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जामिया हिंसा मामला : तोड़फोड़ हिंसा जारी रही तो हम कल मामले को नहीं सुनेंगे,सुप्रीम कोर्ट

 नागरिकता बिल 2019 के  पास होने और इसके कानून का रूप ले लेने के बाद से ही देश में कई जगहों पर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला असम से शुरू हुआ और फिर देश के दूसरे हिस्सा में फैल गया। कल रविवार 15 दिसंबर को दिल्ली के जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में छात्रों ने प्रदर्शन किया और इस दौरान व्यापक हिंसा भी हुई, बसों को जलाया गया।

जामिया मामले पर सुप्रीम कोर्ट कल यानी मंगलवार को सुनवाई करेगा। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ जामिया और अलीगढ़ हिंसा मामले पर सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जामिया मामले पर सख्त टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि शांति होगी तभी मामले को सुनेंगे। अगर सड़क पर उतरना है तो हमारे पास नहीं आओ। उन्होंने कहा कि तोड़फोड़ हिंसा जारी रही तो हम कल मामले को नहीं सुनेंगे।  दरअसल, सीनियर वकील इंदिरा जयसिंह ने चीफ जस्टिस बोबडे की बेंच को मामले का स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया था। उन्होंने कहा कि यह मानव अधिकार हनन का गंभीर मामला है। गौरतलब है कि जामिया में हिंसा के बाद यूनिवर्सिटी को पांच जनवरी तक के लिए बंद कर दिया गया है।

 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस सीए बोबडे ने जामिया हिंसा मामले पर नाराजगी जाहिर की। चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि क्योंकि वे स्टूडेंट्स हैं, इसका मतलब ये नहीं कि वे कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले लेंगे। हिंसा रूक जाएगी, तभी हम इस मामले को सुनेंगे।  देश के प्रधान न्यायाधीश शरद अरविंद बोबड़े ने कहा, “वे विद्यार्थी हैं, इसका अर्थ यह नहीं है कि वे कानून एवं व्यवस्था अपने हाथ में ले सकते हैं, इस पर सब कुछ शांत होने पर फैसला लेना होगा। इस समय ऐसा माहौल नहीं है, जब हम कुछ तय कर सकें, दंगे रुकने दीजिए.”

इधर, दिल्ली पुलिस ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हिंसा के संबंध में कल रविवार को दो मामले दर्ज किए। वहीं, दिल्ली उच्च न्यायालय ने जामिया विश्वविद्यालय में छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के विरोध में दाखिल याचिका को सुनवाई के लिए तुरंत सूचीबद्ध करने से इनकार किया।

गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून के जामिया विश्वविद्यालय और उसके आस-पास के इलाकों कल 15 दिसंबर रविवार को भी प्रदर्शन जारी रहा। नागरिकता (संशोधन) कानून का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों की जामिया मिल्लिया इस्लामिया के समीप न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में पुलिस के साथ झड़प हो गई, जिसमें प्रदर्शनकारियों ने डीटीसी की चार बसों और दो पुलिस वाहनों में आग लगा दी। झड़प में छात्रों, पुलिसकर्मियों और दमकलकर्मी समेत करीब 60 लोग घायल हो गए। साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भी पुलिस के साथ छात्रों की झड़प हुई, जिसमें करीब 60 लोग घायल हो गए। इसके बाद प्रशासन ने आज 16 दिसंबर को  इंटरनेट पर रोक लगा दी है।

पुलिस ने हिंसक भीड़ को खदेडने के लिए लाठीचार्ज किया और आंसू गैस के गोले छोड़े लेकिन उन पर गोलियां चलाने की बात से इनकार किया है। जामिया मिल्लिया इस्लामिया के छात्रों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प से तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। सड़कों पर आगजनी और झड़प के बाद दिल्ली पुलिस जामिया विश्वविद्यालय के परिसर में घुस गई जहां हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने को लेकर कई लोगों को हिरासत में ले लिया, हालांकि, 6 घंटे हिरासत में रखने के बाद छात्रों को छोड़ दिया गया।  जामिया के छात्रों ने पुलिस की इस कार्रवाई के खिलाफ पुलिस हेडक्वार्टर पर देर रात तक प्रदर्शन किया।

नागरिकता कानून को लेकर देशभर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों से शांति बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा” कि नागरिकता संशोधन कानून पर हिंसक प्रदर्शन करना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। चर्चा और विरोध लोकतंत्र का हिस्सा है लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है।  इस कानून से किसी भी नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है। इसपर उन्होंने लगातार पांच ट्वीट किए।

पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम पर हिंसक विरोध बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और दुखद हैं। बहस, चर्चा और असंतोष लोकतंत्र के आवश्यक अंग हैं लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना और सामान्य जीवन में अशांति फैलाना हमारे स्वभाव का हिस्सा नहीं है।’

दूसरे ट्वीट में कहा, ‘नागरिकता संशोधन कानून, 2019 को संसद के दोनों सदनों ने भारी समर्थन से पास किया है। बड़ी संख्या में राजनीतिक दलों और सांसदों ने इसके लागू होने के लिए समर्थन किया है। यह अधिनियम भारत की सदियों पुरानी संस्कृति की स्वीकृति, सद्भाव, करुणा और भाईचारे को दर्शाता है।’

तीसरे ट्वीट में लिखा, ‘मैं अपने साथी भारतीयों को स्पष्ट रूप से आश्वस्त करना चाहता हूं कि नागरिकता कानून भारत के किसी नागरिक या किसी धर्म को प्रभावित नहीं करता है। किसी भी भारतीय को इस कानून को लेकर कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। यह कानून केवल उन लोगों के लिए है जिन्हें बाहर अत्याचार का सामना करना पड़ा और जिनके पास भारत को छोड़कर कोई और जगह नहीं है।’

चौथे ट्वीट में लिखा, ‘समय की मांग यह है कि हम सभी को साथ मिलकर देश के विकास और हर भारतीय को सशक्त बनाने के लिए काम करना चाहिए। खासतौर से गरीब, दलित और हाशिए पर पहुंचे हुए लोगों के लिए। हम निहित स्वार्थी समूहों को हमें विभाजित करने और अशांति पैदा करने की अनुमति नहीं दे सकते।’

पांचवे ट्वीट में उन्होंने लिखा, ‘यह शांति, एकता और भाईचारा बनाए रखने का समय है। मेरी आप सभी से अपील है कि हर तरह की अफवाह फैलाने वालों और झूठ से दूर रहें।’

विपक्ष ने की प्रेस कांफ्रेंस

नागरिकता कानून पर विपक्ष ने प्रेस कांफ्रेस की। जिसमें राज्यसभा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने कहा कि हिंसा के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के उस बयान पर टिप्पणी की जिसमें उन्होंने हिंसा के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार बताया था पर कहा कि यदि कांग्रेस के पास इतनी ताकत होती तो आप सत्ता में नहीं होतो। बिना अनुमति के पुलिस कॉलेज में कैसे घुस गई।दिल्ली के जामिया  हुई हिंसा मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकार ने संविधान पर हमला किया, बच्चों पर हमला किया, यूनिवर्सिटी में घुस कर मारा. हम इसके खिलाफ लड़ेंगे।और इसके लिए वो इंडिया गेट पर धरने पर बैठ गई हैं।

वहीं सीपीआई के डी राजा ने कहा, हमने इस मुद्दे पर 19 दिसंबर को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन का एलान किया है। हमें उम्मीद है कि ये एक बड़ा विरोध प्रदर्शन होगा। हम सभी सेकुलर और लोकतांत्रिक दलों को इसमें शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं।
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने मांगा शाह से समय, ममता ने किया पैदल मार्च 
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा, दिल्ली की बिगड़ती कानून व्यवस्था से मैं बहुत चिंतित हूं। राज्य में तुरंत शांति सुनिश्चित करने के लिए, मैंने गृह मंत्री अमित शाह से बैठक के लिए समय मांगा है। वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस कानून के विरोध में कलकत्ता में पैदल मार्च कर रही हैं।
हिंसा में स्थानीय लोग शामिल छात्र नहीं
जामिया की वाइस चांसलर नजमा अख्तर ने कहा है कि हम देशभर में हो रहे प्रदर्शन की बात नहीं करते। हमारे बच्चे सुरक्षित रहें हमारा कैंपस सुरक्षित रहे ये हम चाहते हैं। हिंसा में स्थानीय लोग शामिल हैं छात्र नहीं। वीसी का आरोप है कि बिना पूछे पुलिस कैंपस में घुस गई और हमारे बच्चों के साथ बर्बरता की और उन्हें डराया गया।
हम इसका समर्थन नहीं करेंगे

असम के पूर्व मुख्यमंत्री और असम गण परिषद् (एजीपी) के नेता प्रफुल्ल कुमार महंत ने कहा, ‘हम इसका समर्थन नहीं करेंगे। हर कोई इसका विरोध कर रहा है। यह असम समझौते का उल्लंघन करेगा और असम के स्वदेशी लोगों को यहां अल्पसंख्यक बना देगा। एजीपी इसका विरोध करती है। हम उच्चतम न्यायालय जाएंगे।’

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