दिल्ली हिंसा के मामले में अपना फैसला सुनाने से पहले ही जज मुरलीधर का तबादला आधी रात कर दिया गया। मुरलीधर का कसूर सिर्फ ये था कि उन्होंने दंगे वाली रात ही दिल्ली पुलिस को उपद्रवियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई करने की हिदायत दी थी। यही नहीं बल्कि कल जब नेताओं के विवादास्पद बयान पर कोर्ट में सुनवाई हो रही थी तब दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने यह कहकर सबको अचंभित कर दिया कि उन्होंने कपिल मिश्रा का विडियो नहीं देखा है। तत्पश्चात मुरलीधरन ने कोर्ट में ही कपिल मिश्रा की विवादास्पद बयानों वाली वीडियो को चलवाया। साथ ही दिल्ली पुलिस को उसकी लापरवाही पर हड़काया और फैसला कल तक के लिए सुरक्षित कर दिया। फिलहाल जस्टिस मुरलीधर के ट्रांसफर पर राजनीति गरमा गई है।
Transfer of Hon’ble Justice Muralidhar was done pursuant to the recommendation dated 12.02.2020 of the Supreme Court collegium headed by Chief Justice of India. While transferring the judge consent of the judge is taken. The well settled process have been followed.
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) February 27, 2020
कहा जा रहा है कि आज मुरलीधर अपने फैसले में दिल्ली हिंसा में लापरवाही बरतने की दोषी दिल्ली पुलिस और भाजपा नेताओं के विवादास्पद बयानों पर उनपर कार्रवाई करने का फैसला सुनाने वाले थे। उन्होंने सांसद प्रवेश वर्मा के साथ ही कपिल मिश्रा और अनुराग ठाकुर द्वारा की गई विवादास्पद टिप्णियों पर कल ही सख्त नाराजगी जाहिर कर दी थी। बहरहाल, दिल्ली पुलिस और विवादास्पद बयान देने वाले भाजपा नेताओं पर आज वह कोई कड़ा फैसला लेने वाले थे। इससे पहले कि वह कोई फैसला लेते आधी रात को ही उनका पंजाब हरियाणा के कोर्ट में ट्रांसफर का आदेश आ गया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 12 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट के एक कॉलेजियम ने जस्टिस मुरलीधर समेत तीन जजों के ट्रांसफर की सिफारिश की थी। हालांकि, दो अन्य जजों का ट्रांसफर नहीं हुआ। दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन में पिछले सप्ताह ही कॉलेजियम से उनके ट्रांसफर पर पुनर्विचार की मांग की थी।
इस मुद्दे पर फिलहाल राजनीति गरमा गई है। कांग्रेस ने रातों-रात हाई कोर्ट जज के ट्रांसफर को लेकर मोदी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने इस पर एक ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा कि बहादुर जज लोया को याद करो, जिनका ट्रांसफर नहीं हुआ था। जबकि दूसरी तरफ से बचाव में आए केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सब कुछ तय प्रक्रिया के अनुसार ही किया गया है। कहा जा रहा है कि जस्टिस मुरलीधर को स्थानांतरण करने के पीछे दिल्ली की हिंसा पर उनकी कार्रवाई है। जिसमें उन्होंने दिल्ली की हिंसा और भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं पर कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाई थी। साथ ही उन्होंने कहा था कि हिंसा रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाने की जरूरत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हम दिल्ली में 1984 जैसे हालात नहीं बनने देंगे।
Remembering the brave Judge Loya, who wasn’t transferred.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) February 27, 2020
गौरतलब है कि जस्टिस मुरलीधर ने 1987 में सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में वकालत शुरू की थी। उनके बारे में कहा जाता है कि वह बिना फीस के केस लड़ता थे। इनमें भोपाल के गैस त्रासदी और नर्मदा बांध पीड़ितों के केस शामिल है। वर्ष 2006 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट में जज नियुक्त किया गया। जस्टिस मुरलीधर को सांप्रदायिक हिंसा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता को लेकर सख्त टिप्पणियों के लिए भी जाना जाता रहा है। जस्टिस मुरलीधर ने उत्तर प्रदेश के हाशिमपुरा नरसंहार में दोषी पीएसी जवानों को सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन्होंने 1984 दिल्ली दंगा मामले में कांग्रेसी नेता सज्जन सिंह को दोषी ठहराया था। वह समलैंगिकों के साथ भेदभाव पर फैसला देने वाली बेंच में भी शामिल रह चुके हैं। जस्टिस मुरलीधर हाईकोर्ट में सबसे लोकप्रिय जज रहे हैं। उनके ट्रांसफर होने पर दिल्ली बार एसोसिएशन ने कहा था कि उनका तबादला कोर्ट के लिए क्षति होगा। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जस्टिस मुरलीधर उन जजों में शामिल रहे हैं जिन्होंने माय लॉर्ड जैसे संबोधन कोर्ट में बंद कराएं।