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क्या सच कहना ही सबसे बड़ा गुनाह है वैभव कृष्ण का

क्या सच कहना ही सबसे बड़ा गुनाह है वैभव कृष्ण का
नोएडा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण पर कार्यवाही होना तो उस दिन ही तय हो गया था जिस दिन उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह ने लखनऊ में प्रेस कांफ्रेंस करके पत्रकारों को पूरे प्रकरण से अवगत कराया था। उस दिन यानी 3 जनवरी को प्रदेश के डीजीपी ओपी सिंह बार-बार यह कहते दिखे कि नोएडा के एसएसपी ने सर्विस मैनुअल के खिलाफ काम किया है।
लेकिन दो माह पूर्व वैभव कृष्ण ने जिन पांच आईपीएस अधिकारियों का नाम अपने पत्र में लिखे उनके खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर डीजीपी ओपी सिंह ने कुछ नहीं कहा। कार्यवाही के नाम पर महज सभी पाचो आरोपी अधिकारियों को जिलों से हटाकर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है। जबकि जांच के नाम पर एसआईटी का गठन भी किया गया है।

लेकिन सवाल यह भी है कि सिर्फ वीडियो वायरल होने पर वैभव कृष्ण पर नैतिकता के नाम पर कार्यवाही कहा तक उचित है। एक तरफ भ्रष्टाचार के संगीन आरोपी पुलिसकर्मियो को स्थानांतरण किया जाना तो दुसरी तरफ एक ईमानदार अफसर पर वीडियो वायरल होने पर निलंबन जैसी कार्यवाही पर सवाल खड़े हो रहे है।
जबकि विडियो में दिखाई गई लड़की का अभी तक कोई पता नहीं चल पाना और वीडियो वायरल करने वाले लोगों तक पुलिस का न पहुंच पाना सवालों और संदेहों के घेरे में है। चर्चा है कि प्रदेश की भ्रष्ट चौकडी का वीडियो वायरल कराने का मकसद भ्रष्टाचार के खिलाफ की गई वैभव कृष्ण की शिकायत को प्रभावित करना तो नहीं रहा। जैसाकि आजकल हनीट्रेप का जाल बिछाकर अधिकारियों को फंसाने का रैकेट चल रहा है।
इस पूरे मामले में न सिर्फ यूपी पुलिस में बड़े अधिकारियों के बीच चल रही कथित गुटबाजी सतह पर आ गई है बल्कि ट्रांसफर-पोस्टिंग में हो रहे भ्रष्टाचार के बड़े खेल का मामला भी सामने आया है। जिसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है। इसका उदाहरण वैभव कृष्ण का वह शिकायती पत्र है जिसपर कड़ा एक्शन लेने की बजाय शासन ने दो महीने से उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
A complant later by vaibhav krishna – 1
राज्य के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर और उनकी पत्नी नूतन ठाकुर ने इस मामले की गंभीरता को समझा है। नूतन ठाकुर ने इस मामले की सीबीआई जांच कराने के लिए सीएम को पत्र  लिखा। जबकि अमिताभे ठाकुर ने इस पूरे मामले में आईपीएस एसोसिएशन की तत्काल बैठक बुलाने की मांग की है । लेकिन फ़िलहाल एसोसिएशन की ऐसी कोई बैठक न तो हुई है और न ही प्रस्तावित है,जिससे इस पूरे प्रकरण पर कोई सख्त कार्यवाही हो सके।
दुसरी तरफ वैभव कृष्ण ने जिन अधिकारियों का अपने शिकायती पत्र में नाम लिया है, उनमें से कोई भी इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले से पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ट्रांसफ़र और पोस्टिंग में पैसे का लेन-देन कोई नई बात नहीं है। जिस रेट लिस्ट का ज़िक्र एसएसपी नोएडा ने अपने पत्र में किया है, वह भी बहुत आश्चर्यजनक नहीं है बल्कि रेट इससे ज़्यादा भी हो सकते हैं। लेकिन एक आईपीएस अधिकारी और वह भी एक प्रमुख ज़िले के कप्तान के तौर पर काम कर रहे व्यक्ति का सार्वजनिक तौर पर ऐसे आरोप लगाना बेहद गंभीर है। साथ ही वह कहते हैं कि पुलिस और सशस्त्र बल जैसे विभागों में राजनीतिक पार्टियों जैसी गतिविधियां नहीं होनी चाहिए। सरकार ने यदि कड़ा क़दम नहीं उठाया तो आगे स्थितियां बेहद गंभीर हो सकती हैं।
जानकारों के मुताबिक, एसएसपी नोएडा या फिर विवाद की ज़द में आए अन्य अधिकारियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई न होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि यह मामला सिर्फ़ इन लोगों तक ही सीमित नहीं है बल्कि इसके तार कई और लोगों से जुड़े हैं। एसएसपी नोएडा के पत्र में सीधे तौर पर आरएसएस से जुड़े कुछ लोगों का भी नाम सार्वजनिक किया गया है और बताया जा रहा है कि ये वही नाम हैं जो पहले भी विवादों में आ चुके हैं और इनके ख़िलाफ़ कार्रवाई भी हुई लेकिन ‘ऊपरी दबाव’ के चलते कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पाई।

