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पुष्पेंद्र यादव की मौत हत्या है या एनकाउंटर ?

 

गत 29 सितंबर को झांसी में हुए पुष्पेंद्र यादव इनकाउंटर मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पर कई सवाल खड़े कर दिए है। जिन सवालों में खुद यूपी पुलिस घिरती नजर आ रही है। योगी सरकार प्रदेश में भय समाप्त करने का दावा करने के साथ ही सीना चौडाते हुए कहती है कि उनके पिछले ढाई साल के कार्यकाल में 4000 इनकाउंटर हुए है। लेकिन इन इन्काउन्टर में ज्यादातर पर फर्जी होने के आरोप लगते रहे है। एक कहावत भी है कि चने के साथ घुन पीस जाता है। कही यह कहावत यूपी पुलिस पर फिलहाल धड़ाधड़ हो रहे इन्कॉउंटरो पर सटीक तो नहीं बैठ रही है। बहरहाल , झांसी में हुए पुष्पेंद्र यादव के इनकाउंटर ने एक बार फिर यूपी पुलिस को सवालो और संदेहो के घेरे में ले लिया है। इस मामले को लेकर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने फ़िलहाल यूपी पुलिस और योगी सरकार के खिलाफ घेराबंदी कर दी है। वही सपा के सांसद ने तो इस एन्काउंटर को हत्या करार दे दिया है।

मेरे पति ने ऐसा क्या किया था कि उनका एनकाउंटर कर दिया गया है। यदि मेरे पति की गलती थी तो पुलिस घर पर फोन करती या फिर उसे जेल ले जाती। मेरे पति का फोन अभी भी पुलिस के पास है। जब हमें न्याय नहीं मिल रहा है तो वह अपने पति का शव कैसे और क्यों लेती । यदि शव ले लेते तो पुलिस फ्री हो जाती। आज वह अंतिम क्षणों में पति की चेहरा नहीं देख पाई है। वह भगवान से प्रार्थना करती है कि जिस प्रकार वह तड़प रही है उसी प्रकार पुलिस वाले भी तड़पेंगे। थानेदार समेत सभी पुलिस वालों के खिलाफ हत्या का मुकद्मा दर्ज किया जाये। जिन्होंने उसके पति को मारा है। यदि उसे न्याय नहीं मिलता है तो वह आत्महत्या कर लेगी। जिसकी जिम्मेदार झांसी पुलिस और योगी सरकार होगी।

 एनकाउंटर में मारे गये पुष्पेन्द्र यावव की पत्नी शिवांगी

पुष्पेंद्र यादव अपराधी था या नहीं, पुष्पेंद्र की मौत हत्या है या एनकाउंटर अब इस पर राजनीति शुरू हो गई है।  राज्यसभा सांसद चंद्रपाल सिंह यादव ने इसे हत्या करार देते हुए आरोप लगाया कि मोठ पुलिस ने पुष्पेंद्र का ट्रक पकड़ लिया था और पैसे के लेनदेन के विवाद में उसकी हत्या कर दी।  चंद्रपाल सिंह ने कहा कि पुलिस ने कार लेकर भागने की मनगढंत कहानी रची है।  रास्ते में इतने थाने पड़ते हैं, लेकिन उसे कहीं रोका क्यों नहीं गया था।
समाजवादी पार्टी मुखिया अखिलेश यादव ने पुलिस पर झांसी में 28 वर्षीय युवक पुष्पेंद्र यादव की हत्या का आरोप लगाया है। अखिलेश ने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है। पिछले हफ्ते झांसी के पुलिस अधीक्षक ओपी सिंह ने बताया कि पुष्पेंद्र यादव अवैध रूप से खनन कार्य में शामिल था और 29 सितंबर को थानाध्यक्ष द्वारा उसके कुछ ट्रक जब्त किये जाने के बाद उनसे उसकी कहासुनी भी हुई थी। इसके बाद उसने थानेदार पर गोली चला दी और एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई।

अखिलेश यादव ने झांसी में परिजनों से मुलाकात के बाद कहा कि पुलिस की कहानी पर भरोसा नहीं होता। यह एनकाउंटर नहीं बल्कि मर्डर है। उत्तर प्रदेश में कोई सुरक्षित नहीं हैं जहां मुख्यमंत्री खुले तौर पर पुलिस की बर्बरता को बढ़ावा देते हैं। उधर शिवपाल यादव की प्रगतिशील समाजवादी पार्टी ने भी इस मामले में योगी सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग अब इस एनकाउंटर पर सवाल खड़े कर रहे हैं।

29 सितम्बर को मोंठ थानेदार ने खनन से भरी एक ट्रक पकड़ा था। यह ट्रक खनन माफिया पुष्पेन्द्र यादव का बताया गया था। जिस पर थानेदार ने पुष्पेन्द्र यादव के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए कार्यवाही की थी। यह बात पुष्पेन्द्र यादव को नागबार गुजरी और उसने बदला लेने की ठान ली। मोंठ थानेदार जब कानपुर से झांसी आ रहे थे तभी उन पर मोंठ थाना क्षेत्र में हमला कर दिया गया है। जिसमें वह घायल है। उन्हें मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया है। साथ ही हमलावर उनकी के्रटा कार लूटकर भाग गये थे।   पुष्पेंद्र यादव अवैध रूप से खनन कार्य में शामिल था और 29 सितंबर को थानाध्यक्ष द्वारा उसके कुछ ट्रक जब्त किये जाने के बाद उनसे उसकी कहासुनी भी हुई थी। इसके बाद उसने थानेदार पर गोली चला दी और एनकाउंटर में उसकी मौत हो गई।

ओपी सिंह एसएसपी झाँसी

गौरतलब है की पुलिस इनकाउंटर में मारा गया पुष्पेंद्र यादव झांसी के करगुआं गांव का रहने वाला था। उसके पिता सीआईएसएफ में थे। पिता की मौत के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रवींद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी, जबकि पुष्पेंद्र का एक और भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है।  घरवालों के मुताबिक पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वो बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था। पुलिस ने पहले तो उसके खिलाफ फर्जी केस किया और फिर एनकाउंटर में उसे मार दिया।  घरवालों के के मुताबिक पुष्पेंद्र का जो भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता था, पुलिस ने उसके खिलाफ भी हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया है और उसे इस बात का पता तब चला, जब वो अपने भाई की मौत की खबर सुनकर झांसी आया था।

झांसी के करगुआं गांव के रहने वाले लोग अब पुष्पेंद्र के समर्थन में आ गए हैं। गांववालों का कहना है कि एसएसपी और मोठ कोतवाल रिश्तेदार हैं और दोनों ने मिलकर पुष्पेंद्र की हत्या की है। गांववालों का कहना है कि जब तक झांसी एसएसपी ओपी सिंह और इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान को गिरफ्तार कर जेल नहीं भेजा जाता, वो पुष्पेंद्र का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे।  7 अक्टूबर की शाम को जब डीएस शिवसहाय अवस्थी, एसएसपी ओपी सिंह और एडीजी प्रेम प्रकाश गांव पहुंचे और घरवालों को पुलिसवालों के खिलाफ केस दर्ज करने का आश्वासन दिया, तब जाकर पुष्पेंद्र का अंतिम संस्कार हो पाया।

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