वर्ष 1979 में प्रदर्शित हिंदी फिल्म ‘गोलमाल’ का एक गीत खासा लोकप्रिय हुआ था। गीत के बोल थे ‘गोलमाल है भई, सब गोलमाल है।’ इसी तरह 1978 में प्रदर्शित फिल्म ‘हीरालाल पन्नालाल’ में एक गीत के बोल थे ‘सीधे रस्ते चलोगे तो ऐसा जमाना मिलेगा, झोपड़ी में बिड़ला और टाटा मिलेगा, बाटा की दुकान में भी आटा मिलेगा’ इन दिनों इलेक्टोरल बॉन्ड का सच सामने आने के बाद ये दोनों गीत भारतीय लोकतंत्र पर सटीक बैठते नजर आ रहे हैं। गोलमाल की हद यह कि ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई के चंगुल में फंसी कंपनियां बेशुमार चंदा इन बॉन्डों के जरिए राजनीतिक दलों को भेंट चढ़ा रही हैं तो झोपड़ी में बिड़ला-टाटा को चरितार्थ करते नुकसान उठा रहीं अथवा बेहद कम मुनाफा कमाने वाली कंपननियां भी अपनी हैसियत से अधिक चंदा देने वालों में शामिल हैं
इन दिनों देशभर में एक तरफ जहां आम चुनाव का शोर है, वहीं दूसरी तरफ उच्चतम न्यायलय के निर्देश पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा जारी किए गए इलेक्टोरल बॉन्ड के सच ने देश भर में घमासान मचा दिया है। चुनावी बॉन्ड पर सर्वोच्च न्यायलय के द्वारा चलाए गए चाबुक के बाद से भारतीय राजनीति में इसकी चर्चा विवादों का रूप लेने लगी है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात न्यायधीशों की संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड की कानूनी वैधता से जुड़े मामले की सुनवाई पूरी होने के 3 महीने बाद फरवरी माह में फैसला सुनाया था। जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग से इलेक्टोरल बॉन्ड की गोपनीयता को हटाते हुए इससे जुड़ी सभी जानकारी को सार्वजनिक करने को कहा था। इसके बाद कोर्ट द्वारा दिए गए समय अवधि के भीतर चुनाव आयोग द्वारा स्टेट बैंक द्वारा सौंपे गए डाटा के आधार पर दो सूची सार्वजनिक की गई हैं जिसकी पहली सूची में किस व्यक्ति, फर्म या कंपनी के द्वारा कितने रुपए का इलेक्टोरल बॉन्ड लिया गया इसकी जानकारी दी गई है। दूसरी सूची में किस राजनीतिक पार्टी को कितना चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के द्वारा मिला है इसकी जानकारी दी गई लेकिन इससे अभी किस पार्टी को किसके द्वारा कितना चंदा दिया गया इसका पता नहीं चल सका था जिससे नाराज होकर सुप्रीम कोर्ट ने स्टेट बैंक को फटकार लगाते हुए समस्त जानकारी 21 मार्च तक देने के आदेश दिए ताकि इलेक्टोरल बॉन्ड की बाबत सारी जानकारी सार्वजनिक हो सके। कोर्ट के इस आदेश के बाद अब स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि उसने चुनाव आयोग को इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी पूरी जानकारी सौंप दी है। एफिडेविट में यह भी लिखा है- बैंक अकाउंट के पूरे नंबर और केवाईसी के अलावा सभी जानकारी चुनाव आयोग को दे दी गई है।
पिछली बार 18 मार्च की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को इनकी जानकारी नहीं होने पर एसबीआई के चेयरमैन को फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने बैंक को आदेश दिया था कि हर बॉन्ड का अल्फान्यूमेरिक नंबर और सीरियल नंबर, खरीद की तारीख और राशि सहित सभी जानकारियां दें। अभी तक सार्वजनिक हुई जानकारी के बाद सबसे अधिक चंदा पाने वाली भाजपा बैकफुट है और विपक्षी दल उस पर चंदा छुपाने का इल्जाम लगा रहे हैं तथा इन चंदों को देने वालों की पहचान बताए जाने पर जोर दे रहे थे।
दागदारों से मिले चंदे का सच
देशभर में इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर चर्चा तब अधिक तेज हुई जब इलेक्टोरल बॉन्ड देने वाली कंपनियों तथा व्यक्तियों के नाम चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक किए गए। चुनाव आयोग द्वारा यह लिस्ट 15 मार्च 2024, को सार्वजनिक की गई जिसके बाद से ही सबकी दिलचस्पी उन कंपनियों की ओर जाने लगी, जिन्होंने राजनीतिक दलों के लिए सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदे हैं। इस सूची में राजनीतिक दलों के लिए सबसे अधिक कीमत के बॉन्ड खरीदने वाली एक ऐसी कंपनी का नाम काफी तेजी से वायरल हो रहा है जो खासी विवादित है और जिसकी जांच देश की शीर्ष जांच एजेंसियां कर रही हैं। इस कंपनी का नाम ‘फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज’ है। इस कंपनी ने अक्टूबर 2020 से जनवरी, 2024 के बीच 1,368 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। इतनी बड़ी कीमत के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने वाली यह कंपनी तभी से लगातार सुर्खियों में चल रही है। इस कंपनी की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रही हैं जिसमें इस कंपनी की खस्ता हालत और खंडहर बनी दीवारों को देखा जा सकता है। इस कंपनी को देख कर लगता है जैसे सालों से इसकी मरम्मत भी नहीं की गई है। यह कंपनी बाहर से केवल 10 गज में सीमित नजर आती है जिसको लेकर लगातार विवाद हो रहे हैं कि इतनी खस्ता हालत में होने के बावजूद यह कंपनी इतनी बड़ी रकम के इलेक्टोरल बॉन्ड कैसे ले सकती है?’
