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इशरत जहां की माँ शमीमा कौसर देंगी सीबीआई अदालत के फैसले को कोर्ट में चुनौती

17 वर्ष पहले 15 जून 2004 को अहमदाबाद के निकट हुए एनकाउंटर को लेकर कई सवाल ऐसे हैं जिसके जवाब अभी भी अधूरे हैं। यह भी अभी समझना बाक़ी है कि इस मामले में अभियुक्त सभी पुलिसकर्मी बिना ट्रायल के कैसे रिहा होते चले गए। ये ‘रिहाई’ कई वर्षों से चली आ रही है, जिसमें ताज़ा मामला जो रिहाई का है वह 31 मार्च 2021 का है ।

इशरत जहां एनकाउंटर मामले में बीते बुधवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने अंतिम तीन अभियुक्तों को भी बरी कर दिया।

इशरत जहां के किसी भी आतंकी गतिविधि से सम्बन्धों के कोई सबूत नहीं : वृंदा ग्रोवर

बल्कि इशरत जहां की ओर से केस देख रही वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि इशरत जहां के किसी भी आतंकी गतिविधि से संबंधों के कोई सबूत नहीं हैं।

वृंदा ग्रोवर ने यह भी कहा कि, “सीआरपीसी की धारा 197 के अनुसार, किसी सरकारी कर्चमारी के ख़िलाफ़ मुक़दमा शुरू करने से पहले अनुमति लेने की क़ानूनी सुरक्षा इस मामले में नहीं लागू होती है क्योंकि सीबीआई की कड़ी जांच के बाद पाया गया कि यह एक रची गई मुठभेड़ थी।

उन्होंने आगे कहा कि, “रिकॉर्ड में मौजूद सभी सबूतों को दरकिनार करते हुए सीबीआई अदालत को गुजरात सरकार ने जो अपना विवरण पेश किया है उस पर भरोसा जताया गया है। शुरुआत से लेकर आख़िर तक कोर्ट के बाहर और अंदर गुजरात सरकार ने गुजरात पुलिस के आरोपियों का बचाव किया है।”

इशरत जहां केस : बेदाग़ साबित हुए सभी दाग़दार

अब इस फ़ैसले को इशरत जहां की मां शमीमा कौसर कोर्ट में चुनौती देंगी। शमीमा कौसर की वकील वृंदा ग्रोवर ने इसकी पुष्टि एक मीडिया संस्थान से बातचीत करते हुए की है।

वकील वृंदा ग्रोवार ने आगे कहा कि सीबीआई अदालत का आदेश फ़र्ज़ी एनकाउंटर और मुक़दमा शुरू करने से पहले अनुमति लेने के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्धारित क़ानून का उल्लंघन है।

केस को लेकर सीबीआई अदालत के सभी ट्रॉयल खत्म

आपको बता दें कि 31 मार्च को विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश वीआर रावल ने गुजरात पुलिस के तीन अफ़सर जीएल सिंघल, तरुण बरोट और अनजु चौधरी को रिहा करने का आदेश दिया।

गुजरात सरकार ने सीबीआई को इन तीनों अभियुक्तों पर मुक़दमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी जिसके बाद रिटायर्ड पुलिस अफ़सर तरुण बरोट समेत तीनों ने डिस्चार्ज एप्लिकेशन जमा की थी।

इसके बाद अदालत ने उनकी इस याचिका को स्वीकार करते हुए उनको इस मामले में बरी कर दिया। अब इस मामले में कोई अभियुक्त नहीं है जिसके बाद आगे इसमें ट्रायल नहीं होगा।

यह पूरा मामला वर्ष 2004 का है, जब गुजरात पुलिस ने दावा किया था कि एक एनकाउंटर में उसने चार ‘आतंकियों’ को मार दिया है ।ये लोग थे जावेद शेख़ उर्फ़ प्रणेश पिल्लै, अमजद अली अकबर अली राणा, ज़ीशान जौहर और 19 वर्षीय इशरत जहां।

इशरत जहां मुंबई में मुंब्रा की रहने वाली थीं।गुजरात पुलिस का आरोप था कि ये सभी गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की योजना बना रहे थे।

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