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी कहते हैं कि इतने गंभीर आरोप और इतने गंभीर मामले में अब तक किसी अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। जबकि कुछ दिन पहले ही होमगार्ड विभाग में महज अनियमितता सामने आने के बाद बड़े अधिकारियों तक को जेल भेज दिया गया।
उनके मुताबिक इससे दूसरे विभागों में काम करने वाले कर्मचारियों और अधिकारियों में हीन भावना आएगी। वो कहते हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ यदि आप जीरो टॉलरेंस की बात करते हैं तो वह हर विभाग में और हर स्तर पर होनी चाहिए, न कि कुछ चुनिंदा जगहों पर।
गौरतलब है कि एसएसपी गौतमबुद्ध नगर के तीन कथित वीडियो गत 1 जनवरी को वायरल हुए थे। इनमें वीडियो कॉल के दौरान अश्लील हरकत दिखाई गई थी। इस वीडियो के वायरल होने के बाद एसएसपी ने सेक्टर-20 थाने में अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
3 जनवरी को भी एसएसपी की कथित अश्लील व्हाट्सएप चैट के 15 स्क्रीन शॉट भी सोशल मीडिया पर वायरल किए गए थे। वीडियो वायरल होने के मामले की जांच डीजीपी के आदेश पर हापुड़ एसएसपी को सौंपी गई थी। जांच सही पाई गई है।
इस वीडियो को बनाने में स्क्रीन रिकॉर्डर का भी प्रयोग किया गया है। वायरल वीडियो में मोबाइल स्क्रीन पर रिकॉर्डिंग का समय दिख रहा है। करीब 13 मिनट से ज्यादा वक्त तक स्क्रीन की हर गतिविधि रिकॉर्ड की गई है।
ऐसा इसलिए किया गया है, क्योंकि व्हाट्स एप की वीडियो कॉल रिकॉर्ड नहीं की जा सकती। इसलिए वीडियो कॉलिंग को रिकॉर्ड करने में स्क्रीन रिकॉर्डर का सहारा लिया गया। दोनों मोबाइलों की वीडियो कॉल को एक तीसरे मोबाइल से भी वीडियो बनाकर शूट किया गया था।

