अगले साल उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं। लेकिन चुनावों से पहले ही देशभर में कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन ने भाजपा को चिंता में डाल दिया है। बीते 5 सिंतबर को राकेश टिकैत के नेतृत्व में हुई किसान महापंचायत चुनावी परिस्थितियां बदलने लगी हैं। दअरसल किसान महापंचायत उत्तर प्रदेश के जाट बहुल इलाके में हुई थी जिसके दम पर ही भाजपा ने पिछले चुनाव में जीत दर्ज की थी।
वर्ष 2013 से पहले तक पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाताओं का समर्थन पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पार्टी राष्ट्रीय लोकदल को जाता था। लेकिन वर्ष 2013 में हुए मुज़फ़्फ़रनगर दंगे के बाद राजनीतिक समीकरण बदल गए। मुज़फ्फरनगर में वर्षों से एक साथ रहने वाले किसान, दंगों के कारण हिन्दू-मुस्लिम में बंट गए। वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा को इसका भारी लाभ मिला। पहली दफा जाट वोट बैंक राष्ट्रीय लोकदल से टिककर भाजपा के पाले में पहुंच गया। दंगों का इतना प्रभाव रहा कि जाट वोटरों ने चौधरी अजीत सिंह और उनके राजनीतिक वारिस जयंत चौधरी तक को वोट न देकर दोनों चौधरियों को धूल चटा डाली। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 88 सीटों पर जीत दर्ज की और वर्ष 2019 के चुनाव में भी बेहतर प्रदर्शन किया। इन चुनावों में जाट समुदाय का पूरा साथ भाजपा को मिला। लेकिन इस बार के चुनाव से पहले जाट समुदाय भाजपा से नाराज नजर आ रहा है।
किसान बनकर वोट करेंगे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मतदाता
प्रदेश में जाट समुदाय राजनीतिक रूप से बहुत प्रभावशाली माने जाते हैं। ये एक महत्वपूर्ण कारण है कि भाजपा इन्हें लगातार अपने साथ रखने की कोशिश कर रही है। लेकिन तीन कृषि कानून और गन्ने की समस्या के कारण जाट समुदाय भाजपा से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार 5 सितंबर को हुए किसान महापंचायत में पांच लाख से ज्यादा किसान शामिल हुए थे। पिछले 30 वर्षों में ये सबसे बड़ी किसान महापंचायत थी। इस महापंचायत में भाजपा सरकार का विरोध खुलकर दिखाई दिया।
इसके बाद से ही जाट समुदाय ने घर वापसी करते हुए राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी का साथ देने का मन बना लिया है। वर्ष 2013 मुज़फ्फरनगर दंगे के बाद मुसलमान और जाट समुदाय के बीच जो एकता खत्म हो गई थी। अब उसे फिर से कायम करने के लिए जाट मुस्लिम बहुल क्षेत्र जाकर माफ़ी मांग रहे हैं तो मुसलमान जाट समुदाय के यहाँ जाकर माफ़ी मांग रहे हैं। दोनों समुदाय इस बार धर्म के बजाए किसान बतौर एकजुट को भाजपा के खिलाफ मतदान करने की बात भी कह रहे हैं।
जाट वोटर की काट की तलाश में भाजपा
भाजपा सोशल इंजीनियरिंग के जरिए अब जाट वोट की काट की तलाश कर रही है। इसलिए हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा गुर्जर समाज को साधने के लिए बिजनौर में एक मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया गया। साथ ही में नोएडा के दादरी में मिहिर भोज की प्रतिमा का अनावरण करेंगे। क्योंकि गुर्जर समाज सम्राट मिहिर भोज को अपना आदर्श मानते हैं। इन्हीं सबसे भाजपा गुर्जर समाज का विश्वास जीतना चाहती है। क्योंकि पश्चिमी उत्तर में जाट मतदाताओं के बाद गुर्जर समाज के मतदाताओं की संख्या अधिक है। ब्राह्मण ,त्यागी, बनिया और ठाकुर पहले से भाजपा के वोटर माने जाते हैं। भाजपा को लगता है कि ये सब जातियां ही इस बार सियासी नैया पार लगाएंगी। भाजपा के सामने अब एक ही विकल्प बचता है कि तमाम जातियों पर ध्यान देने की बजाय किसानों के मुद्दे को सुलझाया जाए। लेकिन ये करना अब आसान नहीं दिख रहा है।