पिछले दिनों पंजाब के जेलों में बंद कैदियों को अपने जीवन साथी के साथ समय बिताने के लिए जेल परिसर में ही अलग से एक कमरे की व्यवस्था की गई थी,जो काफी चर्चाओं में रहा था। अब इससे मिलता जुलता एक मामला सामने आया है। दरअसल राजस्थान उच्च न्यायालय ने रेप के अपराध में सजा काट रहे एक अपराधी को बच्चा पैदा करने के लिए 15 दिन की पैरोल दे पत्नी के साथ रहने की इजाजत दी है।उच्च न्यायालय ने यह आदेश तीन दिन पहले दिया था। जबकि 22 साल के राहुल बघेल पॉक्सो एक्ट के तहत सजा काट रहा है।राजस्थान में यह पहला फैसला है, जिसमें नाबालिग लड़की के साथ रेप के किसी दोषी को पैरोल मिली है।राजस्थान के पैरोल नियम के मुताबिक,रेप या गैंगरेप के मामलों में पैरोल नहीं मिलती है। ऐसे अपराधियों को ओपन जेल में भी नहीं रखा जाता है,लेकिन इस मामले में उच्च न्यायालय ने पत्नी के मौलिक व संवैधानिक अधिकारों को ध्यान में रखते हुए यह पैरोल दी है।
दरअसल राहुल की पत्नी बृजेश देवी ने बच्चा पैदा करने के लिए अपने मौलिक एवं संवैधानिक अधिकार का हवाला देते हुए अलवर के जिला एवं सत्र न्यायाल में 13 जुलाई 2022 को इमरजेंट पैरोल याचिका लगाई थी। जिसका इंतजार 7 दिन तक किया,लेकिन सुनवाई नहीं हुई। तो 20 जुलाई, 2022 को उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई। जिसमें 30 दिन की पैरोल देने की मांग की गई। यह भी कहा गया कि पत्नी को प्रेग्नेंसी या दंपती को वंश बढ़ाने के लिए रोकना संविधान के आर्टिकल 14 और 21 की भावना के खिलाफ है। जिस पर राजस्थान न्यायालय ने 15 अक्टूबर को सुनवाई की। इस दौरान राहुल की पत्नी की और से वकील विश्राम प्रजापति ने उनकी बात को न्यायालय के सामने रखा,तो वहीं राज्य सरकार के तरफ से नरेंद्र गुर्जर ने अपने तथ्य रखे।
उच्च न्यायालय में सुनवाई के दौरान सबसे पहले विश्राम प्रजापति ने कहा कि बृजेश देवी का पति दो साल से जेल में बंद है। उसकी शादी 2018 में हुई थी। वह शादी से खुश है और बच्चा चाहती है। क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं है। इसलिए बृजेश देवी धार्मिक-सामाजिक और मानवीय परंपरा के चलते वंश वृद्धि करना चाहती है।जिस पर राजस्थान सरकार के वकील ने आपने तथ्य रखते हुए कहा कि राजस्थान प्रेजेंस (रिलीज टू पैरोल) रूल्स-2021के अनुसार,महिला से रेप के मामले में सजा काट रहे किसी कैदी को पैरोल देने का कोई प्रावधान नहीं है। फिर विश्राम प्रजापति यह कहा कि,इसमें आरोपी राहुल की पत्नी की कोई भूमिका नहीं है। वह केवल अपनी शादी बचाना चाहती है। बच्चे को जन्म देना उसके संवैधानिक अधिकारों में शामिल है। लेकिन नरेंद्र गुर्जर यह कहा कि,दुष्कर्म के अपराधी को यदि पैरोल दी गई, तो इसका समाज में अच्छा मैसेज नहीं जाएगा।समाज पर विपरीत प्रभाव भी पड़ेगा। इस आधारहीन याचिका को खारिज करना चाहिए।