 हालांकि, वैभव कृष्ण ने एक पत्रकार वार्ता में कहा था कि यह मार्फ्ड वीडियो है। जिसे उनके द्वारा दो माह पूर्व कुछ अधिकारियों और पत्रकारों के संगठित गिरोह की ट्रांसफर पोस्टिंग मामले में शिकायत करने के बाद प्लांटिड कराया गया। फोरेंसिक जांच में यह सामने आया है कि वीडियो सही है, साथ ही यह भी साबित हो गया कि यह वीडियो मॉर्फ्ड नहीं है।
इस वीडियो की एडिटिंग, कटिंग, मिक्सिंग और मॉर्फिंग नहीं की गई थी। वैभव ने वायरल वीडियो के संबंध में खुद एफआईआर कराई थी। इस वीडियो की जांच एडीजी और आईजी को कराने के लिए दी गई थी। कहा जा रहा है कि योगी सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है।
 वैभव कृष्णा प्रकरण में आरोपों के दायरे में आए सभी पांच आईपीएस अधिकारियों को भी पद से हटा दिया गया है। इस मामले में तीन सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है। एसआईटी प्रमुख की जिम्मेदारी वरिष्ठ आईपीएस अफसर और डीजी विजलेंस हितेश चंद्र अवस्थी को दी गई है। इसके साथ ही दो सदस्य आईजी एसटीएफ अमिताभ यश और एमडी जल निगम विकास गोठलवाल को बनाया गया है।
योगी सरकार ने  पूरे मामले की जांच 15 दिनों के भीतर करने के आदेश दिए हैं। दावा यह भी किया जा रहा है कि रिपोर्ट आते ही उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जांच प्रभावित न हो इसलिए सभी पांचों पुलिस अफसरों को फील्ड से हटाया गया है। इनकी जगह नए अधिकारियों की तैनाती की गई है।  सभी को तत्काल प्रभाव से जिम्मेदारी संभालने का आदेश जारी किया गया है।
Accused 5 IPS Officer
इस प्रकरण की पटकथा पिछले साल ही लिखी जा चुकी थी । जब गौतम बुद्ध नगर के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव ने चार कथित पत्रकारों को अवैध गतिविधियों में संलिप्त पाया गया था। उनके पकड़े जाने के बाद जो सच्चाई सामने आई। उसके आधार पर ही पांच अधिकारियों पर वैभव कृष्ण ने आरोप लगाए थे।
साइबर  इमर्जेंसी रिस्पांस टीम की रिपोर्ट को आधार बनाकर ये आरोप लगाए गए थे। एसएसपी ने पांच आईपीएस अफसरों पर ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत तमाम संगीन आरोप लगाए थे। जिससे यूपी की आईपीएस लॉबी में हड़कंप मचा था। जिन अधिकारियों पर आरोप हैं उनमें आईपीएस- अजयपाल शर्मा, पुलिस अधीक्षक रामपुर, आईपीएस-2 सुधीर सिंह (एसएसपी गाजियाबाद), आईपीएस-3 गणेश साहा (पुलिस अधीक्षक बांदा), आईपीएस-4 राजीव नारायण मिश्र (तत्कालीन पुलिस अधीक्षक कुशीनगर), आईपीएस-5 हिमांशु (पुलिस अधीक्षक सुल्तानपुर) शामिल है। फिलहाल इनको उक्त महत्वपूर्ण पदों से हटाकर मुख्यालय में अटैच कर दिया गया है।
एक साल पूर्व जब नोएडा में वैभव कृष्ण की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के पद पर नियुक्ति हुई थी तो उसी दौरान उनके हाथ उन तथाकथित पत्रकारों की गिरेवान तक जा पहुंचे थे जो खाकी के साथ मिलकर पुलिस के दामन पर दाग लगाने का काम कर रहे थे। नोएडा एएसपी वैभव कृष्ण ने बीते साल गिरफ्तार किए गए चार कथित पत्रकारों के काॅल डिटेल, चैट की जांच के आधार पर साइबर इमर्जेंसी रिस्पांस (सीईआरटी) की रिपोर्ट तैयार की थी।
जिसे डीजीपी और अपर मुख्य सचिव गृह को भेजा गया था। रिपोर्ट में न केवल चुनिंदा आईपीएस अफसर के अलावा कुछ इंस्पेक्टर व हेड कांस्टेबल के नाम भी शामिल हैं। बल्कि इसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग के बड़े खेल का जिक्र किया गया है। वहीं सोशल मीडिया पर वायरल एक पत्र में ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में अतुल शुक्ला नाम के भी एक शख्स का जिक्र है जिसे आरएसएस कार्यकर्ता चंदन शुक्ला का खास बताया जा रहा है। याद रहे कि चंदन ही इस पूरे खेल का मास्टर माइंड रहा है।
Journalist and police inspector Manoj Pant, accused of extorting money from call center operator

