कोरोना महामारी ने सभी देशों की अर्थव्यवस्था बर्बाद कर दी है। महामारी ने दुनिया के विकासशील देशों को तो कंगाल ही कर दिया है। व्यापार ठप्प पड़े हुए हैं, आवाजाही भी बंद पड़ी हुई है। भारत में भी कोरोना का खूब कहर बरपा, जिसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ा। हाल ही में विश्व बैंक ने भारत के संदर्भ में कहा है कि भारत में वित्त वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 9.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। यह परिवार के स्तर पर ख़र्च और निजी निवेश में आई कमी को दिखाता है।
2000 के दशक से भारत ने पूर्ण गरीबी को कम करने में उल्लेखनीय प्रगति की है । गरीबी का स्तर 2011 में 21.6 प्रतिशत से घटकर 2015 (अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा पर) में 13.4 प्रतिशत हो गया, जिससे 90 मिलियन से अधिक लोग अत्यधिक गरीबी से बाहर निकल रहे हैं। हाल के वर्षों में इसने आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण सुधार किए हुए, जिनमें दिवालियापन संहिता लागू करना, राष्ट्रीय बाजार को एकीकृत करने के लिए जीएसटी का लागू करना और व्यापार के संचालन को आसान बनाने के लिए कई सुधार किए हैं।
हालांकि अर्थव्यवस्था का यह विकास बहुत धीमा रहा। कोरोना काल से पहले ही भारत की अर्थव्यवस्था काफी डगमगाई हुई थी। कोरोना के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लगाया गया, जिसके कारण लगभग सभी उद्योग-धंधे बंद हो गए। लाखों लोगों की जॉब चली गई, छोटी कंपनिया बंद हो गई। विश्व बैंक ने अपनी वैश्विक आर्थिक संभावना रिपोर्ट में कहा है कि कोरोना वायरस महामारी के कारण असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोगों की आय बुरी तरह प्रभावित हुई है। विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा है कि भारत में वित्त वर्ष वृद्धि दर 5.4 प्रतिशत होने का अनुमान है।
विश्व बैंक क्या है।
विश्व बैंक एक संस्था है। इसका मुख्य उद्देश्य सदस्य राष्ट्रों को पुनर्निर्माण और विकास के कार्यों में आर्थिक सहायता देना है। विश्व बैंक समूह पांच अन्तर राष्ट्रीय संगठनों का एक ऐसा समूह है जो सदस्य देशों को वित्त और वित्तीय सलाह देता है। इसका मुख्यालय वॉशिंगटन, डी॰ सी॰ में है। इसकी स्थापना 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी। ब्रेटन वुड्स सम्मेलन को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक और वित्तीय सम्मेलन के रूप में जाना जाता है। वर्तमान में विश्व बैंक में 189 देश सदस्य हैं। विश्व बैंक का सदस्य बनने के लिये किसी भी देश को पहले अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम का सदस्य बनना ज़रूरी होता है। .3 अरब की जनसंख्या और विश्व की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत की हाल की संवृद्धि तथा इसका विकास वर्तमान समय की अत्यंत उल्लेखनीय सफलताओं में से हैं। आज फार्मा, इस्पात, सूचना तथा अंतरिक्ष-संबंधी प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में भारत की पहचान विश्व-स्तर पर है तथा इसे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ऐसी आवाज़ माना जाता है, जो इसके विशाल आकार और संभावनाओं के अनुरूप है। भारत में बड़े बदलाव आ रहे हैं, जिनसे इसके लिये 21वीं सदी का मज़बूत देश बनने के नए-नए अवसर पैदा हो रहे हैं। भारत विश्व का सबसे विशाल और अत्यंत युवा श्रमशक्ति वाला देश है। साथ ही देश में शहरीकरण की तीव्र प्रक्रिया चल रही है और प्रतिवर्ष लगभग 1 करोड़ लोग रोज़गार तथा अवसरों की तलाश में कस्बों और शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। यह इस सदी का विशालतम ग्रामीण और शहरी प्रवासन है।