न्यायालय में बहस के दौरान प्रजापति ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता के पास मां बनने के लिए और कोई दूसरा उचित विकल्प नहीं है। इसके वजह से उसके पति को पैरोल पर जेल से रिहा करने की इजाजत दी जाए।लेकिन नरेंद्र गुर्जर ने कहा कि अपराधी पोक्सो एक्ट में बंद है, जो बहुत गंभीर नेचर का है। इसलिए न्यायालय को इस संबंध में भी गौर करना चाहिए। इस दौरान वकील प्रजापति ने यह भी कहा कि वैदिक संस्कृति के तहत हिन्दू फिलॉसफी के 16 संस्कारों में गर्भधारण सबसे पहला और बहुत महत्वपूर्ण संस्कार है। हिंदू दर्शन के अनुसार गर्भाधान यानी गर्भ का धन। वेद और भजनों में भी संतान के लिए बार-बार प्रार्थना की जाती है। लेकिन राज्य सरकार के वकील ने कहा यदि दोषी को पैरोल पर बाहर छोड़ा गया, तो पीड़िता और आरोपी, दोनों के बीच विवाद और झगड़े तक होने की आशंका है। ऐसी आशंका अलवर कलेक्टर की रिपोर्ट में भी जताई गई है।
राजस्थान में पॉक्सो एक्ट के तहत सजा काट रहे आरोपी के लिए यह पहला मामला है, लेकिन इससे पहले भी एक अन्य मामले में पैरोल दी गई है। इस मामले में भी उच्च न्यायालय के जोधपुर पीठ के 5 अप्रैल, 2022 के फैसले का हवाला दिया गया है। जिसे हत्या के दोषी नन्दलाल को 15 दिन की पैरोल पर दिया गया था। उस समय न्यायालय ने माना था कि,जेल में बंद कैदी की पत्नी निर्दोष है। पति के जेल में बंद होने पर उसकी शारीरिक व मानसिक जरूरतें प्रभावित हो रही हैं। अगर जमानत नहीं दी गई तो यह विवाहिता के मां बनने के मौलिक अधिकार के खिलाफ होगा।
इस याचिका पर दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने बृजेश देवी की याचिका को एक महिला के संवैधानिक व मौलिक अधिकारों एवं मानवीकी आधार पर स्वीकार कर लिया, जिसके बाद पीठ ने पैरोल पर रिहा करने का आदेश सुनाया है। इस दौरान न्यायालय ने यह भी माना कि,अपराधी को पैरोल नहीं देने से उसकी पत्नी को संविधान की ओर से दिए गए अधिकारों का हनन होगा। न्यायालय ने आदेश में अलवर सेंट्रल जेल के अधीक्षक को यह छूट दी है कि वह ऐसी शर्तें लगा सकते हैं, जिससे आरोपी पैरोल के बाद फिर से सजा पूरी करने के लिए जेल में हाजिर हो सके। इसके अलावा आरोप राहुल को दो लाख रुपए का पर्सनल बॉन्ड और एक-एक लाख रुपए के दो सिक्योरिटी बॉन्ड लेने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि, इससे पहले पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में इसी साल पहुंचे कुछ मामलों की सुनवाई के बाद पंजाब सरकार ने जेल में पति-पत्नी को एकांत में मिलने की व्यवस्था की है। पंजाब सरकार की इस पहल के तहत कैदियों को जीवन साथी संग अकेले में कुछ समय बिताने के लिए अलग कमरे की व्यवस्था गई। जेल के कमरे में अलग डबल बेड, टेबल और अटैच बाथरूम भी होगा। इस दौरान कैदियों को जेल प्रशासन दो घंटे का समय देगा, जिस पर पति-पत्नी अकेले में समय बिता सकेंगे। फिलहाल यह सुविधा गोइंदवाल साहिब, नाभा, लुधियाना और बठिंडा महिला जेल में शुरू की जा चुकी है। इसे सभी जेलों में शुरू करने की तैयारी है, लेकिन यह सुविधा अभी हर अपराधियों के लिए नहीं है, इस सुविधा से गैंगस्टर और यौन अपराधियों को फिलहाल दूर रखा गया है। यह सुविधा विदेश के कई देशों में भी है।