काल सेंटर संचालक से अवैध उगाही पर पत्रकार और पुलिस की गिरफ्तारी 

कृष्ण वैभव की भ्रष्टाचार के सफाए की शुरुआत बुद्ध नगर के थाना सेक्टर -20 ( नोएडा ) से 30जनवरी 2019 को अपने ही पुलिस विभाग से हुई थी । जब नोएडा सेक्टर 20 थाने के एसएचओ और तीन पत्रकारों को घूस व रंगदारी लेने के मामले गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने एक मर्सिडीज सी- 200 कार, एक 32 बोर की पिस्टल और 8 लाख रुपये भी बरामद किये थे।
एसएसपी वैभव कृष्ण के आदेश के बाद एसएचओ मनोज पंत, औकरो इंस्पेक्टर जयवीर सिंह को  उन्हीं के थाने में गिरफ्तार किया गया था। उनके साथ पत्रकार सुशिल पंडित, उदित गोयल और रमण ठाकुर को भी गिरफ्तार किया था। एसएचओ मनोज पंत को एसएसपी ने सस्पेंड भी कर दिया था। पुलिस इंस्पेक्टर मनोज पंत, इंस्पेक्टर जयवीर सिंह और तीनों पत्रकार एक कॉल सेंटर के मालिक से एफआईआर से नाम हटवाने के एवज में रंगदारी मांग रहे थे।

होमगार्ड वेतन घोटाले का किया पर्दाफाश

कृष्ण वैभव के अथक प्रयासों से गौतमबुद्ध नगर में होमगार्डों की कथित तौर पर फर्जी हाजिरी लगाकर सरकार को करोड़ों रुपये की चपत लगाने का मामला भी सामने आया था। इसके बाद इस मामले में शासन स्तर की एक समिति ने जांच शुरू कर दी गयी थी।मामले में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक  ने अपनी खुद की जांच के बाद होमगार्ड विभाग के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा लिखने की संस्तुति की थी, लेकिन शासन ने अपने स्तर से भी जांच कराने का निर्णय लिया था। इस मामले की जांच चार सदस्यीय टीमों ने की थी।
Vaibhav Krishna exposing homeguard salary scam
होमगार्डों की ड्यूटी में बड़ा घोटाला हुआ था। कुछ होमगार्ड ड्यूटी पर नहीं आते, थे लेकिन विभाग के अधिकारी थानों में उनकी उपस्थिति दिखाकर उनका वेतन निकाल लेते थे। यह पूरा खेल होमगार्ड विभाग के एक संगठित गिरोह के माध्यम से होता था।
पुलिस इस मामले में जब वैभव कृष्ण ने अपने स्तर से जांच कराई तो पता चला कि होमगार्ड विभाग के अधिकारियों ने जिले के थाना प्रभारियों के फर्जी हस्ताक्षर और फर्जी मुहर के सहारे इस घोटाले को अंजाम दिया था। बाद में इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई।