इसके बाद दूसरे नंबर पर है हैदराबाद स्थित ‘मेघा इंजीनियरिंग’ एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड। इस कंपनी द्वारा पांच साल के समय में 966 करोड़ रुपए के बॉन्ड खरीदे गए हैं। इसकी शुरुआत एक छोटी कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी के रूप में हुई थी, जो अब देश की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियों में से एक बन गई है। ये कंपनी मुख्य तौर पर सरकारी प्रोजेक्ट्स पर काम करती है। तेलंगाना में कलेश्वरम उपसा सिंचाई परियोजना के मुख्य भाग का निर्माण इसी कंपनी के द्वारा किया गया था। इसी के साथ ‘क्विक सप्लाई चैन प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी द्वारा 410 करोड़, ‘वेदांता लिमिटेड’ द्वारा 400 करोड़, ‘हाल्जिया एनर्जी लिमिटेड’ द्वारा 377 करोड़, ‘एस्सेस माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ द्वारा 224 करोड़, और ‘अल्लाना ग्रुप’ कंपनी द्वारा 7-7 करोड़ के एक हफ्ते के भीतर तीन इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए हैं जिसमें से 6960.49 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड भाजपा को दिए गए, 2100 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड तृणमूल कांग्रेस, 2000 करोड़ के बॉन्ड कांग्रेस को और 13 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड जनता दल (यूनाइटेड) को दिए गए हैं।
फ्यूचर गेमिंग कंपनी का इतिहास
फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड 30 दिसंबर 1991 को बनाई गई है। यह कंपनी तमिलनाडु के कोयम्बटूर में स्थित है। फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड को पहले मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड के नाम से जाना जाता था। जानकारी के मुताबिक ये कंपनी दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के कारोबार के साथ भारत के लॉटरी उद्योग की सबसे बड़ी कंपनी है। इस कंपनी ने भारत के विभिन्न लॉटरी खेलने वाले राज्यों में डीलरों और एजेंटों का एक विशाल नेटवर्क विकसित किया है। इस कंपनी के चेयरमैन सेंटियागो मार्टिन हैं। इन्हें ‘लॉटरी किंग’ भी कहा जाता है। कंपनी की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक मार्टिन ने लॉटरी उद्योग में 13 साल की उम्र में कदम रखा था और जल्दी ही पूरे भारत में लॉटरी के खरीदारों और विक्रेताओं का एक विशाल नेटवर्क बना लिया। मार्टिन कई बार देश में सबसे बड़े आयकर दाता भी रह चुके हैं।
ईडी ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डित्र्ªंग एक्ट के प्रावधानों के तहत 11 और 12 मई 2023 को फ्यूचर गेमिंग सॉल्यूशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के सैंटियागो मार्टिन और अन्य लोगों के चेन्नई और कोयम्बटूर आवासीय परिसरों और व्यावसायिक परिसरों में तलाशी अभियान चलाया था। इस अभियान के दौरान इन परिसरों से लगभग 457 करोड़ रुपए की चल- अचल सम्पत्ति बरामद की गई जिसके बाद ईडी द्वारा 21 सितंबर 2023 को फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड तथा 15 अन्य कंपनियों के खिलाफ कोलकाता की विशेष पीएमएलए अदालत में मुकदमा दर्ज कराया था। ईडी का कहना है कि इस कंपनी ने अवैध रूप से बिना बिक्री लॉटरी को अपने पास रख, बिना बिक्री लॉटरी पर पुरस्कार का दावा किया तथा बिना बिके पुरस्कार विजेता टिकटों को बेचा हुआ दिखाने के लिए डेटा में हेरफेर किया जो लॉटरी विनियमन अधिनियम, 1998 का उल्लंघन है। नौ मार्च को तमिलनाडु में कथित अवैध रेत खनन में मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत प्रवर्तन निदेशालय ने सैंटियागो मार्टिन के दामाद आधव अर्जुन और उनकी संपत्तियों की भी तलाशी ली थी जिसमें उन्हें भी दोषी पाया गया था।
अल्लाना ग्रुप
इलेक्टोरल बॉन्ड की लिस्ट में अल्लाना ग्रुप की तीन कंपनियों का नाम शामिल है इन कंपनियों ने 7 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड एक हफ्ते की अवधि में खरीदे हैं। इस कंपनी पर अप्रैल 2019 में इनकम टैक्स की रेड पड़ी थी जिसके बाद इन इलेक्टोरल बॉन्ड्स को खरीदा गया। अल्लाना कंपनी भैंस का गोश्त एक्सपोर्ट करने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है। अल्लान ग्रुप पर आरोप है कि उसने करीब दो हजार करोड़ रुपए के टैक्स की चोरी की है। 9 जुलाई, 2019 को अल्लानासंस ने 2 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। कंपनी के मालिक इसके बाद 9 अक्टूबर को एक करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। फ्रीगोरीफिको अल्लाना ने भी 2019 में 9 जुलाई को 2 करोड़ और 22 जनवरी, 2020 को 2 करोड़ के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं। अल्लाना ग्रुप से जुड़ी अलाना कोल्ड स्टोरेज ने 9 जुलाई, 2019 को ही 1 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे। इन पार्टियों को नहीं मिला चंदा राष्ट्रीय दलों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग और केरल कांग्रेस ने बताया उनकी पार्टी को कोई चुनावी बॉन्ड के जरिए एक भी पैसा नहीं मिला है।