावेजों में इसे संभव कर दिखाया है कानून के पहरेदारों ने।
बात अपनी-अपनी
महिला की रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तारियां की गई। सभी पर कानून के तहत कार्रवाई हुई थी। कानून सबके लिए बराबर है।
लक्ष्मी सिंह, पुलिस कमिश्नर, गौतमबुद्धनगर
नोएडा प्रेस क्लब पत्रकार इसहाक सैफी के साथ है। उनके साथ कोई अन्याय नहीं होने दिया जाएगा। अगर चार्जशीट में कुछ गड़बड़ है तो उन्हें इसे कोर्ट में चैलेंज करना चाहिए।
पंकज पराशर, अध्यक्ष, प्रेस क्लब नोएडा