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ओंकार नाथ सिंह
नेता कांग्रेस
प्रधानमंत्री ने देश की जनता से 22 मार्च 2020 को जनता कर्फ्यू के लिए अनुरोध किया और कहा कि सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक लोग अपने घरों से न निकले। यह इस महामारी कोरोना से बचने का एक महत्वपूर्ण कदम था। इस दिन केवल आवश्यक कार्य करने वाले लोग ही सड़को पर रहेंगे और कोई नही निकलेगा।  उन आवश्यक सेवा करने वालो के लिए 22 मार्च को ही शाम 5 बजे अपने घरों के बालकनी या दरवाज़े पर आकर लोग उन विशेष परिस्थितियों में कार्य करने वाले लोगो की सराहना और उनको सुरक्षित रखने के लिए ताली बजाकर,  शंख बजाकर या थाली बजाकर प्रार्थना करे उन्हें प्रोत्साहित करें। इस जनता कर्फ्यू में देश की  कांग्रेस पार्टी सहित सभी राजनीति पार्टियों, सामाजिक , सांस्कृतिक संस्थाओं और प्रत्येक देशवासी ने पूरा सहयोग किया।
पूरे दिन कोई भी अपने घर से नही निकला  शहर, कस्बे,गाव सब बन्द रहे और शाम 5 बजे जो पन्द्रह मिनट तक  सभी  देशवासियों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की वह अद्भुत और अविस्मरणीय रहेगी।  केंद्र और सभी राज्य सरकारों ने इस महामारी को रोकने में कई कदम उठाए। सभी यात्री ट्रेने रोक दी गई। राज्य सरकारों ने बसों को रोका। इसका मुख्य कारण था कि जो जहा है वही रुक जाए ताकि इस वायरस के संक्रमण को रोका जा सके। सरकारी और निजी अस्पतालों को इसका मुकाबला करने के लिए तैयार कर दिया गया है।आपको शायद मालूम न हो कि ऐसी विपदा हर सौ वर्षों में आती है। 1720 में पहली बार कालरा जिसे हम हैजा भी कहते है महामारी के रूप में विश्व मे आई। इसके बाद 1820 में प्लेग के रूप में महामारी आई इन दोनों बीमारियों में लाखो लोगो की जाने गई। फिर 1920 में स्पेनिश फ्लू ने महामारी का रूप लिया जिसमे 5 करोड़ लोगों की जान गई । उस समय भारत मे ही करोड़ो लोगो की जाने गई और आज फिर 100 वर्षो बाद 1920 में कोरोना विश्व महामारी के रूप में आई है।   उस समय तक विज्ञान इतना आगे नही आया था और न ही उच्च कोटि की चिकित्सा व्यवस्था ही थी पर आज विश्व में चिकित्सा व्यवस्था अति उत्तम कोटि की है परंतु हम फिर भी इस महामारी का सामना करने में असमर्थ दिख रहे है। एक बार फिर मानव  प्रकृति के सामने विवश है।  इसलिए हमें अभिमान नही करना चाहिए कि हमसे बड़ा और ताकतवर कोई नही।  जो देश तरक्की करता है वह विश्व शक्ति बनने का सपना देखने लगता है। ईश्वर ने हमे फिर एहसास दिलाया और हमारे अभिमान को तोड़ा है। हम उसके आगे विवश थे और सदैव रहेंगे इसलिए सब जानने और सब पर विजय पाने का सपना छोड़े। रावण न बने राम के आदर्शों को अपनाए और ईश्वर से डरे।  ईश्वर ही हमारी रक्षा कर सकते है।
 देशवासियों ने इस संकट कि घड़ी में जो इस कार्यक्रम का सहयोग किया वह अविस्मरणीय रहेगा। आज न कोई हिदू था न कोई मुसलमान न कोई सिख न कोई ईसाई, जैन, बौद्ध, पारसी या किसी भी धर्म का नही  था। अगर दिख रहा था तो केवल भारतीय और उसकी एक ही अभिलाषा थी और वह थी कि किसी भी प्रकार हम सब मिल कर एक साथ इस महामारी का मुकाबला करें। आइए प्रकृति से विनती करे , परमपिता परमेश्वर से रक्षा का विनम्र निवेदन करे की यदि कोई गलती से मानव समाज ने अभिमान प्रदर्शित किया हो तो उसे क्षमा करें तथा हमे इस संकट से उबारे ।
 प्रधानमंत्री की पहल प्रशंसनीय थी। मुझे विश्वास  है कि इस मुहिम को रोकने में वह जो भी जनता से सहयोग चाहेंगे जनता करेगी। ऐसी स्थित में प्रधानमंत्री की ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ जाती है। उन्हें जो भी इस मुहिम में कार्यक्रम करना हो कोई भी कदम उठाना हो तो उसकी गम्भीरता को समझ कर ही कोई निर्णय ले नही तो देश की जनता को भारी मायूसी होगी। आइए हम सब इसी प्रकार मिल कर पहले इस महामारी से मुकाबला करे फिर अन्य समस्याओं से निपटने की |

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