भारत के लिए यह अच्छी खबर है कि अगले वर्ष उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नहीं बल्कि संयुक्त राष्ट्र की तीन महत्वपूर्ण समितियों की अध्यक्षता करने का सौभाग्य मिल रहा है। इन समितियों में तालिबान प्रतिबंध समिति, आतंकवाद-रोधी समिति 2022 के लिए और लीबिया प्रतिबंध समिति शामिल है। इसकी जानकारी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने दी है। टीएस तिरुमूर्ति ने आज 8 जनवरी को कहा है कि जब लीबिया और शांति प्रक्रिया पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्रित होगा, तो भारत एक एक महत्वपूर्ण मोड़ पर लीबिया प्रतिबंध समिति की कुर्सी को संभालेगा।
Watch:
PR @ambtstirumurti speaks at the flag installation ceremony for incoming #UNSC Members.
India has formally started its 8th tenure in the Security Council today. @MEAIndia @IndianDiplomacy @harshvshringla @DrSJaishankar pic.twitter.com/RoughFZe4y
— India at UN, NY (@IndiaUNNewYork) January 4, 2021
टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, भारत 2022 में यूएनएससी की आतंकवाद-रोधी समिति की भी अध्यक्षता करेगा। इस समिति की अध्यक्षता भारत के लिए एक विशेष प्रतिध्वनि है, जो न केवल आतंकवाद से लड़ने में सबसे आगे है, विशेष रूप से सीमा पार से आतंकवाद, बल्कि इसके सबसे बड़े पीड़ितों में से एक है। टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, तालिबान प्रतिबंध समिति हमेशा से भारत के लिए प्राथमिकता रही है। उन्होंने कहा, तालिबान प्रतिबंध समिति हमेशा से अफगानिस्तान के शांति, सुरक्षा, विकास और प्रगति के लिए हमारे मजबूत हित और प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते भारत के लिए पहली प्राथमिकता है।
A feeling of great pride and humility as I take my place in the @UN #SecurityCouncil as PR of #India.#IndiainUNSC @MEAIndia pic.twitter.com/QxzAlUgheT
— PR UN Tirumurti (@ambtstirumurti) January 5, 2021
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर फहराने लगा भारत का तिरंगा
भारत अगस्त 2021 में और फिर 2022 में यूएनएससी की अध्यक्षता करेगा। UNSC की अध्यक्षता हर सदस्य द्वारा एक महीने के लिए की जाती है। भारत के अलावा केन्या, मैक्सिको, आयरलैंड, और नॉर्वे गैर-स्थायी सदस्य के रूप में यूएनएससी में शामिल हुए हैं। हाल ही में भारत ने UNSC में एक गैर-स्थायी सदस्य के रूप में अपने दो साल के कार्यकाल का शुभारंभ किया है।इसके दौरान भारत का तिरंगा न्यूयॉर्क सिटी के संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में इस हफ्ते से फहराने लगा है।टीएस तिरुमूर्ति ने कहा था, यह मेरे देश के लिए और मेरे प्रतिनिधिमंडल के लिए गर्व का क्षण है।और तब देश भारत की आजादी की 75वीं सालगिरह मना रहा होगा उस वक्त भारत इन तीनों कमेटियों की अध्यक्षता कर रहा होगा।
इससे पहले दूसरे विश्वयुद्ध के खात्मे के 75 साल पूरे होने के अवसर पर संयुक्त राष्ट्र में एक विशेष बैठक का आयोजन किया गया था। जिसमें सदस्य देशों ने अपनी- अपनी बातें रखीं।इस बैठक में भारत की तरफ से कहा गया था कि दूसरा विश्वयुद्ध वास्तव में आतंकवाद का नतीजा था। भारत की तरफ से कहा गया कि आतंकवाद दुनिया के समक्ष एक बड़ा संकट है। इस संकट को हराने के लिए वैश्विक एकजुटता और इसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है। आज लोकतन्त्र को सबसे बड़ा खतरा आतंकवादी संगठनों से है। जैश-ए-मोहम्म्द ,लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन , इंडियन मुजाहिदीन, अल कायदा ,हक्कानी नेटवर्क ,तहरीक-ए-तालिबान ,हरकत-उल-मुजाहिदीन ,इस्लामिक स्टेट जैसे संगठन लोकतंत्र को ख़त्म करने की साज़िश हमेशा रचते रहते हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र के विशेष सत्र में आतंकवाद को ख़त्म करने की जो अपील की थी ,वह इन जैसे संगठनों को निष्क्रिय करने की अपील है। यह सारे संगठन पूरी दुनिया में एक ख़ास तरह की हुकूमत कायम करना चाहते हैं और उनका धर्म इस तरह का निजामे-मुस्तफा स्थापित कारने की प्रेरणा देता है। यह सारे संगठन मूल रूप से आतंकवादी हैं और अपने अलावा किसी की नहीं सुनते।इन पर लगाम लगाने के लिए भारत के पास अब 2022 संयुक्त राष्ट्र परिषद की तीन अहम कमेटियों की अध्यक्षता एक अच्छा अवसर है।
जानें क्या हैं तीन अहम कमेटियां
1 – तालिबान सेंक्शन कमेटी को वर्ष 1988 सेंक्शन कमेटी के नाम से भी जानते हैं। इसको पहली बार 15 अक्टूबर 1999 में लागू किया गया था। इस कमेटी को खासतौर पर तालिबान समेत अलकायदा और इसके प्रमुख ओसामा बिन लादेन पर लगाम लगाने के मकसद से बनाया गया था।
2 – काउंटर टेररिज्म कमेटी को सितंबर 2001 में अमेरिका में हुए 9/11 हमले के बाद बनाया गया था। भारत इस कमेटी की अध्यक्षता वर्ष 2011-12 में भी कर चुका है।
3 – लीबिया सेंक्शन कमेटी को वर्ष 1970 में बनाया गया। ये सुरक्षा परिषद की एक बेहद खास सहायक कमेटी है। ये कमेटी लीबिया में छाए आतंकवाद और उन्हें मिलने वाले हथियारों पर शिकंजा कसती है। साथ ही आतंकी समूह के सदस्यों की आवाजाही पर रोक लगाने और देशों को उनकी संपत्तियों को जप्त करने का अधिकार प्रदान करती है।