पंजाब कांग्रेस को लेकर कल पूरे दिन चर्चाओं का दौर जारी रहा। जिसमें सोशल मीडिया से लेकर हर कोई यही कहता नजर आया कि अब पंजाब कांग्रेस का आंतरिक कलह सुलझ गया है। इसका रास्ता निकाल दिया गया है और पार्टी से नाराज चल रहे सिद्धू को प्रदेश प्रमुख बनाने की तैयारी की जा रही है। हालांकि इसकी अधिकारिक घोषणा नहीं हुई। लेकिन पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत की मीडिया ब्रीफिंग के बाद यह चर्चा जोरों पर चल पड़ी । इसके बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का खेमा सक्रिय हो गया। कल पूरे दिन मुख्यमंत्री अपने समर्थक विधायकों और मंत्रियों के साथ बैठक करते रहे। मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की चिंता यह थी कि अगर नवजोत सिंह सिद्धू प्रदेश के मुखिया बन गए तो वह आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी पसंद के प्रत्याशी मैदान में नहीं उतार पाएंगे ।
इसके मद्देनजर कैप्टन खेमा इस फैसले की घोषणा से पहले ही बेचैन दिखा। बताया जा रहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को फोन किया और इस बाबत अपनी नाराजगी प्रकट की । कैप्टन पहले से ही सिद्धू का विरोध करते रहे हैं। लेकिन कल जब से उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने की बातें हुई तो मुख्यमंत्री एक्शन मोड में आ गए।

बताया जा रहा है कि आज सोनिया गांधी के साथ उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और पंजाब प्रभारी हरीश रावत तथा नवजोत सिंह सिद्धू की बातचीत का उद्देश्य यही था। जिसमें सिद्धू का मन टटोला गया । सिद्धू ने 2 दिन पहले एक ट्वीट करके राजनीतिक सनसनी फैला दी। जिसमें कयासबाजियों का दौर शुरू हुआ और कहा जाने लगा कि नवजोत सिंह सिद्धू अब आम आदमी पार्टी में चले जाएंगे।
हालांकि मीडिया ने नवजोत सिंह सिद्धू के पूरे ट्वीट को सामने नहीं रखा । जिसमें वह सबसे अंतिम लाइन में कांग्रेस के पक्ष में अपना समर्थन व्यक्त करते नजर आए। लेकिन मीडिया को इसमें सिद्धू का आप में जाना ही दिखा। इसके बाद कांग्रेस सिद्धू को लेकर सीरियस हो गई। तब मीडिया के समक्ष हरीश रावत ने जो बात कही उसके मायने यह लगाए गए कि नवजोत सिंह सिद्धू फिलहाल मान गए हैं और उन्हें पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा रहा है ।
लेकिन आज जब पंजाब प्रभारी हरीश रावत और नवजोत सिंह सिद्धू सोनिया गांधी से मिले तो ऐसा देखने को नहीं मिला, जिससे लगे कि सिद्धू पंजाब कांग्रेस के मुखिया बनने जा रहे हैं । यही नहीं बल्कि हरीश रावत भी अपनी बात से पलटी मार गए। वह आज कह रहे हैं कि उन्होंने मीडिया के सामने यह नहीं कहा था कि सिद्धू प्रदेश अध्यक्ष बनेंगे बल्कि उन्होंने कहा था कि यह भी एक विकल्प हो सकता है।

विकल्प तो सिद्धू के सामने आम आदमी पार्टी भी पेश कर रही है। जिसमें पिछले दिनों दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल जब पंजाब पहुंचे तो उन्होंने अपने मंच से नवजोत सिंह सिद्धू का नाम लिया । साथ ही उन्होंने कहा कि पंजाब का सीएम सिख होगा। इसके संकेत राजनीतिक गलियारों में यही समझे गए की केजरीवाल सिद्धू को आम आदमी पार्टी में आने का न्योता दे रहे हैं।
सूत्रों की मानें तो सिद्धू आम आदमी पार्टी में जा सकते हैं। लेकिन इससे पहले वह यह तय कर लेना चाहते हैं कि वह ही आम आदमी पार्टी का सीएम चेहरा होंगे। फिलहाल, राजनीतिक पंडितों का आकलन यह है कि अगर कांग्रेस ने उन्हें पंजाब में प्रदेश प्रमुख नहीं बनाया तो वह आम आदमी पार्टी खेमे में शामिल हो सकते हैं। दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि सिद्धू की यह कांग्रेस पर प्रेशर पॉलिटिक्स है। जिसमें वह आम आदमी पार्टी में जाने की कयासबाजी शुरू करके कांग्रेस पर दबाव बनाना चाह रहे हैं। अब देखना यह है कि कांग्रेस सिद्धू के इस दबाव में क्या निर्णय ले पाएगी?