यूपी की पहली पहल एनपीयू

गौतमबुद्ध नगर के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रहते वैभव कृष्ण ने कई सराहनीय पहल भी की । जिनको नोएडा पुलिस के लिए मील का पत्थर माना गया है। गौरतलब है कि एसएसपी द्वारा शूरू की गई नोएडा पेट्रोल यूनिट। उत्तर प्रदेश राज्य में अपनी तरह की पहली ऐसी पहल है। यह पीपीपी मॉडल पर आधारित है।
कहा गया कि ये यूनिट नोएडा शहर मे बढ रहे अपराधों पर अंकुश लगायेगी। वहीं इसका प्रमुख कार्य जिले के भिन्न-भिन्न स्थानों पर चैकिंग कर संदिग्धों से पूछताछ कर गिरफ्तारी करना होगा। ये यूनिट नवीनतम इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों जैसे कि बॉडी कैमरा जिसमें वीडियो रिकॉर्डिंग का भी प्रावधान होगा से सुसज्जित होगी ताकि संदिग्धों से पूछताछ एवं चैकिंग के दौरान वीडियों बनायी जा सके एवं संदिग्धों के फोटो भी खींचे जा सकें । वहीं कई बार जनता भी पुलिस पर अभद्रता करने के आरोप लगाती है। इन आरोपों की भी विधिवत जांच की जा सकेगी।
वहीं आपको बता दें कि नोएडा पेट्रोल यूनिट को विशेष प्रकार के जूते, विशेष प्रकार की टैक्टीकल बैल्ट भी उपलब्झ कराई गई। वहीं यूनिट के पास एक फाईबर बैटन भी होगा जिसका जरूरत पड़ने पर लाठी के स्थान पर प्रयोग किया जा सकेगा। इसके साथ रिफलैक्टिल बैटन जिसका रात्रि में कई प्रकार की लाईटों के रूप में प्रयुक्त किया जा सकेगा ये भी नोएडा पेट्रोल यूनिट को मुहैया कराया गया।
NPU
इसके साथ ही नोएडा पेट्रोल यूनिट ( एनपीयू ) की कई और सुविधाओं से सुसज्जित किया गया है । मसलन इस यूनिट के हेलमेट पर नोएडा पेट्रोलिंग यूनिट का लोगो होगा।नोएडा पेट्रोलिंग यूनिट वाहनों पर तैनात कर्मचारियों पर ऐसा वायरलैस सैट लगाया गया है जिसका बटन छाती तक दिया गया है और वह छाती से ही ऑपरेट हो सकता है।
वहीं प्रत्येक मोटरसाइकिल पर जीपीएस की व्यवस्था की गयी है जिससे कि हर मोटरसाइकिल की लोकेशन मालूम रहेगी और अधिकारियों के मोबाईल पर भी सभी नोएडा पेट्रोलिंग यूनिट की लोकेशन नजर आती रहेगी। यकीनन ये यूनिट अपने आप में जनपद में खास तरह की यूनिट बनाने की एक अच्छी पहल साबित हो रही है। जिसे पहली बार प्रदेश के किसी जनपद में क्रियान्वित किया गया।

पहली बार वादी दिवस

पुलिस थानों में लोग मुकदमा दर्ज कराते हैं कई मामले में पुलिस जांच प्रक्रिया में शिथिलता बरतती है, लोगों की समस्याओं को समय पर निस्तारण और जांच प्रक्रिया की वस्तुस्थिति की जानकारी के लिए पहली बार तत्कालीन  वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने जिले में वादी दिवस का शुभारम्भ किया। जो जिले के थानों पर 12 बजे से 4 बजे तक आयोजित किया जाता है । यदि किसी वादी दिवस पर कोई सार्वजनिक अवकाश या किसी कारणवश स्थगित हुआ तो अगले दिन आयोजित किया जाता है।
A Plaintiff day by vaibhav krishna
वादी दिवस में जनता दर्शन से सम्बन्धित थानों पर भेजे जाने वाले शिकायती प्रार्थना पत्र के मामले, हत्या, सभी प्रकार के लूट, संवेदनशील चोरी, पांच लाख से अधिक की चोरी सम्बन्धित मामले। बरामदगी को शेष अपहर्ता से सम्बन्धित आईपीसी की धारा 363, 364, 365 के मामलो को गंभीरता से देखा जाता है। इसी के साथ महिला सम्बन्धित अपराधों की विवेचना जो कि 3 माह से अधिक समय से विवेचनाधीन है से सम्बन्धित मामले।  वादी दिवस में आवेदकों को तथा उनके प्रकरणों से सम्बन्धित विवेचना/जांचकर्ता अधिकारी को थाने पर बुलाकर समीक्षा की जाती है। जिसकी जिम्मेदारी प्रभारी निरीक्षक या थाना प्रभारी की होती है।

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