झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि राज्य का निर्माण संघर्ष का परिणाम है। कोरोना वायरस के संक्रमण के इस दौर में संसाधनों की कमी पर रोने के बदले हम आत्मबल से उबरेंगे। राज्य कोरोना के संकट और इसके बाद खड़े होने वाले आर्थिक संकट दोनों से लड़ने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने ये बातें कोरोना महामारी से राज्य सरकार की ओर उबरने के लिए किए गए प्रयासों को लेकर पूछे गए सवालों के जवाब में कही।
उन्होंने आगे कहा कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है। यह कई राज्यों से घिरा है। फिर भी कोरोना के संक्रमित मरीजों की संख्या कम है। शायद यह बेहतर प्रबंधन का ही नतीजा है। यह विपरीत घड़ी है। हमें इस समय अंतरराज्यीय सामंजस्य काफी अच्छा दिखा है। इसमें मजबूती आई है। जो जहां है, वहां की सरकार मदद कर रही है। सभी राज्य संसाधन को लेकर चिंतित हैं। केंद्र से गुहार लगा रहे हैं। पीएम की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मुख्यमंत्रियों के साथ बात हुई है। उसमें झारखंड को बोलने का मौका नहीं मिला। लेकिन इससे सोच और कमी पर कोई असर नहीं पड़ता। मांगे रखी, उस अनुरूप चीजें नहीं आई।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आगे मौका मिलेगा। हमने केंद्र सरकार से 300 थर्मल स्कैनर मांगा पर मिला 100 ही। 72000 पीपीई किट के विरुद्ध 5000 किट ही मिला। 300 वेंटिलेटर मांगा था, एक भी नहीं मिला। लेकिन डरने और चिंतित होने की कोई जरूरत नहीं। उन्होंने कहा कि राज्य से बाहर कमाने के लिए लोगों के जाने के पीछे मनरेगा की कम मजदूरी दर है। बढ़ाने के बाद भी झारखंड में मनरेगा के मजदूरी का दर 200 रुपए नहीं पहुंचा है। जबकि दूसरे राज्यों के लिए 300 से ऊपर तक है। वह इस मुद्दे को केंद्र के समझ गंभीरता से उठाएंगे। कोई भूखा नहीं रहेगा, सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास के बाद भी कोई कमी नहीं रह जाए, उसे दूर करने के लिए विधायकों को 15-15 लाख रुपए दिए जा रहे हैं।
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि लॉक डाउन से अर्थव्यवस्था और विकास बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। कोई भी इसका अंदाजा लगा सकता है। लेकिन कितना होगा, इसका आकलन अभी करना मुश्किल होगा। झारखंड से लगभग 12-14 लाख लोग बाहर कमाने जाते हैं। इनके तो रोजगार समाप्त हो ही चुके हैं, झारखंड में रहनेवाले मजदूर भी बेरोजगार हो चुके हैं। कोरोना महामारी के थमने के बाद सरकार को कई तरह की समस्या से सामना करना पड़ेगा। लॉक डाउन हटने के बाद कई मुसीबतें आएंगी, इसका हमें आभास है। गरीब राज्य होने के बाद भी इस विषम परिस्थिति में अपनी तैयारी, खुद से संघर्ष व सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए फिर जंग जीतेंगे व अपनी पहचान बनाएंगे।