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जयंती विशेष:पायलट बनना चाहते थे मिसाइलमैन डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम

देश के पूर्व राष्ट्रपति और मिसाइल मैन कहे जाने वाले डॉ  एपीजे अब्दुल कलाम की आज जयंती है। विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ. कलाम को भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘भारत रत्न’ से नवाजा गया था।  बेहद सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी और मृदुभाषी  डॉ. कलाम भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्होंने 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति का पद संभाला। वो भारत के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपतियों में से एक रहे, जिनका बच्चों में काफी क्रेज़ था। अब्दुल कलाम को पद्म भूषण (1981), पद्म विभूषण (1990) और भारत रत्न (1997) के सम्मान से नवाज़ा गया। डॉ. कलाम का सपना पायलट बनने का था, लेकिन पूरा नहीं हो सका। इसलिए वैज्ञानिक बने और देश के ‘मिसाइल मैन’ के तौर पर मशहूर हुए। अटल सरकार के कार्यकाल में हुए परमाणु परीक्षण में उनकी अहम भूमिका रही। 

1962 में कलाम इसरो में पहुंचे। इन्हीं के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहते भारत ने अपना पहला स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान एसएलवी-3 बनाया। 1980 में रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा के समीप स्थापित किया गया और भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। कलाम ने इसके बाद स्वदेशी गाइडेड मिसाइल को डिजाइन किया।  1992 से 1999 तक कलाम रक्षा मंत्री के रक्षा सलाहकार भी रहे।  इस दौरान वाजपेयी सरकार ने पोखरण में दूसरी बार न्यूक्लियर टेस्ट भी किए और भारत परमाणु हथियार बनाने वाले देशों में शामिल हो गया। 1982 में कलाम को डीआरडीएल (डिफेंस रिसर्च डेवलपमेंट लेबोरेट्री) का डायरेक्टर बनाया गया। उसी दौरान अन्ना यूनिवर्सिटी ने उन्हें डॉक्टर की उपाधि से सम्मानित किया।

डॉ. कलाम की लोकप्रियता और योगदान के कारण उनके जन्मदिन यानी 15 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र हर साल ‘विश्व छात्र दिवस’ के तौर पर मनाता है। इस दिन स्कूलों में तरह-तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। छात्रों के लिए निबंध और भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन होता है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, ‘डॉ. कलाम को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि। भारत राष्ट्रीय विकास के प्रति उनके अमिट योगदान को कभी नहीं भूल सकता, चाहे वो एक वैज्ञानिक या फिर भारत के राष्ट्रपति के तौर पर रहा हो। उनकी जीवन यात्रा लाखों लोगों को ताकत देती है।’

‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर नमन। एक विजनरी नेता, भारत के स्पेस और मिसाइल प्रोग्राम को गढ़ने वाले, जो हमेशा ही एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत बनाना चाहते थे। विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान सभी के लिए प्रेरणादायी है।’

राजनाथ ने लिखा, ‘पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को उनकी जयंती पर नमन। नए और मजबूत भारत के सपने को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध, कलाम साहब ने अपना पूरा जीवन भारत के भविष्य के निर्माण के लिए समर्पित कर दिया। वह हमारी आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे। उनकी जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं।’

उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मध्यवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ था।  27 जुलाई 2015 की शाम अब्दुल कलाम भारतीय प्रबंधन संस्थान शिलोंग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर एक व्याख्यान दे रहे थे जब उन्हें जोरदार दिल का दौरा पड़ा और ये बेहोश हो कर गिर पड़े। लगभग 6:30 बजे गंभीर हालत में उन्हें बेथानी अस्पताल में आईसीयू में ले जाया गया और दो घंटे के बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि कर दी गई।

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